Move to Jagran APP

Haryana News: इस वर्ग के बच्चों को अब घर के पास ही मिलेंगे परीक्षा केंद्र, भिवानी बोर्ड बना रहा नई पॉलिसी

इस बार मार्च माह में आयोजित हुई हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की बोर्ड परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे के लिए बोर्ड ने अपना 54 सालों का इतिहास बदला था और इस बीमारी से पीड़ित एक दिव्यांग छात्र ने अपने घर से परीक्षा दी थी। बोर्ड इस संबंध में अब नई पॉलिसी बनाई जा रही है। प्रदेश भर में इस समय 350 से अधिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के पीड़ित बच्चे हैं।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Published: Sun, 05 May 2024 11:46 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2024 11:46 AM (IST)
Haryana Bhiwani Board News: इस वर्ग के बच्चों को अब घर के पास ही मिलेंगे परीक्षा केंद्र।

 शिव कुमार, भिवानी। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड घर के पास ही परीक्षा केंद्र देगा। इसके लिए नई पॉलिसी बनाई जा रही है। उम्मीद है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की आगामी 10वीं व 12वीं की परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को दूर-दराज के परीक्षा केंद्रों पर नहीं जाना पड़ेगा।

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड पिछली परीक्षाओं के दौरान आए तीन से चार आवेदनों के बाद नई पॉलिसी बनाने पर विचार कर रहा है। प्रदेश में फिलहाल 350 से अधिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे हैं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने मार्च माह में हुई 10वीं कक्षा की परीक्षाओं में नरवाना के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे को घर पर ही परीक्षाएं देने की सुविधा दी थी।

यह समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रदेशभर से तीन-चार और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों के स्वजन बोर्ड कार्यालय पहुंचे और अनुरोध किया। उन अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ऐसे बच्चों को घर के पास ही परीक्षा केंद्र की सुविधा देने की नई पॉलिसी बना रही है।

मार्च माह में हुई हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की बोर्ड परीक्षाओं में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चे के लिए बोर्ड ने अपना 54 वर्षों का इतिहास बदला था। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीड़ित दसवीं के दिव्यांग छात्र आर्यांश के भविष्य को देखते हुए उसे घर पर ही बोर्ड की परीक्षा देने की सुविधा दी गई थी।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बड़ी समस्या है और इससे पीड़ित बच्चे चल-फिर नहीं सकते। उनको लाने-ले जाने में भी काफी समस्या होती है। इसी कारण नरवाना के बच्चे को विशेष अधिकारों के तहत घर पर ही परीक्षा का मौका दिया था। जिसके बाद तीन-चार और बच्चों के स्वजन भी बोर्ड आए। अब ऐसे बच्चों को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसी बनाई जा रही है। जिसके तहत मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित बच्चों को उनके घर के पास ही परीक्षा केंद्र की सुविधा दी जाए। डा. वीपी यादव, चेयरमैन, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के प्रकार

1. बायोटिक डिस्ट्रॉफी, 2. प्रोक्सिवन बायोटिक डिस्ट्रॉफी, 3. डिकेन डिस्ट्रॉफी, 4 बेकर डिस्ट्रॉफी, 5. लिम्ब गर्डल डिस्ट्रॉफी, 6. पेशियो शेफुल ह्यूमर टाइप डिस्ट्रॉफी, 7. अकेलो फेरेंजियल टाइप डिस्ट्रॉफी, 8. एमर ड्रायफस टाइप डिस्ट्रॉफी है। डिकेन एवं एमर ड्रायफस 5 साल के कम उम्र के बच्चों में, बेकर एवं लिम्ब गर्डल 5-15 वर्ष, अकेलो फेरेंजियल 30- 80 वर्ष, पेशियो शेफुल ह्यूमर 7-30 वर्ष में, न बायोटिक मायोपेथी 8-50 वर्ष में व बायोटिक डिस्ट्रॉफी किसी उम्र में हो सकती है।

मांसपेशियां पड़ जाती हैं कमजोर

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों की बीमारी है जो अनुवांशिक या एक्वायर होती है। अनुवांशिक मांसपेशियों की बीमारी सबसे ज्यादा होती है। ये कई प्रकार के होते हैं। सामान्य तौर पर यह बीमारी बचपन में होती है। इसमें शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं और एक सीमा के बाद बेकार हो जाती हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह बीमारी पूरे शरीर में फैलती जाती है। मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण हृदय एवं श्वसन प्रणाली पर भी इसका असर पड़ता है। जिसके कारण सांस की प्रक्रिया बाधित हो जाती है।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.