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शिक्षिका बनी छात्राओं की 'सहेली मैम', ऐसे बदल रही उनकी जिंदगी

बहादुरगढ़ के एक सरकारी स्‍कूल की शिक्षिका सुशीला सांगवान अपनी छात्राओं की सहेली मैम हैं। पढ़ाई के संग-संग वह छात्राआें की हर समस्‍या के हल में उनकी मदद करती हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 04:51 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 09:01 AM (IST)
शिक्षिका बनी छात्राओं की 'सहेली मैम', ऐसे बदल रही उनकी जिंदगी

प्रदीप भारद्वाज, बहादुरगढ़ (झज्जर)। यह अध्‍यापिका सिर्फ क्‍लास तक नहीं बल्कि जीवन के हर मुश्किल में अपनी शिष्‍याओं से जुड़ी रहती हैं। उनका अपनी शिष्याओं से रिश्‍ता सिर्फ स्कूली पढ़ाई तक सीमित नहीं है बल्कि संवेदनाओं की गहराई तक जुड़ा है। यही कारण है कि वह अपनी छात्राओं की 'सहेली मैम' बन गई हैं।

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'हेल्पलाइन मैडम' के नाम से भी चर्चित हैं सुशीला सांगवान

घर हो, स्कूल या दूसरी कोई जगह, छात्राएं परेशानी में हों तो उन्हें अपनी यह 'सहेली मैम' याद आती हैं। दूर हों, तो व्हाट्स एप मैसेज या मोबाइल कॉल से खुद की उलझन बताती हैं। फिर ये शिक्षिका बिना देरी समाधान में जुट जाती हैं। 'सहेली मैम' बनी इस सरकारी शिक्षिका ने सोशल मीडिया को छात्राओं के हितों का रखवाला बना लिया है। यही कारण है कि छात्राएं उन्हें 'हेल्पलाइन मैडम' भी कहती हैं।

 

स्‍कूल में अपनी छात्राअों के साथ 'सहेली मैम' सुशीला सांगवान।

हम बात कर रहे हैं बहादुरगढ़ के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका सुशीला सांगवान की। वह उन शिक्षकों में शामिल हैं जो हर पल विद्यार्थियों के शैक्षिक उत्थान में लगे रहते हैं। वह उन शिक्षकों में हैं जो अपने शिष्‍यों को सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं मदद करते बल्कि उनको जिंदगी में कठिनाई के पलाें से निकालकर सफलता की राह पर ले जाते हैं। सुशीला सांगवान के लिए विद्यार्थियों को पढ़ाना महज ड्यूटी नहीं बल्कि उनका समग्र विकास एक मिशन है। वह उनकी मुश्किलों को दूर करने के लिए सदैव तत्‍पर रहती हैं।

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कोई भी मुश्किल हैं तो भेजे मैसेज

छात्राओं की मदद और पढ़ाई के लिए वह अपना ज्यादातर समय देती हैं। वह जब से अध्‍यापन के क्षेत्र में आई हैं, बच्‍चों के उत्‍थान को अपना लक्ष्‍य बना रखा है। वह अपने 50 से ज्यादा व्हाट्स ग्रुप चला रही हैं। इनके माध्‍यम से वह शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों के साथ जुड़ी हुई हैं। वह सभी से रोजाना पढ़ाई और छात्राओं की परेशानियों पर विचार साझा करती हैं। उनके पास छात्राओं के सैकड़ों मैसेज आते हैं। छात्राएं उनसे पीड़ा ही नहीं खुशी के पल भी साझा करती हैं।

छात्राओं की समस्‍याअों से जुड़े सवालों के जवाब देने में जुटीं सुशीला सांगवान।

जो छात्रा कह नहीं पातीं वह मैसेज से आपबीती और पीड़ा ब्यां कर देती हैं। फिर उनकी 'सहेली मैम' समाधान में जुट जाती हैं। उन्होंने छात्राओं के लिए अपने व्हाट्सएप नंबर को एक तरह से हेल्पलाइन बना रखा है। वह रोजाना कई घंटे छात्राओं के मैसेज चेक करने और जवाब देने में बिताती हैं। यदि किसी को सीधे मदद की जरूरत हो तो खुद निकल पड़ती हैं।

अब तक छात्राओं ने भेजे हैं कई हजार संदेश

सुशीला सांगवान 10 साल से सरकारी शिक्षिका हैं। वह इससे पहले छह साल जींद में रहीं। वहां भी वह इसी तरह छात्राओं से जुड़ी रहीं और अब बहादुरगढ़ में इस मुहिम को धार दे रही हैं। वह कहीं पर भी हों, अगर कोई छात्रा उन तक समस्या पहुंचाती है तो वह बाकी काम छोड़ देती हैं। इसके लिए उन्हें अनेक बार सम्मानित किया जा चुका है। महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने भी उन्हें पुरस्कृत किया था। स्कूलों में कंप्यूटर की शुरूआत से ही वह पूरा काम संभालती रही हैं। व्हाट्सएप आया तो अन्य शिक्षकों और छात्राओं से जुड़ गईं। तभी से यह शुरूआत हुई।

हरियाणा की कैबिनेट मंत्री कविता जैन से सम्‍मान प्राप्‍त करतीं सुशीला सांगवान।    (फाइल फोटो)

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यूं खोजती हैं समाधान

एक छात्रा को स्कूल आते समय मनचला तंग करता था। वह रोजाना रास्ते में मिलता और उस पर फब्तियां कसता था। छात्रा ने इस बारे में 'सहेली मैम' को बताया। उन्होंने लड़के का चुपके से फोटो खींचकर उन्हें भेजने के लिए कहा। इसके बाद शिक्षिका ने वह फोटो पुलिस को भेज दिया। मनचला पकड़ा गया। एक अन्य छात्रा ने बताया कि उसे स्वास्थ्य संबंधी परेशानी थी। स्कूल में दिक्कत आई तो खुद मैडम उसे अपनी गाड़ी में लेकर अस्पताल पहुंचीं।

स्‍कूल में अपनी छात्राअों के साथ 'सहेली मैम' सुशीला सांगवान।

गरीब परिवार की एक अन्य छात्रा बताती हैं कि मैडम ने उन्हें पढ़ाई में किताब व अन्य मदद की। मैडम ने स्कूल के लिए पीसीआर, एंबुलेंस लगवाने के साथ ही स्कूल में शिकायत पेटी भी लगवाई। महिला और साइबर सेल की विजिट कराई ताकि उन्हें काफी कुछ पता चले।  ऐसे बहुत से किस्से छात्राओं की जुबां से सुने जा सकते हैं।

'' छात्राओं को पढ़ाने के साथ ही उनकी परेशानियों का समाधान करने से शिक्षा का ध्येय पूरा होगा। एक शिक्षिका छात्राओं के मन को बेहतर पढ़ सकती है। बदलते माहौल में छात्राओं को कई दिक्कतें आ रही हैं, इसलिए शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

- सुशीला सांगवान, गृह विज्ञान प्रवक्ता, बहादुरगढ़।

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'' शिक्षिका सुशीला सांगवान के प्रयास सराहनीय हैं। सभी शिक्षकों को विद्यार्थियों के प्रति इसी तरह की भावना रखनी चाहिए।

                                                                                - मदन चोपड़ा, डिप्टी डीईओ एवं बीईओ बहादुरगढ़।

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