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Lok Sabha Election 2024: पहली लोकसभा में गूंजा यह मुद्दा 72 साल बाद भी चर्चा में, झज्जर-रेवाड़ी के लिए ऐसा क्या था खास

Lok Sabha Election 2024देश में पहले आम चुनाव 1952 में हुए। इस बीच संसद में झज्जर-रेवाड़ी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद घमंडी लाल बंसल ने एक ऐसा मुद्दा उठाया जिसकी चर्चाएं आज भी रहती हैं। तत्कालीन समय में केंद्रीय मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसके मूर्त रूप लेने की संभावनाओं से इंकार कर दिया था। समय-समय पर यह विषय नेताओं के लिए चुनावी मुद्दा भी बना।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Wed, 27 Mar 2024 02:46 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2024 02:46 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: पहली लोकसभा में उठा मुद्दा 72 साल बाद भी चर्चा में

अमित पोपली, झज्जर। Haryana Lok Sabha Election 2024:  देश की पहली लोकसभा के पहले सत्र में जिस मुद्दे को झज्जर-रेवाड़ी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद घमंडी लाल बंसल ने सदन में प्रमुखता से उठाया था। 72 साल के बाद आज भी चर्चाओं में हैं। तत्कालीन समय में केंद्रीय मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसके मूर्त रूप लेने की संभावनाओं से इंकार कर दिया था। समय-समय पर यह विषय नेताओं के लिए चुनावी मुद्दा भी बना। जिसका आज तक अंजाम पर पहुंचना शेष है।

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सांसद बंसल ने उठाया था मुद्दा

बात हो रही है 18 जून 1952 के पहले सत्र की। जब सांसद बंसल ने फार्रुखनगर से झज्जर तक शाखा रेलवे लाइन का विस्तार करने और इसे कोसली या हिसार से जोड़ने की बात सदन में उठाई थी। समय के फेर की बात करें तो आज 18 वीं लोकसभा के चुनाव का बिगुल बज चुका है। लोकसभा के रूप में झज्जर का अस्तित्व हरियाणा गठन के बाद रोहतक से जा जुड़ा।

रेलवे लाइन से जुड़ा था मुद्दा

फिलहाल, इस क्षेत्र को नए सिरे से दो चरणों में हिसार तक जोड़ने के लिए मंजूरी जरूर मिल चुकी है। झज्जर-फारुर्खनगर के बीच पहले चरण में 30 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन को मंजूरी मिली है। यह लाइन साउथ हरियाणा इकनामिक रेल कॉरिडोर(गढ़ी हरसरू-फार्रुखनगर- झज्जर -चरखी दादरी- लोहारू) का ही हिस्सा होगी। द्वितीय चरण में इस रेलवे लाइन को झज्जर से हिसार के महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट तक ले जाना प्रस्तावित है। लोकसभा के सत्र बदलने के साथ-साथ बदल रहे हालात के बीच भी यह मुद्दा आज फिर नए सिरे से चर्चा में है।

1942 में बहादुरगढ़ वायुक्षेत्र के लिए 1136.7 एकड़ भूमि की रखी थी मांग

1954 में लोकसभा के सातवें सत्र में सांसद बंसल द्वारा पूछे गए प्रश्न पर तत्कालीन समय में रक्षा मंत्री सरदार मजीठिया ने बताया कि साल 1942 में बहादुरगढ़ हवाई क्षेत्र के लिए 1136.7 एकड़ भूमि की मांग की गई थी और वार्षिक आवर्ती मुआवजा रुपये 11,480/3/6 का भुगतान 1949 तक किया गया। जिसमें 889.90 एकड़ क्षेत्र मालिकों को वापिस जारी किया गया।

जमीन मालिकों को उचित मुआवजा दिए बिना ले लिया गया

जबकि, शेष भूमि के लिए वार्षिक आवर्ती मुआवजा रु. 1951 तक 1,001/11/6 का भुगतान हुआ। संबंधित उपायुक्त को उसके बाद की अवधि के लिए भुगतान की व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिए गए है। साथ ही बताया कि शेष बची जिस जमीन को रनवे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, उस पर कोई फसल नहीं उगाई जा सकती। दरअसल, मुद्दा इस बात को लेकर उठा था कि तत्कालीन समय में बड़े उपजाऊ क्षेत्रों को उनके मालिकों को उचित मुआवजा दिए बिना ले लिया गया है।

अगर इसका क्षेत्र का कोई उपयोग नहीं होना तो उसे मालिकों को सौंपने में क्या आपत्ति है? जिस पर पुन: बताया गया कि यह पालम क्षेत्र से जुड़ा है और दी जा रही सेवाओं के लिए इसका रख-रखाव भी इसी तरह जरूरी है।

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