कैग रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा- खनन माफिया हावी, बदल दिया नदियों का बहाव
कैग रिपाेर्ट में हरियाणा में खनन पर बड़ा खुलासा हुआ है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में खनन माफिया पूरी तरह हावी है। अवैध खनन के कारण नदियों का बहाव तक बदल गया।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं सामने आई हैैं। सरकारी विभागों में जमकर लापरवाही बरती गई, जिस कारण सरकारी खजाने को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचा है। हरियाणा में खनन माफिया पूरी तरह से हावी है। कैग की रिपोर्ट में इस बात को खुलकर स्वीकार किया गया है। राज्य में नियमों के विरुद्ध खनन किया गया, जिस कारण कई जगह नदी का बहाव तक बदल गया।
विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग की रिपोर्ट, खनन में 1476 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका
हरियाणा विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में रखी गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन विभाग की लापरवाही के चलते 1476 करोड़ रुपये की चपत सरकार को लगी है। खनन योजनाओं के लिए अलाट साइट का निरीक्षण करते हुए कैग ने कहा है कि आवंटित साइट की बजाय दूसरी जगहों पर खनन किया गया था।
कैग के अनुसार ठेकेदारों के प्रति सरकार का रवैया लचीला रहा। विभाग ने खदान और खनिज विकास एवं पुनर्वास निधि में 49 करोड़ 30 लाख रुपये नहीं जमा करवाने वाले 48 ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। टेंडर राशि जमा नहीं करवाने वाले 84 में से 69 ठेकेदारों के खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं हुआ। इन ठेकेदारों पर 347 करोड़ रुपये बकाया रहे।
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बिजली उपभोक्ताओं से नहीं वसूले 935 करोड़
राज्य की बिजली वितरण कंपनियों की लापरवाही के चलते उपभोक्ताओं से अतिरिक्त अग्रिम उपभोग राशि नहीं जमा कराई जा सकी, जिस कारण 1050 करोड़ रुपये की चपत लगी है। बिजली निगमों के उपभोक्ताओं से कंपनियां 935 करोड़ 91 लाख रुपये अग्रिम राशि के तौर पर वसूलने में विफल रही। इस वजह से निगमों को अतिरिक्त ब्याज के तौर पर 122 करोड़ 5 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2013 से 2016 के दौरान निगमों को सी एंड टी लॉस (तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियां) के चलते 2703 करोड़ 69 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बाद में निगमों ने इन हानियों में सुधार किया।
कृषि पंपसेट मीटर वाले उपभोक्ताओं से भी वसूली नहीं
कृषि पंपसेट मीटर वाले उपभोक्ताओं से न्यूनतम मासिक प्रभारों एवं नियत प्रभारों की कम वसूली हुई। मीटर किराये के कम प्रभारण के कारण निगमों को 15 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। मार्च-2018 तक बिजली कंपनियों ने एचईआसी द्वारा निर्धारित संग्रहण दक्षता के लक्ष्य को हासिल नहीं किया था। मार्च-2014 में यह बकाया 4460 करोड़ 18 लाख रुपये था, जो अब मार्च-2018 में बढ़कर 7332 करोड़ 70 लाख पहुंच गया।
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पंचकूला, अंबाला व कुरुक्षेत्र में दवाइयों के सेंपल नहीं
कैग ने हरियाणा के तीन जिलों पंचकूला, अंबाला और कुरूक्षेत्र में दवाओं के नमूनों के संग्रहण एवं प्रयोगशाला विश्लेषण की जांच में पाया कि 1846 लाइसेंसधारी इकायों में से केवल 314 के नमूने लिए गए, जबकि 1532 इकाइयां बिना जांच के रह गई। 53.45 फीसदी नमूनों के मामलों में नमूना विश्लेषण रिपोर्ट छह माह से अधिक देरी से जारी की गई। लोगों द्वारा इन दवाओं का उपयोग जोखिम भरा था। दवाओं की आर्पूति न करने के लिए कंपनियों पर 1.09 करोड़ रुपए जुर्माना नहीं लगाया गया।
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यूरिया खाद के स्टाक का रखरखाव उचित नहीं
यूरिया के बफर स्टाक का रख रखाव सही नहीं किया गया। 38.79 लाख टन यूरिया खरीद का लक्ष्य था, लेकिन खरीद महज 17.74 लाख टन की गई। 6367 नमूनों के संग्रहण के लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाए और केवल 4709 नमूने लिए गए। जिन डीलरों के नमूने सही नहीं थे उनमें से केवल 9 पर कार्रवाई की गई, जबकि 37 डीलरों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
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पुलिस शिकायत प्राधिकरण में अटकी 681 शिकायतें
कैग रिपोर्ट में यह कहा गया कि वर्ष 2013 से राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त करने में विफल रही। इससे अगस्त 2013 से प्राप्त हुई 681 शिकायतों का निपटान नहीं हो पाया।
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