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India China Tension News: लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान बोले- 1962 में नहीं थी युद्ध की तैयारी, आज हर स्तर पर है

युद्ध करना है या नहीं यह निर्णय लेने का अधिकार राजनीतिक नेतृत्व के पास है। वर्तमान में राजनीतिक नेतृत्व हर स्तर पर तैयार है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 10:15 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 05:54 PM (IST)
India China Tension News: लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान बोले- 1962 में नहीं थी युद्ध की तैयारी, आज हर स्तर पर है
India China Tension News: लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान बोले- 1962 में नहीं थी युद्ध की तैयारी, आज हर स्तर पर है

गुरुग्राम [आदित्य राज] India China Tension News:  सन् 1962 के युद्ध के लिए भारतीय सेना को तैयार नहीं किया गया था। उस समय के राजनीतिक नेतृत्व को लग रहा था कि चीन हमला नहीं करेगा? कहीं न कहीं दूरदर्शिता का अभाव था। दुश्मन की चाल को उस समय का राजनीतिक नेतृत्व नहीं समझ सका था। उसका परिणाम था कि 1962  बिना किसी पूर्व तैयारी के ही भारतीय सेना को मैदान-ए-जंग में जाना पड़ा था। इसके बाद भी जवानों ने चीन के छक्के छुड़ा दिए थे। आज परिस्थिति बिल्कुल अलग है। राजनीतिक नेतृत्व भी सजग है और भारतीय सेना भी हर स्तर पर तैयार है। सजग राजनीतिक नेतृत्व की वजह से आज पूरी दुनिया भी चीन के खिलाफ है।

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यह जानकारी लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान ने दैनिक जागरण से बातचीत में दी। वह चीन से युद्ध के दौरान सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट थे। उनका कहना है कि आज यदि युद्ध होता है तो भारतीय सेना पानी पिला देगा। भारतीय सेना देश के लिए लड़ती है जबकि चीन की सेना कम्युनिस्ट पार्टी के लिए लड़ती है। भारतीय सेना में अपनी इच्छा से लोग भर्ती होते हैं जबकि चीन में जबर्दस्ती भर्ती की जाती है। भारतीय सेना के पास पहाड़ी इलाकों में युद्ध करने का विशेष अनुभव है। यह चीन के पास नहीं। कई युद्ध की वजह से भारतीय सेना के पास काफी अनुभव है। ऐसा चीन के पास नहीं। देश के एक-एक व्यक्ति को पता होना चाहिए कि 1962 का युद्ध भारतीय सेना ने नहीं हारा था। भारतीय सेना उस समय भी किसी भी स्तर पर कमजोर नहीं थी। युद्ध करना है या नहीं, यह निर्णय लेने का अधिकार राजनीतिक नेतृत्व के पास है। वर्तमान में राजनीतिक नेतृत्व हर स्तर पर तैयार है। इस वजह से सेना भी हर स्तर पर अलर्ट मोड में है। किसी भी क्षेत्र में मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना तैयार बैठी है।

लद्दाख की पहाड़ियों पर भारतीय सेना

कुछ समय पहले तक भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पीछे थी। चीन की सेना भी पीछे थी। इस समय भारतीय सेना एलएसी के ऊपर बैठी है। इससे चीन काफी परेशान है। सबसे बड़ी बात यह है कि लद्दाख की पहाड़ियां ऐसी हैं कि वहां से चीन सीमा में दूर-दूर तक दिखाई देता है। जो सेना ऊंचाई पर होती है, युद्ध के दौरान वह मजबूत होती है। इस समय भारतीय सेना के साथ यही स्थिति है। कारगिल के दौरान भारतीय सेना को काफी नुकसान इसलिए हुआ था कि क्योंकि दुश्मन ऊंचाई पर बैठा था। इसके बाद भी भारतीय सेना ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे। ऐसा चीन की सेना नहीं कर सकती है। पहली बात उसे अनुभव नहीं व दूसरी बात यह कि यदि सेना आगे बढ़ेगी तो दूर से ही भारतीय सेना को दिखाई देगी। इस वजह ये युद्ध होने पर उसका भारी नुकसान होगा। भारतीय सेना के पास पहाड़ी इलाकों में युद्ध का क्या अनुभव है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सेना 36 साल से सियाचीन में है।

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