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    वीरमगाम में हार्दिक को चाहिए ठाकोर समुदाय का साथ, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण ओबीसी वर्ग नाराज

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Sat, 03 Dec 2022 07:53 PM (IST)

    आरक्षण आंदोलन के कारण हार्दिक पटेल पाटीदारों में हीरो बन गये लेकिन अब उन्हें आंदोलन के कारण नाराज हुए ठाकोर समुदाय के मतों की दरकार है। यहां चुनाव पाटीदार व भरवाड समुदाय की जातीय जंग में फंसा है यह सीट वैसे भी कांग्रेस की मजबूत पकड वाली मानी जाती है।

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    हार्दिक पटेल वीरमगाम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

    शत्रुघ्न शर्मा, वीरमगाम, अहमदाबाद। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नायक रहे हार्दिक पटेल लंबे संघर्ष के बाद अहमदाबाद जिले की वीरमगाम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दो विधानसभा चुनाव में भाजपा का विरोध करने के बाद अब हार्दिक उसी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। आरक्षण आंदोलन के कारण वे पाटीदारों में हीरो बन गये लेकिन अब उन्हें आंदोलन के कारण नाराज हुए ठाकोर समुदाय के मतों की दरकार है। यहां चुनाव पाटीदार व भरवाड समुदाय की जातीय जंग में फंसा है, यह सीट वैसे भी कांग्रेस की मजबूत पकड वाली मानी जाती है।

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    चुनावी गणित बिठाने में हार्दिक को आ रही है परेशानी 

    अहमदाबाद से करीब सवा सौ किमी की दूरी पर स्थित वीरमगाम में चुनावी मुकाबला काफी रोचक बन गया है। आरक्षण आंदोलन के कारण पाटीदार अब हार्दिक के पक्ष में हैं लेकिन हार्दिक से ओबीसी समुदाय का प्रमुख तबका ठाकोर अभी सध नहीं रहा है, हार्दिक चाहते हैं ओबीसी एकता मंच के अध्यक्ष एवं गांधीनगर दक्षिण से भाजपा प्रत्याशी अल्पेश ठाकोर उनके लिए प्रचार करें। दरअसल हार्दिक ने ओबीसी कोटे के भीतर पाटीदारों को आरक्षण देने की मांग के साथ आंदोलन छेडा था, ठाकोर सेना एवं ओबीसी एकता मंच ने उसके खिलाफ समानांतर आंदोलन शुरु किया था इसलिए अब चुनावी गणित बिठाने में हार्दिक को मुश्किल आ रही है। विधानसभा में प्रवेश करते ही हांसलपुर चौकडी पर जमा लोगों के बीच आजकल हॉट टोपिक यही है कि हार्दिक चुनाव जीत जाएंगे या फिर ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर की तरह राजनीति के भंवर में फंस जाएंगे। वाघजी भाई पटेल का कहना है कि पटेल समाज एकजुट है तथा पूरी तरह हार्दिक के साथ खडा है, उनको उम्मीद है कि हार्दिक चुनाव जीतकर मंत्री बनते हैं तो वीरमगाम का विकास होगा।

    हार्दिक की पत्नी किंजल ने भी इस क्षेत्र में की प्रचार 

    वंथली गांव में चाय की दुकान पर युवाओं का जमघट नजर आता है और वहां इसी बात की चर्चा है कि हार्दिक ने पहले समाज को और फिर कांग्रेस को गुमराह किया। जिस भाजपा के खिलाफ आंदोलन किया और ओबीसी के तहत आरक्षण का दबाव बनाया अब वही ओबीसी समुदाय कैसे उन्हें वोट दे सकता है। हार्दिक की पत्नी किंजल ने अकेले इस क्षैत्र में खूब जनसंपर्क किया और सामाजिक संस्थाओं व महिला मंडलों से जुडी महिलाओं को अपने साथ जोडा है। रमीला बेन पटेल बताती हैं कि उनके समाज के लिए हार्दिक ने आंदोलन किया, कई महीने तक जेल भी गये इसलिए पाटीदार समाज उनके साथ है, समाज के लोग मां उमिया व मां खोडल के मंदिर के जरिए भी महिला पुरुषों तक इसका संदेश भेज रहे हैं।

    हार्दिक व लाखाभाई के बीच होगा मुकाबला 

    कांग्रेस के टिकट पर वीरमगाम से 2012 में तेजस्विनी पटेल जीती थी, हार्दिक ने इस चुनाव में भाजपा के प्रागजी पटेल के खिलाफ घर घर जाकर प्रचार किया था। 2017 में कांग्रेस के लाखा भरवाड ने चुनाव जीता, पाटीदार आरक्षण आंदोलन का लाभ लाखाभाई को हुआ लेकिन अब मुकाबला हार्दिक व लाखाभाई के बीच ही होना है। भाजपा प्रवक्ता किशोर मकवाणा का दावा है कि पाटीदार हमेशा भाजपा के साथ रहा है और इस चुनाव में भी वह भाजपा के साथ है। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी कहीं पर भी इस चुनाव में टक्कर में नहीं है।

    हार्दिक के दलबदल से नाराज हैं कई युवा 

    पाटीदार नेता दिनेश बामणिया बताते हैं कि इस चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुडे 40 से अधिक प्रत्याशी विविध दलों से मैदान में हैं। पाटीदार समाज इन सभी प्रतयाशियों का समर्थन करता है हालांकि कुछ पाटीदार युवा हार्दिक के दलबदल से नाराज हैं। बामणिया बताते हैं कि 2017 में पाटीदार समुदाय के करीब 44 विधायक चुने गये थे और इस बार भी बडी संख्या में चुनाव जीतें इसके प्रयास किये जाएंगे। खोडल धाम के ट्रसटी रमेश टीलाला प्रथम चरण में राजकोट दक्षिण से चुनाव में थे। मुख्य ट्रस्टी नरेश पटेल ने खुद उनके टिकट के लिए दिल्ली व गांधीनगर तक दौड़धूप की थी। पाटीदार समुदाय आज भी भाजपा के साथ खडा है और भाजपा ने करीब 45 पाटीदारों को इस चुनावी समर में उतारा है।

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