यूं खपेंगे चिप्स-कुरकुरे के खाली प्लास्टिक पैकेट, सड़कों के निर्माण में होगा इस्तेमाल
चिप्स-कुरकुरे के रैपर का इस्तेमाल अब सड़क निर्माण में होगा। इससे पर्यावरण के लिए पैदा हुई समस्या का समाधान होगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। बच्चों के मनपसंद चिप्स-कुरकुरे के रैपर पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। मल्टी लेयर प्लास्टिक (एमएलपी) होने के कारण यह खत्म नहीं हो रही है। रोज कई हजार टन ऐसा प्लास्टिक प्रयोग हो रहा है। अब इस एमएलपी को सड़क निर्माण में खपाने की तैयारी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे लेकर थापर यूनिवर्सिटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रयोग भी सफल रहा है। अब पीडब्ल्यूडी विभाग अब इसका प्रयोग वहां पर करेगा, जहां पर हैवी व्हीकल गुजरते है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो एमएलपी को खत्म करने के लिए सड़क सबसे अच्छा जरिया बनेगा।
थापर यूनिवर्सिटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रयोग सफल, केंद्र को भी देनी होगी मंजूरी
शोध के लिए लुधियाना में इकोलाहा गांव से गुजरती सड़क पर एमएलपी को कोलतार के साथ प्रयोग करके एक छोटे हिस्से का निर्माण किया गया था। थापर यूनिवर्सिटी, पटियाला के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की ओर से इस साइट में टेस्ट किया गया है और इसको हरी झंडी दी। इस लिए सड़कों की मजबूती और टिकाऊपन के मामले में एमएलपी के सामूहिक प्रभाव का जायजा लेने के लिए कुछ और सड़के बनाई जाएगी। यह सड़कें वहां पर बनेंगी जहां पर हैवी व्हीकल गुजरता है, ताकि सड़क की मजबूती और टिकाऊपन का सटीक अंदाजा हो जाए।
हाईवे रिर्सच बोर्ड को भेजी जाएगी रिपोर्ट
पंजाब के लोकनिर्माण मंत्री विजय इंद्र सिंगला ने विभाग के अधिकारियों और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन से इस बारे में बातचीत की। उन्होंने बताया कि इससे केस के अध्ययन का नतीजा औपचारिक स्वीकृति के लिए के लिए हाईवे रिर्सच बोर्ड (आइआरसी) को भेज दिया जाएगा। बोर्ड से सड़कों, फुटपाथों के निर्माण और मरम्मत में एमएलपी की अन्य सामग्री के साथ प्रयोग के बारे में भी दिशा निर्देश लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सड़कों और फुटपाथ के निर्माण के लिए मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक का प्रयोग करने से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का भी हल निकलेगा।
हर साल जमा हो रहा हजारों टन प्लास्टिक
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने कहा कि बाजार में चिप्स, स्नैक्स और माउथ फ्रेशनर्स की पैकिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक के पैकेट न गलते हैं और न ही इनका कोई हल है। एमएलपी प्रत्येक वर्ष हजारों टन के हिसाब से इकट्ठा हो रहा है, जो कि ईको सिस्टम के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि सड़कों के निर्माण में एमएलपी के प्रयोग संबंधी एक आशा की किरण है। यह कदम आने वाले दिनों में काफी अहम सिद्ध होगा।