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जुनून ऐसा कि साइकिल से ही पहुंचे केदारनाथ, अक्टूबर में पक्के इरादों के साथ निकले थे

वह अपने हौंसले एवं पक्के इरादों के बल पर केदारनाथ तक साइकिल से पहुंचे और भगवान शिव के दर्शन करके वापस लौट रहे हैं। मोहित की भगवान शिव के प्रति आस्था ऐसी कि उन्हें कठिनाइयों से भरे रास्ते भी आसान लग रहे थे।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 01:10 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 01:29 PM (IST)
जुनून ऐसा कि साइकिल से ही पहुंचे केदारनाथ, अक्टूबर में पक्के इरादों के साथ निकले थे
मोहित चौधरी अपने हौंसले एवं पक्के इरादों के बल पर केदारनाथ तक साइकिल से पहुंचे। (फाइल फोटो)

अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद। कौन कहता है कि आसमान में नहीं हो सकता सुराक, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। उक्त पंक्तियां जवाहर कालोनी में रहने वाले 22 वर्षीय मोहित चौधरी पर चरितार्थ होती हैं। वह अपने हौंसले एवं पक्के इरादों के बल पर केदारनाथ तक साइकिल से पहुंचे और भगवान शिव के दर्शन करके वापस लौट रहे हैं। मोहित की भगवान शिव के प्रति आस्था ऐसी कि उन्हें कठिनाइयों से भरे रास्ते भी आसान लग रहे थे।

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मोहित बीए तृतीय वर्ष की परीक्षा देने के बाद 31 अक्टूबर को फरीदाबाद से केदारनाथ के लिए सुबह पांच बजे रवाना हुए थे। प्रतिदिन 100 किलोमीटर से ज्यादा साइकिल चलाने के बाद वह चार नवंबर को केदारनाथ के कपाट तक पहुंच गए थे। बुधवार रात भगवान शिव के दर्शन करने के बाद अब वह वापस फरीदाबाद लौट रहे हैं। मोहित ने बताया कि वह अपने साथ टेंट भी ले गए हैं। सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक साइकिल चलाते हैं और इसके बाद वह अपने टेंट लगाकर आराम करते हैं। वह तीन नवंबर को गौरीकुंड तक पहुंच गए थे।

केदारनाथ की चढ़ाई शुरू करने से पूर्व पुलिस वाले साइकिल नहीं ले जाने दे रहे थे। उनके मजबूत इरादों देखकर पुलिस वालों साइकिल ले जाने की अनुमति दे दी। केदारनाथ की चढ़ाई के दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। उबड़-खाबड़ एवं पहाड़ी रास्ते पर साइकिल चलाने में परेशानी आ रही थी। वहीं सीढ़ियां होने पर साइकिल पर अपने कंधे पर रखकर चढ़ाई की और चार अक्टूबर की शाम को केदारनाथ मंदिर पर पहुंच गए और देर दर्शन करके वापस लौट रहे हैं।

एनसीसी में मिली प्ररेणा 

मोहित ने बताया कि वह डीएवी कालेज के छात्र हैं और प्रथम वर्ष में एनसीसी ली थी और वह दो वर्ष कर्नाटक में हुए नेशनल नौ सैनिक कैंप में स्वर्ण पदक भी जीत चुके हैं और वहीं से ही साइकिल चलाने का शौक लगा। समय बितने के साथ यह शौक जुनून बन गया। मोहित जैसे नव युवा मोटरसाइकिल से कालेज आने में अपनी शान समझते हैं। वहीं मोहित को साइकिल से ही कालेज आना पसंद हैं। मोहित अभी हाल ही में पंजाब द साइकलिस्ट ग्रुप द्वारा आयोजित आनलाइन प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया है। करीब एक महीने में मोहित आठ हजार किलोमीटर साइकिल चलाई थी और उन्हें प्रथम पुरस्कार के रूप में 11 हजार रुपये मिले थे।

इससे भी चला चुके हैं लान्ग रूट पर साइकिल 

माेहित ने बताया कि वह वर्ष 2018 में ग्रीष्म अवकाश मनाने के लिए मसूरी साइकिल से गए थे और एक सप्ताह छुट्टी मनाने के बाद साइकिल से ही वापस लौटे थे। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और केदारनाथ साइकिल से जाने का दृढ़ संकल्प लिया था।

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