थप्पड़-चप्पल प्रकरण में वायरल ऑडियो फोन पर दूसरा कौन, जिस पर सब मौन, पढ़ें और भी रोचक खबरें...
कई खबरें ऐसी होती हैं जो मीडिया में सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए बाजण दे चिमटा कालम में कुछ ही रोचक खबरों पर नजर डालते हैं...
हिसार [राकेश क्रांति]। मार्केट कमेटी के सचिव के साथ भाजपा नेत्री के थप्पड़-चप्पल प्रकरण में वायरल ऑडियो क्लिप में दो व्यक्तियों के बीच संवाद है। अगर जांचकर्ताओं के पास यही ऑडियो है और उसे सच मानकर भाजपा नेत्री को सही ठहराया गया है तो उसमें एक बड़ा सवाल छिपा है। अगर फोनकर्ता मार्केट कमेटी के सचिव सुल्तान सिंह थे तो सुनने वाला कौन था। फोनकर्ता बार-बार कहता है- मैं सुल्तान सिंह और दूसरी तरफ वाले शख्स को चेयरमैन कहकर मुखातिब होता है।
आखिर यह चेयरमैन कौन है, इस पर सब मौन है। फोन पर दोनों की वार्तालाप के शुरुआती तीन-चार मिनट को छोड़ दें तो उसके बाद तकरीबन हर वाक्य में अपशब्दों का इस्तेतमाल है। जब सचिव अपशब्द बोल रहा था तो चेयरमैन ने रोका-टोका नहीं। फोन डिसकनेक्ट करने के बजाय दिलचस्पी से सुनता गया। ताज्जुब है कि कथित चेयरमैन को अपने नेताओं के बारे में ऐसी बात सुनकर गुस्सा नहीं आया।
मनोहर से ताल मिलाने वाला होगा नया अध्यक्ष
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन करने में पार्टी हाईकमान जल्दाबाजी नहीं करना चाहता। जातीय आधार ही नहीं, हर कोण पर मंथन चल रहा है। सर्वविदित है कि सूबे में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में फिलहाल सत्ता के तीन केंद्र है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री जाहिर ही हैं। तीसरे गृह मंत्री, जिनके सुर कभी-कभी मुख्यमंत्री से मिलते नजर नहीं आते। ऐसे में भाजपा हाईकमान पार्टी संगठन की कमान ऐसे शख्स को सौंपना चाहेगा, जिसके सुर अलग न हों। वह ऐसा चेहरा होगा जो विशेषकर मुख्यमंत्री की ताल से ताल मिलाकर प्रदेश में सरकार और संगठन को मजबूती प्रदान कर सके। अगर चयन करते वक्त इसी आधार को प्रमुखता दी जाएगी तो प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर अप्रत्याशित चेहरा भी नजर आ सकता है। जाने-पहचाने नामों के बीच एक ऐसा नाम झूल भी रहा है। भारत और चीन के बीच विवाद नहीं बढ़ता तो अध्यक्ष का एलान हो चुका होता।
मेमना का शिकार करना चाहता था शेर
कहानी पुरानी है, सच है या झूठ पता नहीं पर लगती आज भी सच्ची जैसी है। नदी पर शेर और मेमना पानी पी रहे थे। शेर ने कहा-तूने पानी झूठा कर दिया। मेमना बोला-आपकी तरफ से पानी बह रहा है, जूठा मैं पी रहा हूं। शेर बोला-तूने एक साल पहले मुझे गाली दी थी। मेमना बोला-मेरी उम्र ही छह महीने है। शेर बोला-फिर तेरे पिता ने दी होगी। मेमना बोला-उसमें मेरा क्या कसूर। इसी दौरान शेर मेमना के पास आया और उसे खा गया। सार-शेर का मन मेमना के शिकार करने का था। अब दूसरी कहानी सुनिए। ये नई है, सच्ची है या झूठी, जांच जारी है। एक महिला नेता ने एक अफसर की पिटाई कर दी। आरोप है-अफसर किसानों की नहीं सुनता था, भ्रष्टााचार करता था। और हां, उसने आठ महीने पहले अपने एक दोस्त को फोन कर नेताओं को गालियां दी थीं। निवेदन-दोनों कहानियों को जोड़कर मत सोचिए।
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए
उसी को जीने का हक है जो इस जमाने में/ इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए। वसीम बरेलवी के इस शेर को शायद पानीपत के भाजपा नेताओं ने को आत्मवसात कर लिया है। तभी सत्ता में रहते विपक्ष की भूमिका भी निभा रहे हैं। पिछले पांच दिन में ऐसे दो प्रदर्शन हुए हैं। बीते रविवार को भाजपा की प्रदेश में पहली जनसंवाद वर्चुअल रैली थी। भाजपा पार्षद देव मलिक मोबाइल पर ऑनलाइन वर्चुअल रैली में भी शामिल थे और सड़क पर जमा पानी में मेज पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे। दरअसल, विधायक ने गड्ढ़े ठीक करने के आदेश दिए मगर अफसरों ने करवाए नहीं। दूसरा प्रदर्शन मेयर अवनीत कौर के कार्यालय के बाहर हुआ। उनके पिता पूर्व मेयर सरदार भूपेंद्र सिंह धरना देकर बैठ गए। वह अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वैसे ये दोनों प्रदर्शन विपक्ष को करने चाहिए थे।
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