एक साल बाद भी चालू नहीं हो पाई ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : स्वास्थ्य विभाग की सुस्त चाल मरीजों पर भारी पड़ सकती है। इसी का एक उदाह
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : स्वास्थ्य विभाग की सुस्त चाल मरीजों पर भारी पड़ सकती है। इसी का एक उदाहरण यह है कि विभाग में करीब एक साल पहले ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन खरीदी थी लेकिन आज तक यह धूल खा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक जिला अस्पताल में इस मशीन की बहुत जरूरत है। फिर भी मशीन आने के एक साल बाद भी यह चालू नहीं हो पाई। इस मशीन की खासियत यह है कि यह खून से आरबीसी, प्लेटलेट्स को अलग कर सकती है। ऐसे में खून से इन चीजों को अलग कर रोगी की आवश्यकता के अनुसार वहीं चीज चढ़ाई जा सकती है।
मौसम में गर्मी आ गई है। ऐसे में बुखार के रोगियों की के बढ़ने की संभावना है। डेंगू के मरीजों में भी वृद्धि हो सकती है। यदि मशीन की सुविधा अस्पताल में शुरू हो जाए तो इसका लाभ यहां आने वाले रोगियों को हो सकता है क्योंकि उन्हें बाहर जाकर प्लेटलेट्स अलग करने की जरूरत नहीं होगी। गर्भवती महिलाएं जिन्हें खून की कमी के कारण अन्य अस्पतालों की ओर रेफर करने की जरूरत पड़ती है, इस मशीन के आने से उन्हें फायदा हो सकता है।
यह मशीन एक साल से अस्पताल में आई हुई है, इसके लाइसेंस तक की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई। इसके लिए कोई ट्रेंड तकनीशियन भी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। यह हालात तब हैं जबकि जिला अस्पताल नेशनल एक्रेडिशन बोर्ड ऑफ हास्पिटल्स की गुणवत्ता वाले अस्पतालों की श्रेणी में आने की होड़ में है। विशेषज्ञों की टीम जिला अस्पताल का दौरा भी करके जा चुकी है।
वर्जन
मैंने इस मशीन के लाइसेंस को लेकर लिख दिया है। मशीन का लाइसेंस नहीं है। ब्लड कंपोनेंट मशीन के लाइसेंस की स्वीकृति के लिए एक टीम आती है, वह आएगी और निरीक्षण करेगी तब यह मशीन चालू हो पाएगी। अस्पताल में भर्ती होने वाले ऐसे लोगों को काफी सहूलियत हो जाएगी, जो खून की कमी के कारण आते हैं या जिन्हें प्लेटलेट्स या सीरम चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
-डा. पुष्पा बिश्नोई, सिविल सर्जन