Move to Jagran APP

कोरोना काल में दिल की बीमारी को हलके में न लें, हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताई वजह

भारत जैसे देश के लिए यह एक चिंताजनक बात है जहां हृदय रोग का बोझ पहले से ही खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। बंदी के दौरान देश भर में फिटनेस और हेल्थ के प्रति एक नई चेतना पैदा होती देखी गई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 12:54 PM (IST)
कोरोना काल में दिल की बीमारी को हलके में न लें, हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताई वजह
आर्टेमिस अस्पताल हृदय रोग विशेषज्ञ डा. मनजिंदर संधू

गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। जहां कोविड-19 ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया है, वहीं यह बीमारी एक चेतावनी के रूप में भी आई है। खासकर उन लोगो के लिए जो भागदौड़ भरी जिंदगी की वजह से अपनी जीवनशैली पर ध्यान नहीं देते थे।आर्टेमिस अस्पताल हृदय रोग विशेषज्ञ डा. मनजिंदर संधू ने कहा कि माना जा रहा था यह वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन जैसे-जैसे विज्ञानिको ने इस पर खोज की पता चला कि यह वायरस कार्डियक मरीज़ो के लिए जानलेवा हो सकता है।

loksabha election banner

भारत जैसे देश के लिए यह एक चिंताजनक बात है जहां हृदय रोग का बोझ पहले से ही खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। बंदी के दौरान देश भर में, फिटनेस और हेल्थ के प्रति एक नई चेतना पैदा होती देखी गई है। अच्छी बात है कि जहां जिम बंद है वहां लोग वेट फ्री और कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम करके लोग अपना ध्यान रख रहे हैं, एवं साइकिल चलाना एक्सरसाइज करने का एक मुख्ये आकर्षण बन गया है। घर बैठकर लोगो को न सिर्फ मानसिक परन्तु शारीरिक ध्यान रखने की भी ज़रूरत है क्योकि इसका असर सीधा आपके दिल पर होता है। कोलेस्टेरॉल,कैल्सियम के धमनियों में जमा होने से अपने दिल तक जाने वाले खून के मात्रा कम हो सकता है जो कोरोनरी आर्टीरीज डिजीज का मुख्य कारण है।

मनजिंदर संधू ने कहा कि हम लोगो से आग्रह करते है की दिल की बीमारी को हलके में न ले और समय पर इलाज पर इलाज कराए। कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें चर्बी (फैट), प्लेटलेट्स और कैल्शियम शरीर में जमा होने से ह्रदय की धमनियां संकीर्ण हो जाती हैं और इस वजह से ह्रदय को होने वाली खून की आपूर्ति में कमी आ जाती है। जहा हम आज आधुनिक उपचारो से घिरे है वही इस बीमारी के डर से अस्पताल जाने से डर रहे है। परन्तु जैसे जैसे लोखड़ौन ख़तम हो रहा है दिखाई दे रहा है की ज्‍यादातर अस्पतालों में दोबारा आनेवाले ऐसे मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है जिनकी एन्जियोप्लास्टी कराई जा चुकी है और उन्हें इसी प्रक्रिया के लिए एक बार फिर अस्पताल लाया जा रहा है।

इन मरीज़ो के लिए इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) जैसी प्रक्रियाएं है जो अवरुद्ध धमनी को अधिक सटीक तरीके से देखने में मदद करती हैं और पट्टिका की पहचान की अनुमति देती हैं जो एंजियोग्राफी के दौरान पूरी तरह से पता नहीं लगा सकती हैं। इस प्रक्रिया की मदद से मरीज़ जल्द से जल्द इलाज करवाकर घर जा सकते है। 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.