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व्यक्ति के सद्गुण ही उसकी स्थाई निधि : मुनि विजय कुमार

जागरण संवाददाता हिसार कटला रामलीला स्थित तेरापंथ भवन के अहिसा सभागार में व्यक्ति की स्थाइ

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 05:47 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 05:47 AM (IST)
व्यक्ति के सद्गुण ही उसकी स्थाई निधि : मुनि विजय कुमार

जागरण संवाददाता, हिसार : कटला रामलीला स्थित तेरापंथ भवन के अहिसा सभागार में व्यक्ति की स्थाई निधि विषय पर बोलते हुए महातपस्वी आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन मुनि विजय कुमार ने कहा कि गृहस्थ व्यक्ति की अनगिनत आवश्यकताएं होती हैं। उन आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूर्ति बिना धन के संभव नहीं है। यही कारण है कि उसकी भागदौड़ धन के पीछे लगी रहती है। उसकी सोच भी यही रहती है कि पास में

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धन है तो सब कुछ है, धन नहीं है तो कुछ भी नहीं है। कहना चाहिए कि कलियुग में पैसा ही भगवान के आसन पर प्रतिष्ठित हो रहा है। किसी ने बहुत कहा भी है कि ए पैसे! तू भगवान तो नहीं, किन्तु भगवान की कसम भगवान से कम भी नहीं है। धन की भूमिका को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। यह जीवन निर्वाह का अनिवार्य साधन है कितु यही जब साध्य बन जाता है तो व्यक्ति इसके पीछे पागल होकर अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है। ठीक ही कहा गया है कि आदमी भी अजीब है, जो दौलत कमाने के लिए अपनी सेहत को गंवा देता है और फिर सेहत को बचाने के लिए दौलत को गंवा देता है। धन की देवी लक्ष्मी के लिए कहा गया है कि वे एक जगह स्थित होकर नहीं रहती हैं। लक्ष्मी का स्वभाव जानते हुए भी अगर कोई उस पर अभिमान करता है तो वह उसका अज्ञान ही है और जानते हुए भी व्यक्ति अनजान बन जाता है। धन कमाने के साथ व्यक्ति कुछ बचाना भी चाहता है। मुनि श्री ने बताया कि स्थाई निधि तो वह है जो सदा व्यक्ति के पास रहती है और कभी नष्ट नहीं होती। वह है व्यक्ति की विनम्रता, सेवा परायणता, ईमानदारी, परोपकार की भावना, नीति निष्ठा, सदाचारिता आदि। व्यक्ति के सद्गुण ही उसके जीवन की स्थाई निधि हैं। जो मरने के बाद भी उसे अमर बना देती है। इस अक्षय निधि को कभी किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है, न इस पर किसी प्रकार टैक्स ही लगता है। हर व्यक्ति इस स्थायी निधि को अपने जीवन में सुरक्षित रखे। शासन मुनिश्री ने चातुर्मास काल में जिन्होंने तपस्या की, जैन विद्या का प्रशिक्षण लिया व विविध प्रतियोगिताओं में भाग लिया, उन सबके प्रति मंगल भावना व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में वे इसी तरह सत्पुरुषार्थ करके अपनी आत्मा को धन्य बनाते रहें।

कार्यक्रम के अंतर्गत चातुर्मास काल में तपस्या करने वाले भाई बहनों, घर बैठे विशेष धर्मारधना करने वालों और जैन विद्या परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को तेरापंथी सभा महिला मंडल प्रधान रवि जैन, योगिता जैन, विजया जैन, शशी जैन आदि द्वारा सम्मानित किया गया। आओ चलें गांव की ओर कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण व्यक्तियों को तेरापंथ महिला मंडल प्रधान रवि जैन द्वारा कंबल बांटने की घोषणा

की गई।


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