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Gujarat: जस्टिस रवि कुमार गुजरात मानवाधिकार आयोग अध्‍यक्ष बने

Justice Ravi kumar उच्‍च न्‍यायालय के सेवानिवृत्‍त न्‍यायाधीश रवि कुमार त्रिपाठी को गुजरात राज्‍य मानव अधिकार आयोग के अध्‍यक्ष नियुक्‍त किया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 09:36 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 09:36 PM (IST)
Gujarat: जस्टिस रवि कुमार गुजरात मानवाधिकार आयोग अध्‍यक्ष बने

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Justice Ravi kumar: उच्‍च न्‍यायालय के सेवानिवृत्‍त न्‍यायाधीश रवि कुमार त्रिपाठी को गुजरात राज्‍य मानव अधिकार आयोग के अध्‍यक्ष नियुक्‍त किया गया है। त्रिपाठी ने गुरुवार को ही अपना पदभार ग्रहण कर लिया। पूर्व अध्‍यक्ष सेवानिवृत्‍त न्‍यायाधीश अभिलाषा कुमारी को लोकपाल कमेटी ऑफ इंडिया का सदस्‍य बनाए जाने के बाद उन्‍होंने इस पद से इस्‍तीफा दे दिया था। मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी की अध्‍यक्षता में आयोजित चयन समिति की बैठक में मानव अधिकार आयोग के अध्‍यक्ष पद के लिए गुजरात हाईकोर्ट के सेवानिवृत्‍त  न्‍यायाधीश त्रिपाठी के नाम की सिफारिश की गई। इसके बाद राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत ने वारंट जारी कर उनकी इस पद पर तीन वर्ष के लिए नियुक्ति की घोषणा की। इससे पहले मणिपुर उच्‍च न्यायालय की पूर्व मुख्‍य न्‍यायाधीश अभिलाषा कुमारी की नियुक्ति की गई थी, लेकिन राष्‍ट्रपति ने उन्‍हें लोकपाल समिति का सदस्‍य मनोनीत किया। इसके बाद उन्‍होंने गुजरात मानवाधिकार आयोग के अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा दे दिया था।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों में भर्ती के संबंध में एक अगस्‍त, 2018 को जारी परिपत्र को गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने रद करते हुए आरक्षित वर्ग व महिला आरक्षण को वैधानिक तरीके से लागू करने की व्‍यवस्‍था दी है। मुख्‍य न्‍यायाधीश विक्रमनाथ व न्‍यायाधीश जेबी पार्डीवाला की खंडपीठ ने राज्‍य सरकार को बताया‍ कि आरक्षण को लागू करने का जो प्रावधान आरक्षण व्‍यवस्‍था के तहत किया गया है, सरकारी नौकरियों में उसी तरीके से भर्ती की जा सकती है। गुजरात सरकार ने एक अगस्‍त, 2018 को एक परिपत्र जारी कर सरकारी पदों पर भर्ती के सिस्‍टम में बदलाव कर दिया था। इसके तहत भर्ती के दौरान योग्‍य अभ्‍यर्थी नहीं मिलने पर सामान्‍य वर्ग के अभ्‍यर्थी को आरक्षित सीट पर नौकरी दी जा सकती थी। सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण राम, ओबीसी नेता अल्‍पेश ठाकोर, पाटीदार युवा व कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, विधायक जिग्नेश मेवाणी सभी ने इसका विरोध किया था। हाईकोर्ट में सरकार के इस आदेश को चुनौती दी गई थी।


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