खुड्डन में दिखा हर ओर बजरग पूनिया का जिक्र
जागरण संवाददाता, झज्जार :
छोटी सी उम्र में पदकों का ढेर लगाने वाले गाव खुड्डन के पहलवान बजरग पूनिया का मंगलवार को उनके पैतृक गाव पहुचने पर जोरदार स्वागत किया गया। कॉमनवेल्थ गेम्स में 61 किलोग्राम वजन में रजत पदक विजेता बनने के बाद पहली दफा गाव लौटे इस पहलवान के स्वागत में हर कोई भावुक होता दिखा। ग्रामीणों द्वारा किए गए स्वागत का सिलसिला दोपहर के समय में झज्जार से प्रारभ हुआ। यहा की सीमा में पहुचते ही ग्रामीणों ने बजरग को फूलों की मालाओं से लाद दिया। बजरग के साथ पहुचे उसके कोच महाबली सतपाल, योगेश्वर दत्त और अमित कुमार का भी जोरदार स्वागत हुआ। बजरग पूनिया के यहा आने पर काग्रेसी नेता रमेश वाल्मिकी ने भी उन्हे अपने निवास पर बुलाकर खिलाड़ी का सम्मान किया। खुली जीप में देशभक्ति के गीतों की धुनों के बीच उन्हे गाव तक ले जाया गया। जहा गाव के स्कूल में आयोजित समारोह में ग्रामीणों ने उस पर खूब धन वर्षा भी की।
ग्रामीणों द्वारा किए गए इस स्वागत से अभिभूत दिखे महाबली सतपाल, ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने कहा कि गाव की मिट्टी में पहुचने के बाद जो एहसास उन्हे मिलता है, उसी का ही है नतीजा है कि वे अपने खेल में बेहतर प्रदर्शन कर पाते है। उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में हमें अपने युवाओं को सही मार्ग पर चलने की दिशा प्रदान करनी है। ताकि वे ठीक रास्ते पर चलते हुए अपने जीवन को आगे बढ़ा सके। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यहा ग्रामीणों को अपने संस्मरण भी सुनाएं और युवाओं द्वारा उत्सुकता पूर्वक पूछे जाने वाले सवालों का जवाब भी दिया।
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बातचीत के दौरान कुश्ती में भारत के लिए चादी दिलाने वाले बजरग पूनिया का अगला निशाना एशियाई खेलों में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। इसके लिए वह निरतर अभ्यास कर रहा है। उनका कहना है कि लक्ष्य तो ओलंपिक गेम्स है,मगर फिलहाल एशियाई खेल होने में कुछ समय है और इसके लिए निरतर अभ्यास जारी है। कॉमनवेल्थ में पदक जीतने के बाद पहली बार गाव में पहुचे पूनिया ने कहा कि प्रदेश सरकार खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए अच्छा काम कर रही है, मगर उसे डीएसपी बनने की उम्मीद थी, जिसे सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया है।
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बजरग के पिता बलवान सिंह और माता ओमप्यारी ने अपने बेटे को गाव के युवाओं के लिए आदर्श करार देते हुए कहा कि उनके बेटे ने सीमित संसाधनों में जिस प्रकार से बेहतर करके दिखाया है। उससे पूरे परिवार का देश में नाम रोशन हुआ है। पिता बलवान सिंह का कहना था कि वे स्वयं पहलवान बनने की इच्छा रखते थे। किंतु समय और हालात ने ऐसा होने नहीं दिया। जिसका उन्हे आज तक मलाल है। ऐसे में आज उनके बेटे ने उनका सपना पूरा किया है और उम्मीद है कि भविष्य में भी वह अपने गुरुजनों के बताए मार्ग पर चलते हुए देश के लिए और अधिक मेडल अर्जित करेगा।