बारिश से बेहाल गुरुग्राम: पूरे शहर का ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं, अंडरपास में जलभराव के लिए ये हैं जिम्मेदार
Gurugram Water Logging गुरुग्राम में जलजमाव की समस्या होने पर सभी एक दूसरे पर आरोप लगाने लगते हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िए आखिर कौन है इस जलजमाव का जिम्मेदार।
गुरुग्राम [गौरव सिंगला]। Gurugram Water Logging: गुरुग्राम ही नहीं दिल्ली-एनसीआर में बने अंडरपासों में जलभराव का जिम्मेदार कोई एक व्यक्ति या विभाग नहीं है। इसमें टाउन प्लानर, अधिकारी व इंजीनियर सभी शामिल हैं। जब समस्या पैदा हो जाती है तब सभी एक दूसरे पर आरोप लगाने लगते हैं। मानसून से पहले नगर निगम, जीएमडीए व अन्य विभाग बरसाती नाले साफ करने के लिए करोड़ों रुपये के एस्टीमेट तैयार कर डकार जाते हैं, लेकिन जब बरसात होती है तो पूरा शहर जलमग्न होता है। पैसे इन्हीं नालों में बहा दिया जाता है। इन अंडरपासों के निर्माण के समय जलनिकासी की ठीक ढंग से योजना नहीं की जाती है। पूर्व अधिकारियों की माने तो प्रशासनिक अधिकारी टाउन प्लानर की राय को दरकिनार कर अपने मुताबिक मास्टर प्लान तैयार कर लेते हैं। यही वजह है कि थोड़ी सी बारिश में शहरों में बाढ़ जैसे मंजर दिखाई देने लगता है।
मास्टर ड्रेन की सफाई न होने से बढ़ी परेशानी
गुरुग्राम गोल्फ कोर्स रोड के अंडरपास में पानी भरने का मुख्य कारण मास्टर ड्रेन की सफाई न होनी थी। बारिश के पानी के लिए बनाएं गए कुंए की क्षमता 20 लाख लीटर है और उससे पानी को पंप कर मास्टर ड्रेन में डाला जाता है लेकिन मास्टर ड्रेन की मानसून से पहले सफाई न होने की वजह से पानी वापिस कुंए में आ रहा था। बताया जा रहा है कि पिछले दो दिन में लगभग 50-60 एमएलडी (5-6 करोड़ लीटर) पानी अंडरपास से निकाला गया है।
ड्रेन को लेकर रहा है विवाद
हरियाणा, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के मुख्य नगर योजनाकार (रिटा.), आरटी यादव कहते हैं कि गोल्फ कोर्स रोड का निर्माण डीएलएफ प्रबंधन और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी)ने मिलकर किया लेकिन रोड बनने के समय ड्रेन बनाने को लेकर दोनों के बीच विवाद रहा। दोनों एक दूसरे पर ड्रेन निर्माण का कार्य थोपते रहे। लेकिन ड्रेन का निर्माण नहीं हुआ। इसके अलावा कुछ जगहों पर गोल्फ कोर्स रोड के साथ सटे छह फुट के बरसाती नालों की सफाई नहीं हुई। ऐसे में अंडरपास में पानी जमा होना स्वाभाविक है।
खत्म हो रहे प्राकृतिक स्त्रोत
पब्लिक हेल्थ विभाग हरियाणा से बतौर इंजीनियर-इन-चीफ सेवानिवृत आरएन मलिक कहते है कि दरअसल शहरों की प्लानिंग के समय प्राकृतिक स्रोतों, जिसमें नाले, जोहड़ व तालाबों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। पहाड़ों में चैक डैम का निर्माण नहीं हो रहा। जनता भी नालों पर कब्जा कर लेती है। शहर में बरसाती नालियों का स्तर ठीक नहीं है। उनमें कहीं कहीं जुड़ाव नहीं है जिसके चलते पानी की निकासी नहीं हो पाती। जिसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ता है।
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