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हरित करनाल अभियान के तहत लगाए जाएंगे एक लाख पौधे

शहर को हरा-भरा बनाने के लिए जिला में हरित करनाल अभियान के तहत एक लाख पौधे लगाने का फैसला वन विभाग की ओर से कयिा गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 05:02 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 05:02 PM (IST)
हरित करनाल अभियान के तहत लगाए जाएंगे एक लाख पौधे

जागरण संवाददाता, करनाल:

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शहर को हरा-भरा बनाने के लिए जिला में हरित करनाल अभियान के तहत एक लाख से अधिक पौधे लगाने का कार्य जारी है। खास बात यह है कि पौधारोपण को लेकर पहली बार ऐसी व्यवस्था की गई है, जिससे न केवल बड़ी संख्या में पौधे लगाए जाने की पुष्टि होगी अपितु उनकी मानिटरिग भी सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए बाकायदा पोर्टल बनाया गया है, जिस पर रोजाना लगाए जाने वाले पौधों की फोटो समेत जानकारी डाली जा रही है। डीसी स्वयं इसकी मानिटरिग कर रहे हैं।

उपायुक्त निशांत यादव ने बताया कि हरित करनाल अभियान के तहत पूरे जिले को 79 कलस्टर में बांटा गया है। इसमें सभी 384 पंचायतें शामिल हैं। इसके तहत गांव के स्कूल, जोहड़, शमशान घाट, सड़क, पशु अस्पताल, आंगनबाड़ी, धार्मिक स्थल और जहां भी जगह उपलब्ध होगी, वहां पौधे लगाए जा रहे हैं। ये पौधे वन विभाग की ओर से निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो हर वर्ष बड़ी संख्या में पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन उनका रख-रखाव सुनिश्चित नहीं हो पाता, परिणामस्वरूप 15 से 20 फीसद पौधे ही जीवित रहते हैं। लेकिन इस बार लगाए गए पौधों के रख-रखाव के लिए जिम्मेदारी तय की गई हैं, जिसे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, स्वच्छ भारत मिशन के कार्यकर्ता और मनरेगा जिम्मेदारी निभाएंगे। सभी ग्राम सचिवों का इसमें सहयोग रहेगा।

डीसी ने कहा कि पौधा लगाना एक पुण्य का कार्य है, इसका वर्णन हमारे धर्म-ग्रंथों में भी मिलता है। पहले गांवों में पौधे लगाने का रिवाज होता था, जो धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। लोगों को शुद्ध व पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मिलती थी और वे बीमारियों से दूर रहते थे। अब कोरोना के बाद आक्सीजन की कीमत पता चलने पर लोगों को दोबारा पौधों के महत्व को समझना पड़ा। इसलिए जो भी पौधा लगाया जाए, उसे बच्चे की तरह पालें, समय पर पानी दें।

------------- आक्सीवन की शुरुआत, स्वच्छ होगा पर्यावरण

डीसी ने बताया कि जिले के रायपुर रोड़ान गांव में ट्रायल के तौर पर आक्सीवन की शुरुआत हो चुकी है। इस गांव में पांच एकड़ भूमि में पौधारोपण किया जा रहा है। उनकी देखभाल भी सुनिश्चित की जाएगी। आक्सीवन के लिए दूसरे गांव की जल्द पहचान की जाएगी। आक्सीवन ऐसी जगह होगी, जो जीवन, पौधों तथा इनके महत्व के बीच सदियों पुराने संबंधों से जुड़ने में मदद करेगी।


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