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कभी सिनेमाघर में रहे गेटकीपर व स्विमिंग पूल में की नौकरी, आज हैं स्‍टार

कॉमेडियन ख्‍याली आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं और उनकी गिरती देश के स्‍टार कामेडियनों में होती है। उन्‍होंने काफी मुश्किलों और संघर्ष का सामना कर यह मुकाम हासिल किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 02:07 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 02:20 PM (IST)
कभी सिनेमाघर में रहे गेटकीपर व स्विमिंग पूल में की नौकरी, आज हैं स्‍टार
कभी सिनेमाघर में रहे गेटकीपर व स्विमिंग पूल में की नौकरी, आज हैं स्‍टार

जेएनएन, अंबाला शहर। हास्य कलाकार ख्याली सहारण आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है, लेकिन उनको इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। खयाली ने कभी सिनेमा हॉल में गेटकीपर की नौकरी तो स्विमिंग पूल में काम किया। इसके बावजूद हिम्‍मत नहीं हारी और आज देश के स्‍टार कामेडियन हैं।

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हरियाणा के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में मोटिवेशनल कॉमेडी शो करने शहर पहुंचे ख्याली सहारण ने जागरण से अपने संघर्ष की कहानी बयां की। ख्‍याली ने कहा कि किसी भाी परिस्थिति में बिना हिम्‍मत गंवाए मेहनत करने से सफलता हर हाल में मिलती है।

ख्‍याली ने कड़े संघर्षों के बाद कॉमेडी के क्षेत्र में बनाया मुकाम

कॉमेडियन ख्याली मूल रूप से राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा तहसील के छोटे से गांव 18-सीपीडी के रहने वाले हैं। हास्य कलाकार के तौर पर स्थापित हो चुके ख्याली यूं तो गांव देहात से मुंबई पहुंचने के सफर तक सबको हंसा कर लोटपोट कर रहे थे, लेकिन उनको पहचान साल 2006 में एक निजी टीवी चैनल के शो से मिली। टीवी शो लाफ्टर चैलेंज-2 जीतने के बाद उन्‍होंने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस शो के जीतने के बाद हिंदी फिल्म बॉम्बे टू गोवा, सिंह इज किंग में भी उन्‍होंने काॅमेडी के रंग दिखाए।

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एक कार्यक्रम के दौरान ख्‍याली।

ख्याली के मुताबिक, हास्य रस उनमें कुदरत की ही देन है। जब वह पढ़ रहे थे तो स्कूल के कार्यक्रमों में भी वह अपनी अदाकारी दिखाते थे और सभी इसे पसंद करते थे। धीरे धीरे अदाकारी और कॉमेडी के प्रति खिंचाव बढ़ता गया। अभी दसवीं तक पढ़ाई भी पूरी नहीं की थी कि वह साल 1993 में घर छोड़कर श्रीगंगानगर आ गए। 

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ख्‍याली ने बताया कि वहां गुजर बसर करने के लिए एक स्विमिंग पूल में नौकरी कर ली। एक साल बाद एक सिनेमाहाल में गेटकीपर की नौकरी करने लगे। अब फिल्में देखना व कलाकारों की अदाकारी से सीखना आसान हो गया था। इसके बाद छह साल तक जेसीटी की कपड़ा मिल में नौकरी की।

 एक कार्यक्रम के दौरान सह कलाकार के साथ ख्‍याली सहारण।

ख्‍याली ने बताया कि इसी दौरान श्रीगंगानगर में गजल गायक जगजीत सिंह की राष्ट्रीय कला मंदिर अकादमी भी ज्वाइन कर ली थी। जहां से सीखते हुए प्रतिभा में और निखार आया। साल 2000 में वह चंडीगढ़ के सृष्टि थियटेर में सिखाने का मौका मिला। यहां सिखाने के साथ एंकरिंग भी की। यही से वह प्रसिद्ध गायक गुरदास मान, मीका सहित अन्य पंजाबी सिंगर के कार्यक्रमों एंकरिंग करने लगे।

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उन्‍हाेंने बताया कि 24 जनवरी साल 2006 में लाफ्टर चैलेंज-2 का ऑडिशन दिया और शो जीत भी लिया। इसके बाद मुंबई का सफर आसान हो गया। टीवी शो कामेडी सर्कस, हिंदी फिल्म बॉम्बे टू गोवा, सिंह इज किंग में भी अभिनय किया।

दादा के नाम से बनाया निजी सैनिक स्कूल

ख्याली के मुताबिक जो भी कमाया उससे अपने दादा रावता राम के नाम पर ट्रस्ट बनाया। ट्रस्‍ट के तहत निजी सैनिक स्कूल स्‍थापित किया। यह पहला सैनिक स्‍कूल है। 16 एकड़ में चल रहे इस स्कूल में एनडीए, सीडीएस व सेना के बढ़ी परीक्षाओं की पढ़ाई कराई जा रही है। मकसद सिर्फ यह है कि जो दिक्कतें उन्‍हा‍ेंने झेली कोई और न झेले।

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जब टीवी पर था उसके तीन साल बाद घर आया टीवी

ख्याली ने कहा कि टीवी कलाकार के तौर पर काम करते हुए तीन साल बीत गए थे, तब गांव में बिजली आई और इसके बाद घर में टेलीविजन सेट आया। ख्याली ने बीते दिन याद करते हुए बताया कि गांव में वीसीआर मंगवाकर ही लोग फिल्में देखते थे लेकिन उसके साथ जनरेटर भी लाते थे।

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