यूएन में शामिल सभी देश बन सकेंगे आइएसए के सदस्य
अब संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के भी सदस्य बन सकेंगे। किंगडम आफ टोंगा द्वारा आइएसए के संशोधन बिल पर हस्ताक्षर करने के साथ ही रास्ता साफ हो गया। मुख्यालय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के परिसर में ही बनाया जाएगा।
गुरुग्राम, आदित्य राज। अब संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के भी सदस्य बन सकेंगे। किंगडम आफ टोंगा द्वारा आइएसए के संशोधन बिल पर हस्ताक्षर करने के साथ ही रास्ता साफ हो गया। टोंगा ने बृहस्पतिवार को बिल पर हस्ताक्षर कर दिया। बिल पर 30 देशों का हस्ताक्षर आवश्यक था। टोंगा ने 30वें देश के रूप में हस्ताक्षर किया। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 30 नवंबर 2015 को पेरिस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयास से आइएसए अस्तित्व में आया। शुरू में कर्क व मकर रेखा के बीच आने वाले देशों को ही आइएसए में शामिल करने का निर्णय लिया गया था।
कर्क व मकर रेखा के बीच कुल 121 देश आते हैं। बाद में दायरे से बाहर वाले कुछ देशों ने आपत्ति व्यक्त की तो वर्ष 2018 के दौरान आयोजित सम्मेलन में भारत की ओर से संशोधन बिल पेश किया गया था। संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि संशोधन बिल पेश करने के दौरान सम्मेलन में जितने भी देश मौजूद थे, उनमें से दो तिहाई की स्वीकृति आवश्यक है। सम्मेलन में 45 देश शामिल हुए थे। इस तरह 30 देशों की स्वीकृति आवश्यक थी।
गत वर्ष तंजानिया ने 30वें देश के रूप में संशोधन बिल पर हस्ताक्षर करके अपनी स्वीकृति दे दी थी लेकिन तंजानिया की स्वीकृति को संयुक्त राष्ट्र ने नहीं माना था। तंजानिया उस सम्मेलन में शामिल नहीं था जिसमें संशोधन बिल पेश किया गया था। इस तरह टोंगा के हस्ताक्षर करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देश अब आइएसए के भी सदस्य बन सकेंगे। फिलहाल 70 देश आइएसए के सदस्य बन चुके हैं।
मुख्यालय में होंगे 193 देशों के झंडे
आइएसए का मुख्यालय गुरुग्राम स्थित राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के सूर्य भवन में चल रहा है। इसमें फिलहाल 70 देशों के झंडे लगे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सभी 193 देशों के आइएसए में शामिल होने के बाद मुख्यालय में उनके झंडे लगाए जाएंगे। यही नहीं मुख्यालय का निर्माण शुरू होने पर 193 देशों से मिट्टी लाई जाएगी। मुख्यालय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के परिसर में ही बनाया जाएगा। इसका शिलान्यास किया जा चुका है।
किंगडम आफ टोंगा द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही आइएसए पूरी दुनिया का संगठन बन गया। इससे पूरी दुनिया में भारत की अहमियत बढ़ेगी क्योंकि आइएसए का मुख्यालय भारत में ही है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य आइएसए के सदस्य होंगे। जल्द ही मुख्यालय बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किए जाएंगे।
उपेंद्र त्रिपाठी, महानिदेशक, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन
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