Move to Jagran APP

चुनाव जीतने के लिए 'हाथी' की सवारी, फिर 'कमल' थाम सरकार से वफादारी

बसपा ने भाजपा सरकार का समर्थन करने पर अपने एकमात्र विधायक को पार्टी से निकाल दिया है। इससे पहले भी बसपा के विधायक सत्‍ता का दामन थामते रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 01 Jul 2018 01:33 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:00 PM (IST)
चुनाव जीतने के लिए 'हाथी' की सवारी, फिर 'कमल' थाम सरकार से वफादारी

हिसार, [जगदीश त्रिपाठी]। वही हुआ। जो सब सोच रहे थे। इनेलो का  'अभय' पाठ पढ़ने के बाद बहुजन समाज पार्टी ने पृथला से अपने इकलौते विधायक टेकचंद शर्मा को आउट करार दे दिया। हालांकि टेकचंद शर्मा सदन से आउट नहीं होंगे और सरकार को उनका मनोहर साथ मिलता रहेगा। वैसे शर्मा बसपा के ऐसे पहले विधायक नहीं हैं, जो सदन में हाथी लेकर पहुंचे और सुविधानुसार हाथ पकड़ लिए, चश्मा पहन लिए या कमल खिलाने लगे।

loksabha election banner

अब तक  बसपा की टिकट पर बारी बारी जीते पांचों विधायकों ने यही किया है, लेकिन पार्टी ने निकाला केवल शर्मा को ही। वजह स्पष्ट है। पहले भी पार्टी ने किसी विधायक को सरकार का सपोर्ट करने को नहीं कहा था, पर रोका भी नहीं था। इस बार भी इनेलो-बसपा गठबंधन न होता तो शर्मा बसपा में चुनाव तक तो बने ही रहते।

इनेलो ने पढ़ाया अभय पाठ, कमल पर मुग्ध हुए टेकचंद के लिए अब बसपा नहीं रही नेक

बसपा ने सन् 1991 में पहली बार सदन में एंट्री मारी थी, जब अंबाला के नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सुरजीत सिंह विधायक बनकर पहुंचे। हालांकि इसके बाद 96 के चुनाव में बसपा का कोई प्रत्याशी नहीं जीता, लेकिन उसके बाद हुए चारों चुनावों में उसके एक-एक विधायक चुने जाते रहे। सन् 2000 में जगाधरी से बिशन सिंह सैनी, 2005 में छछरौली से अर्जुन सिंह गुर्जर और 2009 में छछरौली से ही अकरम खान विधायक बने। 2014 में पृथला विधानसभा क्षेत्र से टेकचंद शर्मा बसपा के विधायक बने।

यह भी पढ़ें: यूं खपेंगे चिप्स-कुरकुरे के खाली प्‍लास्टिक पैकेट, सड़कों के निर्माण में होगा इस्‍तेमाल

हाथी पर चढ़कर अब तक कोई दूसरी बार नहीं पहुंचा सदन में

शर्मा बाकी चारों से इस मामले में अलग हैं कि केवल वही पार्टी से निकाले गए। वह इस मामले में भी अलग हैं कि उन्होंने फरीदाबाद के पृथला में हाथी को सहारा दिया। इसके पहले बसपा के सभी विधायक (और इकलौते सांसद भी) बसपा के जनाधार वाले यमुनानगर-अंबाला के क्षेत्रों से ही चुनकर आते रहे हैं। इनेलो के साथ गठबंधन कर इस बार बसपा सदन में अपने विधायकों की संख्या बढ़ा सकती है, लेकिन गठबंधन विधानसभा चुनावों तक बरकरार रहे तब।

यह भी पढ़ें: चंडीगढ़ में रेसलिंग सुंदरियों से घिरे दिखे ग्रेट खली, बोले- सरकार से दूर ही भले

इसके पहले 1998 में बसपा और इनेलो का गठबंधन हुआ था। दोनों ने लोकसभा का चुनाव साथ लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले ही दोनों का साथ छूट गया था। बसपा का सन 2009 में हजकां के साथ हुआ गठबंधन भी चुनाव से पहले टूट गया था। हजकां अब कांग्रेस का हिस्सा है।

-----------------

चश्मा लगा तो हाथी पहुंच गया दिल्ली

सन् 1998 के लोकसभा चुनाव में चश्मा लगाकर हाथी पर सवार हुए अमन नागरा लोकसभा पहुंच गए। यह बात अलग है कि इनेलो के समर्थन की इसमें अहम भूमिका थी। मात्र 14 महीने बाद हुए संसदीय चुनाव में इनेलो-भाजपा का गठबंधन हो गया और उसके बाद लोकसभा में हरियाणा से बसपा की एंट्री पर लाॅक लग गया, जो अभी तक नहीं टूट पाया है।

यह भी पढ़ें: विज और महिला एसपी संगीता कालिया फिर आमने-सामने, मंत्री की बैठकों में नहीं आ रहीं

----

भाजपा के विधायक भी मौकापरस्ती में पीछे नहीं

केवल बसपा के विधायक ही जीतने के बाद सत्तारूढ़ दल के साथ हो जाते हों, ऐसा नहीं है। अनिल विज जैसे कुछ अपवादों को छोड़ दें तो ज्यादातर निर्दलीय जीतकर आने वाले विधायक इस राह के राही रहे हैं। भाजपा के विधायक भी ऐसा कर चुके हैं। सन् 1991 में भाजपा के दो विधायक जीते थे, शाहाबाद से केएल शर्मा और महेंद्रगढ़ से रामबिलास शर्मा। जीतने के बाद केएल शर्मा कांग्रेस में शामिल होकर भजनलाल मंत्रिमंडल में मंत्री बन गए।

इसके बाद 2005 के चुनाव में दो विधायक हसनगढ़ से नरेश मलिक और नारनौंद के रामकुमार गौतम जीते। दिलचस्प बात यह रही कि भाजपा ने रामकुमार गौतम को अपने विधायक दल का नेता बनाया और वह खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की गोद में बैठ गए, जबकि नरेश मलिक भाजपा के ही साथ रहे।

यह भी पढ़ें: इस महिला ने एक के बाद एक कीं पांच शादियों, सभी को लगाया खास अंदाज में चूना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.