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दो दिन में तैयार कर देंगे 280 बेड का आइसोलेशन सेंटर: डॉ. पूनिया

गुरुग्राम में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और सरकारी आइसालेशन सेंटर में बेड संख्या कम पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 06:07 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:07 PM (IST)
दो दिन में तैयार कर देंगे 280 बेड का आइसोलेशन सेंटर: डॉ. पूनिया

गुरुग्राम में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और सरकारी आइसालेशन सेंटर में बेड कम पड़ रहे हैं। हालात ऐसे हो चले हैं कि मरीज इंतजार कर रहे हैं कि किसी मरीज की छुट्टी मिले तो उसे भर्ती किया जाए। जिले में चार दिन में 400 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं और अगर इसी रफ्तार से मरीजों की संख्या बढ़ती रही, तो स्वास्थ्य विभाग के लिए सभी को भर्ती कर इलाज देना मुश्किल होगा। ऐसे तमाम सवालों को लेकर सिविल सर्जन डॉ. जसवंत सिंह पूनिया से दैनिक जागरण के अनिल भारद्वाज ने बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश।

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- - मरीज बढ़ रहे हैं और बेड कम पड़ रहे हैं। मरीजों को कैसे इलाज दिया जाएगा?

- यह सही है कि सरकारी आइसोलेशन सेंटर में बेड संख्या कम पड़ रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि हम चितित नहीं हैं। हमने शनिवार को आइएमए के पदाधिकारियों के साथ बैठक की है और कुछ ऐसे अस्पताल व नर्सिंग होम मांगे हैं जिनमें सुविधा है और मरीज संख्या कम है। उनमें हम अपना असाइसोलेशन सेंटर बनाएंगे और मरीज को मुफ्त इलाज दिया जाएगा।

अभी हमारे पास 60 बेड का आइसोलेशन सेंटर ईएसआइ हॉस्पिटल सेक्टर-9 में है। इसके अलावा मानेसर स्थित मेडिओर अस्पताल में 50 से बढ़ाकर 120 बेड का आइसालेशन सेंटर तैयार किया जा रहा है और गांव भोड़ाकला में नीलकंठ अस्पताल में 100 बेड का आइसोलेशन सेंटर तैयार किया जा रहा है। यह सब मिलाकर दो दिन के अंदर 280 बेड के आइसोलेशन की सुविधा तैयार हो जाएगी। इनमें हमारे भेजे मरीजों को मुफ्त रखा जाएगा। वहीं 420 बेड होटलों में तैयार किए हैं। इसमें अगर हम मरीज भेजते हैं तो उसका खर्च हम वहन करेंगे लेकिन होटल में भेजने की नौबत नहीं आएगी। क्योंकि हमारे पास अस्पतालों में बेड हैं। . जिस तरह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए, क्या अब एक हजार बेड की आइसोलेशन सुविधा नहीं होनी चाहिए ?

- सही कहा, अगर इसी रफ्तार से मरीजों की संख्या बढ़ती रही, तो ज्यादा बेड की जरूरत होगी। हम बेड संख्या बढ़ाने के लिए लगे हुए हैं और जल्द सुविधा पूरी कर ली जाएगी। .क्या उत्तर प्रदेश सरकार की तरह प्रशासन गुरुग्राम के बड़े अस्पतालों में आइसोलेशन सेंटर बनाने के लिए अधिगृहीत नहीं कर सकता था?

- यह निर्णय सिविल सर्जन स्तर पर नहीं लिया जा सकता। हमारी जो जिम्मेदारी है, उसे निभाने में दिन-रात लगे हुए हैं। -फिलहाल विभाग के पाए 60 बेड का आइसोलेशन सेंटर है और मरीजों से भरा हुआ है। अब मरीज कहां भर्ती किए जा रहे हैं ?

- देखिए, जो मरीज प्राइवेट में इलाज कराना चाहता है, उसे वहां पर भर्ती करा रहे हैं और उनका इलाज सस्ते रेट पर होगा। जो मरीज जरूरतमंद है और ज्यादा गंभीर है उसे हम स्वयं भर्ती कर रहे हैं। कुछ मरीज ऐसे हैं जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण कम हैं और उनके लिए सेक्टर 9 राजकीय महाविद्यालय में क्वारंटाइन सेंटर के साथ अलग रूम में ऐसे प्रबंध किया है। उन्हें सुबह-शाम डॉक्टर देख रहे हैं।

. चार दिन में सबसे ज्यादा मरीज आए हैं, अचानक इतने मरीज कहां से आ रहे हैं?

- मैंने पहले भी कहा है कि बचाव ही बेहतर इलाज है। अगर आप कहीं काम पर जा रहे हैं तो मुंह पर कपड़ा व मास्क लगाकर जाएं। लोगों की लापरवाही कोरोना वायरस के दायरे को बढ़ा रही है। हमारे डॉक्टरों व अन्य स्टाफ का उदाहरण ले सकते हैं। कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं और दो-तीन को छोड़कर सभी ठीक है। क्योंकि वह सभी नियमों का पालन कर मरीजों को इलाज दे रहे हैं। अगर घर से निकलने के साथ कोरोना से बचने के प्रबंध बेहतर रखेंगे, तो कोरोना समाप्त हो जाएगा। - एक समय था जब विदेश से आने वाले कोरोना मरीज मिल रहे थे। अब कोई सेक्टर व कॉलोनी व शहर के गांव नहीं बचा, जिसमें कोरोना मरीज न मिले हों। क्या महाराष्ट्र व दिल्ली की तरह यहां लोगों में कोरोना फैलने जा रहा है?

- देखिए, इसे कोई विभाग या एक व्यक्ति नहीं रोक सकता। इसमें बच्चे से लेकर युवा व बुजुर्ग सभी का सहयोग चाहिए। कोरोना की रोकथाम के लिए हर व्यक्ति को सहयोग करना होगा। हालांकि लोगों में स्वास्थ्य की जांच कराने के प्रति सजगता बढ़ी है, लेकिन इसी तरह बचाव के प्रति सजगता बढ़ानी होगी। जबतक हम यह सोचते रहेंगे कि हमें कोरोना नहीं होगा, तो यह मरीजों की संख्या बढ़ाता जाएगा। - क्या किसी मरीज का होम क्वारंटाइन होने से अन्य लोगों में कोरोना का खतरा नहीं बढ़ेगा?

- अगर आपके घर में कई कमरे हें और मरीज को अलग एक कमरे में रखकर उसे बाहर नहीं निकलने दिया जाए और हमारे बताए गए नियमों की सही से पालना की जाएगी, तो किसी को खतरा नहीं रहेगा। अगर लापरवाही हुई, तो परिवार के अन्य सदस्य भी कोरोना वायरस के ग्रस्त होंगे। - मरीजों की शिकायत है कि उनकी टेस्ट रिपोर्ट कई-कई दिन बाद आ रही है और जल्द पता नहीं चल रहा है। इसकी वजह क्या है?

- रोहतक पीजीआइ से जैसे ही रिपोर्ट आती है हम कोरोना पॉजिटिव मरीज को फोन करना शुरू कर देते हैं और रिपोर्ट की जानकारी देते हैं। हम अपनी तरफ से कोई देरी नहीं करते। बल्कि जैसे ही रिपोर्ट आती है, और हमें पता चलता है कि कोरोना पॉजिटिव है तो हम तुरंत उससे संपर्क करते हैं और इलाज शुरू करते हैं। . क्या कारण है कि प्राइवेट अस्पताल जिलाधीश के आदेशों को मानने को तैयार नहीं हैं?

- आपने देखा होगा कि दो अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं और हम जिस अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराने के लिए फोन कर रहे हैं वह अस्पताल तुरंत भर्ती कर रहे हैं। यह जिलाधीश के आदेश के बाद ही हुआ है। जिलाधीश के सख्त आदेश हैं कि जो अस्पताल मरीजों को लेने से मना करता है उसपर तुरंत कार्रवाई की जाए। . क्या कोई नियम है कि प्राइवेट अस्पताल कोरोना इलाज में ज्यादा पैसे नहीं ले सकते। क्योंकि मरीजों का आरोप है कि प्राइवेट अस्पताल ऊंचे रेट पर इलाज दे रहे हैं?

- प्राइवेट अस्पताल कोरोना मरीजों का इलाज आयुष्मान भारत योजना में तय रेट के आधार पर इलाज देगा। आयुष्मान भारत में जो रेट तय किए हैं वही मरीज को भुगतान करने होंगे। कुछ मामले आए हैं लेकिन हमारे फोन करने के बाद उस अस्पताल ने ज्यादा पैसे नहीं लिए। अगर कोई प्राइवेट अस्पताल ऐसा कर रहा है तो मरीज हमसे संपर्क कर सकता है।

परिचय

नाम: डॉ. जसवंत सिंह पूनिया

पिता का नाम: रामस्वरूप पूनिया

माता का नाम : भादो देवी

जन्म स्थान: गांव गोर्छी, हिसार

शिक्षा: एमबीबीएस, रोहतक मेडिकल कॉलेज 1989

एमडी : रोहतक मेडिकल कॉलेज 1996

विशेषज्ञ: टीबी रोग विशेषज्ञ

नियुक्ति: हरियाणा मेडिकल सर्विस 1993

सिविल सर्जन पद पर नियुक्ति: अगस्त 2014 सोनीपत और अब गुरुग्राम


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