अब यूं ही धारा 144 लगाना होगा मुश्किलः हाईकोर्ट सख्त, पुलिस कमिश्नर दें हलफनामा
अहमदाबाद में अब आए दिन पुलिस के लिए धारा 144 लगाना मुश्किल होगा कोर्ट का कहना है कि पुलिस अकारण ही धारा 144 लगाकर भय का माहौल नहीं बना सकती।
अहमदाबाद, जेएनएन। अब शहर में आए दिन सीआरपीसी की धारा 144 लगाना पुलिस के लिए मुश्किल साबित हो सकता है। हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस को फटकार लगाई है। कहा है कि पुलिस अकारण ही धारा 144 लगाकर शहरी जनों को भय के माहौल में नहीं रख सकती। इसके लिए पुलिस आयुक्त को हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है।
आइआइएम-ए द्वारा हाईकोर्ट में की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि पुलिस विरोध प्रदर्शन या रैलियों को रोकने के लिए 144 का उपयोग करती है। वह रैली का आयोजन करने वालों के खिलाफ इस धारा के तहत कार्यवाही करती है। वहीं पुलिस सीएए और एनआरसी के समर्थन वाले जुलूस के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती।
इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान शहर पुलिसआयुक्त ने हलफनामा पेश कर कहा कि अहमदाबाद शहर राजनीतिक और सामाजिक तौर पर संवेदनशील है। यदि धारा 144 लागू नहीं की जाती तब अराजकता फैल जाती है। इस प्रकार अराजकता को रोकने के लिए इस धारा का उपयोग किया जाता है। इस जवाब पर हाईकोर्ट ने कहा कि इसका अर्थ यह हुआ कि शहर ही सुरक्षित नहीं है। पुलिस ने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2002 के दंगों, पाटीदार आरक्षण आंदोलन तथा ऊना कांड सहित अनेक घटनाओं के समय कानून और व्यवस्था को खतरे में डालने वाली अनेक घटनाएं हुई हैं। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए शहर में धारा 144 का उपयोग किया जाता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि शहर में शांति के लिए इसका उपयोग उचित है, परन्तु इसका दुरुपयोग सर्वथा अनुचित है। हाईकोर्ट ने शहर पुलिस के सहायक पुलिसआयुक्त के हलफनामा को खारिज करते हुए आदेश दिया कि इस मामले में अब शहर पुलिसआयुक्त नए सिरे से हलफनामा पेश करें, क्योंकि पुलिस आयुक्त की अधिसूचना पर ही 144 का फरमान जारी किया जाता है।
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