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हरियाणा में 300 करोड़ के दवा खरीद घोटाले की जांच कैग के हवाले

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने उच्चस्तरीय बैठक के बाद सभी जिलों में दवा खरीद की जांच नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (कैग) को सौंप दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 07:16 PM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 08:50 PM (IST)
हरियाणा में 300 करोड़ के दवा खरीद घोटाले की जांच कैग के हवाले

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के पांच जिलों में सरकारी अस्पतालों के लिए दवा खरीद में घोटाले के आरोपों पर प्रदेश सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से पूरा ब्योरा तलब किया। स्वास्थ्य मंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक के बाद सभी जिलों में दवा खरीद की जांच नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक (कैग) को सौंप दी है। बगैर लाइसेंस के दवा बनाने वाली कंपनियों की जांच का जिम्मा ड्रग कंट्रोलर को दिया गया है।

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उल्लेखनीय है कि इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला ने फतेहाबाद, हिसार, जींद, रेवाड़ी और रोहतक जिलों में दवाइयों और जांच उपकरणों की खरीद में 125 करोड़ रुपये की अनियमितताओं के दस्तावेज सार्वजनिक किए थे। साथ ही पूरे प्रदेश में दवा खरीद में करीब 300 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका जताई थी।

मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विभाग के प्रधान सचिव अमित झा, स्वास्थ्य महानिदेशक सतीश अग्रवाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक पी अमनीत कौर को तीन वर्षों  के दौरान हुई खरीद के रिकॉर्ड के साथ तलब किया।

उच्चस्तरीय बैठक में अफसरों ने सभी जिलों में खरीद का पूरा रिकॉर्ड मंत्री की टेबल पर रखते हुए घोटाले के आरोपों को खारिज कर दिया। बाद में मंत्री ने भी लगभग वही बात दोहराई। उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए आंकड़े भी पेश किए।

तीन साल में 87.60 करोड़ मंजूर, सामान खरीदा 40.89 करोड़ का

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सांसद दुष्यंत चौटाला 300 करोड़ के घोटाले की बात कर रहे हैं, जबकि बीते तीन सालों में दवा और जांच उपकरणों की खरीद के लिए कुल 87.60 करोड़ रुपये ही जारी किए गए। इसमें भी केवल 40.89 करोड़ रुपये का सामान खरीदा गया।

विज के मुताबिक मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के तहत तीन साल में दवा खरीद के लिए कुल 75 करोड़ रुपये मंजूर हुए जिसमें से करीब 33 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसी तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत दवा खरीद के लिए मंजूर 12.60 करोड़ में से 7.86 करोड़ का ही इस्तेमाल हुआ।

विभागीय जांच में लगते आरोप, इसलिए कैग को जांच

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आरोपों की विभागीय जांच कराते तो फिर से आरोप लगते। इसलिए ऑडिटर जनरल को जांच के लिए लिखा है। हिसार की शगुन ट्रेडिंग कंपनी और जीके ट्रेडिंग कंपनी के ड्रग लाइसेंस की जांच के लिए ड्रग कंट्रोलर को तुरंत प्रभाव से टीमें भेजी गई हैं। आरोप हैं कि दोनों कंपनियों के पास ड्रग लाइसेंस नहीं है। विज ने रोहतक में हेपेटाइटिस-बी की दवा खरीद के कागज दिखाते हुए कहा कि इसमें कमेटी के जरिये यह खरीद हुई और टेंडर पर सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। टेंडर पर दिन और समय भी अंकित है जो 14 जनवरी 2016 को शाम चार बजे फाइनल हुआ।

निर्धारित दरों पर खरीद, मगर रूई खरीद में हुई अनियमितता

विज के मुताबिक फतेहाबाद के सिविल सर्जन ने फेस मास्क निर्धारित दरों पर खरीदे। एक हजार फेस मास्क 95 पैसे और ट्रिपल लेयर वाले दो हजार फेस मास्क 4.90 रुपये प्रति यूनिट खरीदे। इसी तरह हैंड सेनेटाइजर की कीमत भी 325 रुपये ही है। हालांकि विज ने माना कि 500 ग्राम के 20 कॉटन रोल 99 रुपये के बजाय 140 रुपये की दर से खरीदे गए, जिसकी जांच होगी। उन्होंने कहा कि सांसद के पास अगर कोई सूबूत हैं तो उनके ऑफिस में आएं। वह निश्चित रूप से जांच कराएंगे।

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