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शूटर दादी ने रणदीप हुड्डा के लिए किया ट्वीट, म्‍हारा छोरा तो काले फोटू में भी रंगीन लागै सै

शूटर दादी के नाम से प्रसिद्ध बागपत के जोहड़ी गांव की चंद्रो तोमर उर्फ शूटर दादी एक निशानेबाज हैं। उनकी उम्र 86 वर्ष की है और वह आज भी सटीक निशाना लगाती हैं। उन पर फिल्‍म बन रही है

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 01:49 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 05:24 PM (IST)
शूटर दादी ने रणदीप हुड्डा के लिए किया ट्वीट, म्‍हारा छोरा तो काले फोटू में भी रंगीन लागै सै
शूटर दादी ने रणदीप हुड्डा के लिए किया ट्वीट, म्‍हारा छोरा तो काले फोटू में भी रंगीन लागै सै

रोहतक, जेएनएन। रोहतक के छोरे फिल्म स्टार रणबीर हुड्डा की तस्वीर की शूटर दादी ने ट्विटर पर प्रशंसा करते हुए कहा-रणदीप हुड्डा के लिए बोलीं-शूटर दादी, महारा छोरा तो काले फोटू में भी रंगीन लागे है, वाह बेटे वाह । रणदीप ने भी शूटर दादी को उत्तर दिश -थारा आशीर्वाद है दादी। हुआ यह कि ट्विटर पर अपनी एक श्वेत-श्याम तस्वीर रणदीप ने पोस्ट की है। इसमें वह घोड़े पर सवार हैं। इसी तस्वीर पर शूटर दादी ने कमेंट किया था।

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बता दें कि शूटर दादी के नाम से प्रसिद्ध बागपत के जोहड़ी गांव की चंद्रो तोमर उर्फ शूटर दादी एक बेहतरीन निशानेबाज हैं। उनकी उम्र इस समय 86 वर्ष की है और वह आज भी सटीक निशाना लगाती हैं। वह 30 से अधिक राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं और विश्व की सबसे पुरानी शार्प शूटर का दर्जा पा चुकी हैं। उनकी देवरानी प्रकाशो तोमर भी बेहतरीन निशानेबाज हैं। शूटर दादी की जिंदगी पर सांड की आंख नाम की फिल्म भी बन रही है जो इसी साल  25 अक्टूबर को रिलीज होगी।

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कहती हैं उम्र का निशानेबाजी कोई ताल्‍लुक नहीं
उम्र और निशानेबाजी के इस तालमेल को लेकर चंद्रों का कहना है कि निशानेबाजी से उनकी उम्र को कोई ताल्लूक नहीं है। वो कहती हैं कि अगर आप में हिम्मत है तो आप किसी भी उम्र में कुछ भी कर सकते हैं। इनके निशानेबाज बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, साल 2001 में चंद्रों अपनी पोती को गांव की ही शूटिंग रेंज में शूटिंग सिखाने जाती थी। एक दिन पोती ने कहा कि दादी आप भी निशाना लगा कर देखो। चंद्रों ने 2-3 निशाने एक दम सही लगाए। जब राइफल क्लब के कोच ने दादी को यू शूटिंग करते देखा तो वह दंग रह गए। इसके बाद उन्होंने शूटर दादी को शूटर बनने की ट्रेनिंग दी। सटीक निशाने लगाने के बाद दादी ने निशानेबाजी में ध्यान देना शुरू किया। देखते ही देखते उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और साथ ही कई पदक भी जीते। 

गांव वालों के सहने पड़े ताने
इसी बीच शूटर दादी को समाज के कई तानें भी सुनने पड़े। गांव वाले उनका मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि बुढ़िया इस उम्र मे कारगिल जाएगी क्या? लेकिन उन्होंने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। आज सारी दुनिया उनके इस फैसले की नतीजा देख रही है। उनका लक्ष्य हमेशा शूटिंग ही रहा है। वह 25 मी. तक का निशाना लगा चुकी हैं। अब वो बहुत सी लड़कियों को शूटिंग रेंज बनाकर निशानेबाजी सिखा रही हैं और लड़कियां भी मेडल लाना शुरू कर चुकी हैं।

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