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आशियाने बचाने को भरी बरसात में सड़क पर डाला पड़ाव

प्रशासन केे 95 घरों को खाली कराने के आदेश से मामला गरमा गया है। लोग भरी बरसात सड़कों पर उतर आए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 01:45 PM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 04:37 PM (IST)

कलायत (कैथल) [जेएनएन]। प्रशासन की ओर से नगर में 95 घरों को खाली करने के नोटिस जारी करने पर बवाल खड़ा हो गया है। भड़के प्रभावितों ने इस मुद्दे को लेकर सोमवार को भारी बरसात के बीच रोष प्रदर्शन करते हुए सजूमा रोड पर पड़ाव डाल लिया है।

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लीलू राम, जोगी राम निर्मल, गोपाल राणा, शिव कुमार निर्मल, मनी राम निर्मल, विनोद कुमार, महीपाल सिंह, सुरेंद्र राणा और प्रदर्शन की रहनुमाई कर रहे दूसरे लोगों ने कहा कि प्रशासन अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए न्यायालय को गुमराह कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि वे न्यायालय के फैसले में विश्वास रखते हैं। उन्होंंने तालाबों की जमीन की जरीब द्वारा निशानदेही करने की मांग की पुरजोर मांग की।

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प्रभावितों का कहना है कि जिन घरों को प्रशासन आनन-फानन में खाली करवाने की योजना बना रहा है वे पुश्तैनी हैं। गरीब वर्ग के लोगों ने पाई-पाई जोड़कर आशियाने खड़े किए। संबंधित जमीन की रजिस्ट्री, इंतकाल, भवन नक्शे व दूसरा सरकारी रिकार्ड उनके पास मौजूद है। इन सभी दस्तावेजों को दर किनार करते हुए प्रशासन बेरुखी का परिचय दे रहा है।

प्रशासनिक स्तर पर जो जमीन संबंधी मामले अपने स्तर पर चलाए जाते रहे। आरोप है कि कुछ सरकारी अधिकारियों ने न्यायालय को वस्तुस्थिति से भ्रमित करने के लिए सरकारी रिकार्ड में प्रभावितों के स्वयं हस्ताक्षर कर डाले।

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डर-डर कर जी रहे हैं

प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना था कि न्यायालय के आदेशों की आड़ में प्रशासन आए दिन घरों पर बुलडोजर चलाने की चेतावनी देता है। इससे महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग सहमे हैं। नन्हे-मुन्नों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर न्याय दिलाने की मांग की है। इनका कहना है कि घर से बेघर होकर आखिर वे कहां जाएंगे।

क्या है जरीब

जरीब लोहे की चेन के दस कर्म के टुकड़े को कहा जाता है, जिसे विशेष परिस्थितियों में जमीन की पैमाइश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एक कर्म में साढ़े पांच फीट होते हैं। लोगों की मांग है कि प्रशासन इस जमीन की निशानदेही भी जरीब विधि से करे।

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कानून की अलग-अलग परिभाषा क्यों

प्रभावितों का कहना है कि एक तरफ प्रशासन न्यायालय के आदेशों के अनुसार तालाबों के स्वरूप को कायम रखने की दलील दे रहा है। दूसरी ओर खरक पांडवा, पिंजुपुरा व कुछ दूसरे गांवों में तालाबों की जमीन पर फोरलैन के साथ-साथ अन्य निर्माण जारी हैं। हालातों से साफ है कि साहब लोग मनमर्जी से कानून की परिभाषा कर रहे हैं।

गैरकानूनी है कब्जा, प्रशासन की है जमीन

खसरा नंबर 482/3 के संदर्भ में प्रशासन द्वारा जो नोटिस दिए गए हैं, उसमें उल्लेख किया है कि संबंधित 98 कनाल 12 मरले जमीन जो कलायत में स्थित है। वह नगर पालिका की मिलकीयत है। इसे तालाब के लिए रिजर्व रखा गया है। इसलिए इस पर किसी तरह का कब्जा गैर कानूनी है। -ओमप्रकाश देवराला, एसडीएम कलायत।
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