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माल्या, नीरव व ललित मोदी के जरिये सीबीआइ पर खेमका का हमला

विजय माल्या, नीरव व ललित मोदी के जरिये हरियाणा के चर्चित आइएएस अफसर अशोक खेमका ने सीबीआइ पर निशाना साधा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 03:10 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 08:56 PM (IST)
माल्या, नीरव व ललित मोदी के जरिये सीबीआइ पर खेमका का हमला
माल्या, नीरव व ललित मोदी के जरिये सीबीआइ पर खेमका का हमला

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के चर्चित आइएएस अफसर अशोक खेमका ने अब बीज घोटाले की जांच में देरी पर सीबीआइ को लपेटा है। केंद्रीय जांच एजेंसी पर कुछ बाहरी ताकतों के प्रभाव में काम करने का आरोप जड़ते हुए खेमका ने ट्वीट किया कि सामान्य मामलों में भी निष्पक्ष जांच नहीं होने दी जाती। उनके मुताबिक भयावह पहलू ये कि सीबीआइ के पास माल्या, नीरव मोदी और ललित मोदी से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों की जांच है।

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खेमका ने पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के ऑफिशियल अकाउंट पर ट्वीट कर अरबों का घोटाला कर फरार हुए विजय माल्या, नीरव मोदी व ललित मोदी के मामले की जांच पर भी सवाल उठा दिए। माल्या विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपये लेकर और नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक से 11,360 करोड़ रुपये का गबन कर फरार है। इसी तरह आइपीएल के चेयरमैन रहते फेमा (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) के तहत करोड़ों की हेराफेरी के दोषी ललित मोदी विदेश में छिपे हैं।

खेमका का आरोप है कि सामान्य मामलों में भी सीबीआइ पर दबाव बनाकर निष्पक्ष जांच नहीं करने दी जाती। ऐसे में बड़े मामलों में केंद्रीय जांच एजेंसी की जांच का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

आप फड़फड़ा तो सकते हैं, सीबीआइ फड़फड़ा भी नहीं सकती

खेमका के ट्वीट पर समर्थकों में री-ट्वीट की होड़ लग गई। एक फॉलोअर ने खेमका को ट्वीट किया कि 'आप व सीबीआइ दोनों बंद पिंजरे में तोते के समान हैं। आप फड़फड़ा तो सकते हैं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते और सीबाआइ तो फड़फड़ा भी नहीं सकती।' एक अन्य समर्थक ने ट्वीट किया कि 'अब तो आप फिर से अपना तबादला तय समझिए।' विवादित कार्यप्रणाली के कारण ज्यादातर सरकारों के निशाने पर रहे खेमका के अभी तक 51 बार तबादले हो चुके हैं।

क्या है बीज खरीद घोटाला

खेमका ने वर्ष 2013 में तत्कालीन हुड्डा सरकार में हरियाणा सीड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक रहते करीब पांच करोड़ का गेहूं बीज खरीद घोटाला उजागर किया था। वर्ष 2010 में निगम ने किसानों को सस्ती दर पर गेहूं मुहैया कराने के लिए एक लाख क्विंटल बीज खरीदा था जिस पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 500 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी दी गई।

कोऑपरेटिव एजेंसियों के पास बीज न होने पर प्राइवेट खरीदारों से सीधे खरीद का फैसला किया गया। नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन (एनसीसीएफ) और नैफेड के पास सीड स्टॉक नहीं होने के बावजूद दोनों एजेंसियों के कुछ अफसरों ने निगम को बीज सप्लाई करने का ऑफर दिया। सरकार को भेजी रिपोर्ट में खेमका ने कृषि विभाग और निगम के चार अफसरों पर घोटाले में शामिल होने का संदेह जताया था। बाद में मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई।

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