प्रकृति के प्रति सतबीर का प्यार है अनोखा, 'जीवनदाता' को पालने में खुद को किया समर्पित
बहादुरगढ़ के सतबीर का प्रकृति के प्रेम अनोखा है। बिजली विभाग से फाेरमैन पद से रिटायर सतबीर पौधारोपण और इन पौधों को पालने के प्रति समर्पित हैं।
बहादुरगढ़, [कृष्ण वशिष्ठ]। बिजली विभाग से फाेरमैन से रिटायर हुए सतबीर का प्रकृति के प्रति प्रेम और दीवानगी बेहद अनोखी है। उन्होंंने 'जीवनदाता' पौधों और वृक्षों को पालने में अपनी जिंदगी को समर्पित कर दिया है। पौधों और वृक्षों के प्रति उनके प्यार और समर्पण को इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने पौधों के सुरक्षा के लिए ईंटों से पक्का गार्ड बनाने को अपने पैतृक मकान हिस्से को तोड़ दिया।
पौधों को बचाने के लिए पैतृक मकान को तोड़कर उससे निकली ईंटों से बनाए पक्के गार्ड
बहादुरगढ़ के सेक्टर छह निवासी सतबीर बड़, पीपल व नीम के पौधे लगाते हैं और उनके वृक्ष बनने तक पूरी देखभाल करते हैं। उनका कहना है तीनों पेड़ हमारी संस्कृति का प्रतीक हैं। इनका जीवनकाल भी बहुत बड़ा है। वे छाया भी बहुत घनी देते हैं। नीम जड़ी-बूटी में प्रयोग होता है। बड़ व पीपल हमें ऑक्सीजन देते हैं। इन तीनों 'जीवनदाता' को पालने की मैंने जिद पाल रखी है। जब से होश संभाला है पौधारोपण कर रहा हूं। अब तक एक हजार से ज्यादा पौधों को पालकर पेड़ बना चुका हूं, जिनकी छाया लोगों को शीतलता प्रदान कर रही है।
बिजली बोर्ड से फोरमैन के पद से रिटायर सतबीर कई सालों से कर रहे हैं पौधारोपण
मूलरूप से रोहतक के गांव नया बांस निवासी सतबीर बिजली बोर्ड से फोरमैन के पद से रिटायर हो चुके हैं और पौधारोपण को ही अपने जीवन का ध्येय बनाए हुए हैं। सतबीर कहते हैं, अपने गांव में भी हर 10-15 दिन में जाकर पौधे लगाता रहता हूं। पौधों को पालने की जिद उनमें इस कदर हावी है कि गांव में स्थित अपने पैतृक मकान को तोड़कर उसमें से निकलीं ईंटों से पौधों के लिए पक्के गार्ड बना दिए। वह गांव के जोहड़ किनारे, बणी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र आदि स्थानों पर पौधे लगाता रहते हैं।
सतबीर कहते हैं, पौधारोपण को लेकर मेरे कार्य में अब गांव के सरपंच भी सहयोग कर रहे हैं और गमले बनाने के लिए निर्माण सामग्री तक मुहैया करा रहे हैं। सतबीर बताते हैं कि वैसे तो मैं बचपन से ही पौधे लगाने का शौकीन रहा हूं लेकिन पौधारोपण को लेकर असली जुनून होश संभालने के बाद तब हुआ, जब एक दिन मैं अपने खेत में गया हुआ था। हमारा एक खेत बंजर था। यहां पर एक भी पेड़ नहीं था। तेज धूप थी और पेड़ न होने की वजह से मुझे कहीं पर भी छाया नहीं मिली। बस उस दिन से मन में ठान लिया कि छायादार पेड़ लगाऊंगा।
अब तक एक हजार से ज्यादा पौधों को बना चुके पेड़, बड़, पीपल व नीम के पौधे ही लगाते हैं सतबीर
सतबीर कहते हैं, उसी दिन से मुझे पौधारोपण को लेकर जुनून हो गया। मैं बिजली बोर्ड में नौकरी के दौरान हिसार, नारनौल व शाहाबाद सहित कई स्थानों पर तैनात रहा। वहां भी पौधारोपण करता रहा। जब भी मौका मिलता पौधे लगा देता और उनकी देखभाल करता। सतबीर उतने ही पौधे लगाते हैं जिनकी आसानी से देखरेख कर सकें। वह अपने लगाए हुए पौधे की देखभाल अपने बच्चों की तरह करते हैं। वह हर साल अपनी पेंशन से 30 से 50 हजार रुपये पौधों की सुरक्षा पर ही खर्च कर देते हैं।
मकान पर ही तैयार करते हैं पौधे, प्लास्टिक की बोतल को बनाते हैं गमला
सतबीर बताते हैं, अपने मकान पर ही बड़, पीपल व नीम की पौध तैयार करता हूं। 10-12 पौध तैयार होने पर उन्हें अपनी स्कूटी पर रखकर निकल पड़ता हूं उनका रोपण करने के लिए। सतबीर बताते हैं कि पौधारोपण में गड्ढा खोदने व अन्य काम में प्रयोग होने वाले औजार भी अपनी स्कूटी में रखते हैं। जहां पर भी उन्हें दीवारों व नालियों आदि में बड़, पीपल व नीम की पौध दिखाई देती है तो उसे उखाड़कर ले आते हैं और कोल्ड ड्रिंक आदि की प्लास्टिक की बोतल का प्रयोग कर उसमें इन पौधों को लगाकर उन्हें नया जीवन देते हैं। सतबीर लोगों से भी कहते हैं कि पेड़-पौधे धरती का श्रृंगार हैं। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करना चाहिए।
हर गांव में एक सतबीर जरूर होना चाहिए: जसवीर
रोहतक के नया बांस गांव के सरपंच जसबीर बताते हैं कि सतबीर की वजह से ही उनके गांव में काफी संख्या में बड़-पीपल पेड़ हैं। अगर हर गांव में एक सतबीर हो जाए तो यह धरती हरी-भरी हो जाएगी। जसवीर ने कहा, सतबीर के पौधारोपण के प्रति जुनून को देखते हुए मैंने भी पंचायत की तरफ हर संभव सहयोग करने का वादा किया है। उधर, शहर के सेक्टर छह स्थित वरिष्ठ नागरिक क्लब के पदाधिकारी जयपाल सांगवान बताते हैं कि सतबीर को हमारी संस्था सम्मानित भी कर चुकी है। सतबीर के साथ मिलकर क्लब के सदस्य भी पौधारोपण में अब उनका सहयोग करेंगे।
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