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Gujarat: बिजनेसमैन से लेकर बच्चों तक, जैन समुदाय के 35 लोग बने भिक्षु; मोह-माया का किया त्याग

गुजरात के अहमदाबाद में जैन समुदाय ने एक ऐतिहासिक दीक्षा समारोह का रिकॉर्ड बनाया है। इसमें गुजरात स्थित व्यवसायी भावेश भाई भंडारी का नाम भी शामिल हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के साथ भिक्षुत्व स्वीकार करने का फैसला किया। दरअसल भावेश को दीक्षा लेने की प्रेरणा अपने बच्चों से मिली जिन्होंने 2022 में दीक्षा का मार्ग अपनाया था। बता दें कि दीक्षा लेने वाले 35 लोगों में 5 कपल भी हैं।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Published: Sun, 21 Apr 2024 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2024 06:31 PM (IST)
जैन समुदाय के 35 लोगों ने अपनाई दीक्षा (Image: ANI)

एएनआइ, अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में जैन समुदाय ने एक ऐतिहासिक दीक्षा समारोह का रिकॉर्ड बनाया है। इस समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इसमें लगभग 35 भक्तों ने भाग लिया, जिसमें 10 बच्चे भी शामिल है। बच्चों की उम्र 8 से 18 वर्ष के बीच है।

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इसमें गुजरात स्थित व्यवसायी भावेश भाई भंडारी का नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के साथ भिक्षुत्व स्वीकार करने का फैसला किया। दरअसल, भावेश को दीक्षा लेने की प्रेरणा अपने बच्चों से मिली, जिन्होंने 2022 में दीक्षा का मार्ग अपनाया था।

35 लोगों में 5 कपल का नाम भी शामिल

बता दें कि दीक्षा लेने वाले 35 लोगों में 5 कपल हैं, और एक परिवार ऐसा है जहां एक ही परिवार के 6 सदस्य दीक्षा ले रहे हैं। इस समारोह में 10 बच्चे भी शामिल हैं, जो नाबालिग हैं। अहमदाबाद के 500 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु इस तरह के आयोजन के लिए एक साथ आए हैं।

जैन श्रद्धालु और कार्यक्रम के संयोजक संजय वोहरा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारे गुरु महाराज को सुनने के बाद से 300 से अधिक लोगों ने दीक्षा ली है। वोहरा ने कहा कि हमारे धर्म में कहा जाता है कि जो बच्चे अपने पिछले जन्म के संस्कार लेकर आते हैं वे ही दीक्षा के कठिन मार्ग को अपनाने में सक्षम होते हैं।

क्यों ले रहे लोग दीक्षा?

वोहरा ने कहा कि हमारे गुरु महाराज के उपदेशों में इतनी शक्ति है कि उनके केवल एक प्रवचन को सुनने के बाद, कई लोग सांसारिक मोह-माया छोड़ देते हैं और साधुता के इस कठिन रास्ते पर चल पड़ते हैं। जानकारी के मुताबिक, जैन धर्म में दीक्षा समारोह पारंपरिक रूप से एक गंभीर और आध्यात्मिक अवसर माना जाता है, जो त्याग और आध्यात्मिक मुक्ति की खोज पर केंद्रित है।

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