गुलाम नबी आजाद से यूं ही नहीं टकराने के मूड में अशोक तंवर, तल्ख हुए तेवर में छिपे हैं ये राज
हरियाणा कांग्रेस के प्रधान डॉ. अशोक तंवर अचानक टकराव के मूड में आ गए हैं। वह यूूं ही पार्टी प्रभारी गुलाम नबी आजाद से टकराने के तेवर में नहीं हैं। इसके कारण बताए जा रहे हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष डा. अशोक तंवर के तेवर एकाएक तीखे हो गए। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी की मजबूती का हवाला देकर तंवर कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद से भी टकराने के मूड में दिख रहे हैं। माना जा रहा है किे इसके कई कारण हैं। हुड्डा खेमा तंवर के साहस को दुस्साहस का नाम दे रहा है, लेकिन तंवर समर्थक अपने नेता के अंदाज से फॉर्म में आते दिख रहे हैं। आजाद द्वारा चुनाव प्रबंधन एवं योजना कमेटी को खारिज करने के बावजूद तंवर ने इसकी पहली बैठक की और इस कमेटी का नाम बदलने की औपचारिकता निभाकर अपने ढंग से चुनावी समर में उतरने का संकेत दे दिया। राज्य में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हैं।
प्रभारी के चुनाव योजना कमेटी को अमान्य करार देने के बावजूद पीछे हटने को तैयार नहीं तंवर
अशोक तंवर के इन तेवरों से उनके समर्थक सातवें आसमान पर हैं। उल्टे उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की कोऑर्डिनेशन कमेटी पर ही सवाल उठा दिए। कांग्रेस हाईकमान ने लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में सभी दिग्गज नेताओं की एक कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई थी। इस कमेटी के गठन के बावजूद सभी नेताओं के रास्ते जुदा-जुदा रहे।
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अपने द्वारा बनाई गई चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी को खारिज किए जाने से आहत तंवर ने तीखे अंदाज में सवाल किया कि कोऑर्डिनेशन कमेटी बनेे डेढ़ माह हो गया, लेकिन इस कमेटी ने विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए क्या कुछ किया? उनका इशारा स्पष्ट अपने विरोधियों की तरफ था।
हुड्डा के नेतृत्व वाली कोऑर्डिनेशन कमेटी पर भी उठाए सवाल, चुनाव के लिए तैयारी जरूरी बताई
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी की औपचारिक बैठक के बाद अशोक तंवर के तेवर सामने आ गए। उनके चेहरे पर गुलाम नबी आजाद की ओर से किसी कार्रवाई का खौफ भी नहीं दिखाई पड़ा। गुलाम नबी आजाद ने तंवर द्वारा बनाई गई चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी को अमान्य करार दे दिया था। इसके बावजूद उन्होंने बैठक की।
तंवर के तेवर उन पर हाईकमान का आशीर्वाद होने का इशारा कर रहे थे। तंवर ने बड़े ही कूटनीतिक अंदाज में चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी की बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद की बात रखने को इस कमेटी का नाम बदलकर समूह कर दिया। यानी सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी, लेकिन कांग्रेस दिग्गजों को दिखा दिया कि तंवर का चुनावी रथ अब थमने वाला नहीं है।
तंवर ने खुद पर बताया हाईकमान का आशीर्वाद, आजाद तक को दे डाली नसीहत
अशोक तंवर करीब एक सप्ताह पहले चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कह चुके कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें बिना किसी बाधा के काम करने के निर्देश दिए हैं। उनके सोमवार के अंदाज में इन निर्देशों का असर साफ दिखाई पड़ा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में हरियाणा का पूरा प्रतिनिधित्व नहीं होने, प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी नहीं बनने तथा जिला व ब्लाक कमेटियों का अभी तक गठन नहीं हो पाने का दोष उन्होंने अपने विरोधी नेताओं के सिर मढ़ते देर नहीं लगाई।
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तंवर ने स्पष्ट कह दिया कि कांग्रेस व समर्पित कार्यकर्ता कुछ नेताओं के चक्कर में फंसकर रह गए। कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहे कि वे क्या करें। चुनाव में मात्र तीन माह का समय बचा है। अभी भी अगर चुनाव प्रबंधन, योजना और सब कमेटियां नहीं बनाएंगे तो क्या करेंगे। यानी उन्होंने गुलाम नबी आजाद को भी नसीहत दे डाली।
तंवर का तलख अंदाज कहीं परेशानी न खड़ी कर दे
अशोक तंवर के अंदाज से साफ है कि वह अपने द्वारा बनाई गई चुनाव योजना एवं प्रबंधन कमेटी (अब ग्रुप) को जारी रखकर उसकी सब कमेटियां भी गठित करेंगे और उसमें अपने लोगों को एडजेस्ट भी करेंगे। तंवर का साफ कहना है कि उन्होंने साफ नीयत से काम शुरू किया, लेकिन कुछ लोग अगर पार्टी को आगे नहीं बढऩे देना चाहते तो वे उनकी मंशा पूरी नहीं होने देंगे।
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अशोक तंवर के यह तेवर हालांकि निकट भविष्य में उनके लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं, लेकिन तंवर तय कर चुके कि अब उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं बल्कि पाने के लिए ही सब कुछ है। लिहाजा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में तंवर का अंदाज देखने लायक होगा।