कभी आवारा कुत्तों के साथ हरियाणा की गलियों में घूमती थी, अब सिर्फ 2 पैरों से लंदन जाएगी रॉकी
जनवरी में रॉकी की डाक्यूमेंट्री बनाकर वाइल्ड ऐट हार्ट फाउंडेशन यूनाइटेड किंगडम के साथ साझा की थी। रॉकी की डाक्यूमेंट्री देखकर लंदन में रहने वाली लीला ने गोद लेने की इच्छा जाहिर की। अब लंदन जा रही है।
फरीदाबाद [अभिषेक शर्मा]। पिछले वर्ष ट्रेन की चपेट में आकर घायल होने वाली आवारा कुतिया (स्ट्रीट डॉग) रॉकी का अब नया घर लंदन में होगा। उसे लंदन में रहने वाली लीला ने गोद लिया है और वह लंदन के लिए 18 नवंबर को रवाना होगी। ट्रेन से दुर्घटनागस्त होने से पूर्व रॉकी आवारा कुत्तों की तरह सड़क पर घूमा करती थी। शहर में विभिन्न जगहों पर लगे कूड़े के ढेर में से पेट भरने के लिए खाने के लिए सामान ढूंढ़ा करती थी।
पीपल फॉर एनीमल ट्रस्ट फरीदाबाद के अध्यक्ष रवि दुबे ने बताया कि राकी पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को बल्लभढ़ स्टेशन नजदीक ट्रेन की चपेट में आ गई थी। इससे उसके आगे के दोनों पैर बिल्कुल खराब हो गए थे, जबकि पीछे वाले पैर में भी चोट आई थी। उस समय आरपीएफ कांस्टेबल चंद्रपाल तंवर रॉकी को लेकर सोहना पुल सरूरपुर रोड स्थित पीपल फॉर एनीमल ट्रस्ट के कार्यालय पहुंचे थे। ट्रेन के पहियों के नीचे आने की वजह से आगे के दोनों पैर बिल्कुल खराब हो गए थे और खून अधिक बह जाने की वजह से उसे बचाना बहुत मुश्किल हो रहा था, लेकिन डॉक्टरों ने उसके आगे के दोनों पैर काटकर नया जीवन दिया गया। उन्होंने बताया कि सड़कों पर घूमने वाली कुतिया होने की वजह से कोई नाम नहीं था। उसे रॉकी नाम दिया गया है। ठीक होने के बाद उसे बल्लभगढ़ स्टेशन पर छोड़ने गए, लेकिन आरपीएफ अधिकारियों ने उसे वापस ले जाने का अनुरोध किया। रवि आरपीएफ जवानों के अनुरोध को मान गए और उसे अपने साथ ले आए।
डाक्यूमेंट्री बनाकर की साझा
रवि दुबे ने बताया कि जनवरी में रॉकी की डाक्यूमेंट्री बनाकर वाइल्ड ऐट हार्ट फाउंडेशन यूनाइटेड किंगडम के साथ साझा की थी। रॉकी की डाक्यूमेंट्री देखकर लंदन में रहने वाली लीला ने गोद लेने की इच्छा जाहिर की। इससे पूर्व रवि ने रॉकी को अन्य कुत्तों की तरह सामान्य जीवन देने के लिए नकली पैर लगवाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने इस वर्ष जनवरी में जयपुर राजस्थान में रहने वाले डॉ. तपेश माथुर से संपर्क किया और लॉकडाउन के दौरान वह रॉकी को पैर की माप देने एवं उसे लगवाने के लिए जयपुर ले गए थे, लेकिन पैर लगने के बाद उसे चलने में परेशानी होती थी। इसके चलते उसके नकली पैर हटा दिए गए और अब वह दो पैरों से चलती है।
रेबीज टेस्ट पास होने के बाद ही जाते हैं विदेश
रवि ने बताया कि किसी भी जानवर को विदेश भेजने से पूर्व रेबीज की जांच कराई जाती है और यह टेस्ट करीब 29 हजार रुपये में विदेश में ही होता है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद जानवर को विदेश भेजा जाता है। रॉकी की रेबीज रिपोर्ट ठीक आई है और वह 18 नवंबर को लंदन जाने के लिए हवाई जहाज में बैठेगी।
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