Happy Navratri 2020: मन में आस्था और मुंह पर मास्क लगाकर श्रद्धालु पहुंचे मां के द्वार
Happy Navratri 2020 मंदिरों में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मां जगदंबा के प्रथम स्वरूप देवी शैलपुत्री के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और कोरोना महामारी के जल्द खत्म होने और परिवार की सुख समृद्धि खुशहाली व स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। Happy Navratri 2020: कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के उपायों के साथ शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की उपासना के पर्व शारदीय नवरात्र की शुरुआत शनिवार से हो गई। इसी के साथ ही साढ़े छह महीने के लंबे अरसे बाद मंदिरों में उत्सव जैसा माहौल दिखाई दिया। श्रद्धालुओं ने मां जगदंबा के प्रथम स्वरूप देवी शैलपुत्री के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और कोरोना महामारी के जल्द खत्म होने और परिवार की सुख, समृद्धि, खुशहाली व स्वस्थ होने की प्रार्थना की। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने घर पर ही मां दुर्गा की नूरानी ज्योत जलाकर कर उपासना की।
मुख्य आकर्षण वैष्णो देवी व महाकाली मंदिर में दिखा
शारदीय नवरात्र के अवसर पर शहर के मंदिरों के कपाट भोर में पांच बजे से पहले ही खोल दिए गए थे। तब इक्का-दुक्का श्रद्धालुओं ने ही मंदिर में प्रवेश कर दर्शन किए, इसके बाद जैसे-जैसे दिन चढ़ता चला गया, मंदिरों में श्रद्धालुओं का आगमन भी बढ़ गया। मुख्य आकर्षण रहा महारानी वैष्णो देवी मंदिर तिकोना पार्क, महाकाली मंदिर, श्री राम मंदिर जवाहर कालोनी, महाबीर दल मंदिर नंबर एक और दो, बांके बिहारी मंदिर, कुमाऊं सांस्कृतिक मंडल द्वारा संचालित जगदंबा मंदिर में। वैष्णो देवी मंदिर में मुख्य अतिथि के रूप में बतरा ग्रुप के निदेशक आरके बतरा व समाजसेवी प्रदीप झांब ने ज्योति प्रचंड की। विशिष्ट अतिथि के रूप में जेके सचदेवा, रमेश सहगल भी उपस्थित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर समिति के प्रधान जगदीश भाटिया ने की। कलश स्थापना के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई। मंदिर पुजारी कृष्णा व शंभुनाथ ने कलश स्थापना के पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से की और बताया कि माता शैल पुत्री शांति और उत्साह देने वाली और भय का नाश करती हैं। उनकी आराधना से भक्तों को यश, कीर्ति, धन, विद्या और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां शैल पुत्री अपने भक्तों में उत्साह का संचार करती हैं। उनके इस रूप की अराधना से मानसिक शांति प्राप्त होती है। मन मजबूत होता है।
कोरोना से दिखे बचाव के उपाय
मंदिरों में कोरोना से बचाव के उपायों के प्रति सचेत किया जा रहा था। उन्हीं श्रद्धालुओं को प्रवेश करने दिया जा रहा था, जिनके चेहरे पर मास्क था। प्रवेश द्वार के साथ ही मंदिर प्रांगण के अंदर भी जगह-जगह हाथों को सैनिटाइज करने की सुविधा उपलब्ध थी। दर्शन करने के दौरान शारीरिक दूरी को भी प्राथमिकता दी जा रही थी। मां के दरबार से श्रद्धालुओं को 15 फुट दूर रखा गया था, इसके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। दरबार में सीधे प्रसाद व भेंट चढ़ाना भी प्रतिबंधित था। श्रद्धालु जो भी भेंट लाए थे, उन्हें एक तरफ मेज पर रखने की इजाजत थी।
चैत्र नवरात्र पर बंद थे कपाट
22 मार्च को जनता कर्फ्यू से ही मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे। इसके बाद चैत्र नवरात्र आए, तब भी कपाट नहीं खुले। उस दौरान श्रद्धालुओं ने घर पर ही रह कर नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की थी और व्रत संपूर्ण किए थे। अनलाक-4 में धार्मिक संस्थानो को खोलने की अनुमति मिल गई थी, पर श्रद्धालु तब भी सीमित संख्या में ही जा रहे थे। अब शरद नवरात्र में मंदिरों में उत्साह का माहौल दिखा।
शैफाली भाटिया (एनआइटी) का कहना है कि मेरी कुछ समय पहले ही शादी हुई है। अपने वैवाहिक जीवन की सफलता, परिवार की खुशियां, कल्याण, सभी के स्वस्थ होने की अरदास मां जगदंबा के समक्ष की है, साथ ही कोरोना को जल्द खत्म करने की कामना की।
रश्मि (सेक्टर-8) ने बताया कि यहां आकर सकारात्मक माहौल देखने को मिला। कोरोना में माहौल बेहद नकारात्मक हो गया था। अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है, पर बचाव अभी भी जरूरी है। दर्शन करते हुए हमने कोरोना संक्रमण के समाप्त होने की कामना की।
उर्वशी सपरा (सेक्टर-16) का कहना है कि हम पहले भी वैष्णो देवी मंदिर में आते रहे हैं। यहां नवरात्र के दौरान एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। हमने पूजा करते हुए सभी के बेहतर स्वास्थ्य, परिवार, समाज व देश में खुशहाली व समृद्धि की कामना की।
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