कोविड वैक्सीन का सर्टिफिकेट इंटरनेट मीडिया पर डाला तो हो सकते हैं ठगी के शिकार
साइबर ठगों का निशाना अब कोविड वैक्सीन लगवा चुके उन लोगों पर है जो अपना सर्टिफिकेट डाउनलोड कर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर रह हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला : साइबर ठगों का निशाना अब कोविड वैक्सीन लगवा चुके उन लोगों पर है जो अपना सर्टिफिकेट डाउनलोड कर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर रह हैं। यहीं से सारी जानकारी साइबर अपराधी जुटा रहे हैं और आपको ठगने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि पुलिस द्वारा समय-समय पर इसके लिए सचेत किया गया है। जबकि अब गृह मंत्रालय ने भी इसको लेकर आगाह किया है। हल्की सी चूक आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। ऐसे में लोगों को यह सर्टिफिकेट इंटरनेट मीडिया पर डालने से बचने की सलाह दी जा रही है।
कोविड वैक्सीनेशन की पहली या दूसरी डो•ा लेने वालों को सरकार द्वारा आनलाइन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। व्यक्ति इसे आनलाइन ही डाउनलोड करता है। इसके बाद वह इस सर्टिफिकेट को इंटरनेट मीडिया पर डाल देता है। इस सर्टिफिकेट में व्यक्ति का नाम, उम्र, महिला अथवा पुरुष, जन्म तिथि आदि का जिक्र होता है। इसके अलावा इस सर्टिफिकेट में क्यू आर कोड भी होता है, जिसे स्कैन करने के बाद ठग महत्वपूर्ण जानकारियां जुटा लेता है।
------------- इस तरह से करते हैं ठग काल
यह सारी जानकारी मिलने के बाद साइबर ठग व्यक्ति को काल कर उसे झांसे में लेते हैं। जुटाई जानकारी के आधार पर कालर विश्वास जमा लेता है। इसके बाद एक के बाद एक जानकारियां यह ठग हासिल कर लेता है। इस में कालर सरकारी कर्मचारी या अधिकारी बनकर बात करता है। इस बारे में नारायणगढ़ थाना प्रभारी वीरेंद्र वालिया का कहना है कि क्यू आर कोड स्कैन करने के बाद सारी जानकारियां नहीं मिलती, जबकि साइबर ठग इसके बाद काल करके व्यक्ति को झांसे में लेते हैं। ऐसे कालर से सतर्क रहने की जरूरत है।
------------- यह बरतें सावधानियां
- सर्टिफिकेट किसी भी इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट न करें।
- वैक्सीन लगाने को लेकर यदि कोई काल आए तो अपने बारे में कोई गोपनीय जानकारी न दें।
- यदि कालर ओटीपी नंबर पूछे तो न दें या किसी लिक पर क्लिक करने को कहे तो न करें।