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    Real Kashmir Football Club Review: कश्मीर के नए पहलू को लाती है सामने, संघर्ष और उम्‍मीद की कहानी

    By Smita SrivastavaEdited By: Tanya Arora
    Updated: Tue, 09 Dec 2025 08:44 PM (IST)

    रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब एक संघर्ष और उम्मीद की कहानी सामने लाता है। यह क्लब कश्मीर के नए पहलू को दिखाता है. प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, क्लब ने य ...और पढ़ें

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    रियल कश्‍मीर फुटबाल क्‍लब रिव्यू/ फोटो- Jagran Graphic

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    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। सीरीज की शुरुआत में एक संवाद है कि फुटबाल से कश्मीर के युवाओं को उम्मीद और एक नया मकसद मिलेगा। बदलाव के लिए इतना काफी है। यह पंक्ति इस शो की आत्मा को बयान करती है। यह संवाद स्‍पष्‍ट करता है कि आतंकवाद, पत्थरबाजी और कट्टरपंथ से जूझते कश्मीर में अगर युवाओं को कोई सार्थक लक्ष्य मिल जाए, तो उनकी दिशा बदली जा सकती है।

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    यह सीरीज उन कट्टरपंथियों को भी कटघरे में लाती है, जो धर्म, बेरोजगारी और असंतोष की आड़ में युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। वास्‍तव में यह सीरीज साल 2016 में रियल कश्मीर एफसी के संस्‍थापक पत्रकार शमीम मेराज और बिजनेसमैन संदीप चट्टू से प्रेरित है।

    क्या है 'रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब' की कहानी

    कहानी की शुरुआत शराब कारोबारी शिरीष खेमू (मानव कौल) की दुकान के बाहर हो रहे विरोध-प्रदर्शन से होती है। फिर पत्रकार सोहेल मीर (मोहम्मद जीशान अय्यूब) से परिचय होता है, जो टीवी पर कश्मीरी फुटबॉलर अजलान शाह (अनमोल ढिल्‍लन ठकेरिया) को देखकर प्रफुल्लित हो जाता है। सोहेल अपनी नौकरी छोड़कर घाटी में पहला प्रोफेशनल फुटबॉल क्लब शुरू करने का सपना देखता है, ताकि युवाओं की जिंदगी में किसी सकारात्मक बदलाव की नींव रखी जा सके।

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    हालांकि, परिवार और समाज, दोनों ही स्तर पर उसे शुरुआत में विरोध झेलना पड़ता है। यहीं उसकी मुलाकात शिरीष से होती है, जो कट्टर नेता नजीर डार (अधीर भट्ट) के निशाने पर है। सोहेल का जुनून और ईमानदारी शिरीष को प्रभावित करती है और वह क्लब को फंड देने के लिए तैयार हो जाता है, बशर्ते सोहेल खिलाड़ियों और कोच की व्यवस्था करे। सोहेल अपने दोस्‍त और फुटबॉल कोच रह चुके मुस्तफा (मुअज्‍जम भट) को साथ जोड़ता है जो टीम को आकार देने की जिम्मेदारी संभालता है।

    real kashmir football club

    कश्मीर की झील से निकलकर आम जिंदगी की कहानी दर्शाती

    निर्देशक महेश मथाई और राजेश मापुस्कर कहानी के जरिए कश्मीर को सिर्फ डल झील, बर्फ या आतंक की पृष्ठभूमि से आगे ले जाकर आम लोगों की जिंदगी, उनके डर, सपनों और आंतरिक संघर्षों को दिखाने की कोशिश करते हैं। लेखक सिमाब हाशमी, दानिश रेंजू, ध्रुव नारंग और उमंग व्यास ने भले ही कश्मीर की बड़ी और जटिल सच्चाइयों को सीधे सामने लाने से परहेज किया गया हो, लेकिन खिलाड़ियों के जरिए बेरोजगारी, राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य मौजूदगी और गुमराह होते युवक जैसे मुद्दों को काफी संतुलित और संयमित तरीके से पेश किया है।

    विदेशी कोच डगलस गार्डन (मार्क बेनिंगटन) की मौजूदगी थोड़ा जोश लाती है। साथ ही बहुत कुछ संवादों से कह जाती है। बहरहाल, कई दृश्‍य अनावश्यक रुप से खींचे गए लगते हैं। शो कश्मीरी पंडित शिरीष के आंतरिक द्वंद्व भी दिखाती है , जो दशकों बाद अपने बचपन के घर लौटने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी गहराई में नहीं जाती। सोहेल और शिरीष के रिश्‍तों को थोड़ा और गहराई से दर्शाने की जरूरत थी। कहानी अजलान शाह, दिलशाद (अफनान फजली) गोलकीपर रुद्र रैना (खुशहाल मग्गो) के साथ बाकी खिलाड़ी की निजी जिंदगी और उनके संघर्ष को दर्शाती है पर झकझोरती नहीं है। यह वास्‍तव में कोई रोमांच से भरा स्‍पोर्ट्स ड्रामा नहीं है। इसकी रफ्तार धीमी है लेकिन भावनात्मक प्रभाव गहरा है।

    manav kaul

    कैसा है कलाकारों का अभिनय?

    अभिनय के स्‍तर पर सोहेल मीर के रूप में मोहम्मद जीशान अय्यूब शो की रीढ़ हैं। असफलताओं और घरेलू तनावों के बावजूद उनके किरदार का शांत संकल्प प्रभाव छोड़ता है। मानव कौल शिरीष की भूमिका में संयमित और सधा हुआ अभिनय करते हैं। अपनी निजी जिंदगी और फुटबाल के प्रति लगाव से झूलते मुस्तफा की भूमिका में मुअज्‍जम भट (Muazzam Bhat) प्रभावित करते हैं। अमान के रूप में अभिशांत राणा, दिलशाद के रूप में अफनान फजली और अजलान की भूमिका में अनमोल ढिल्‍लन ठकेरिया का अभिनय उल्‍लेखनीय है। सोहेल की हताश पत्नी गजल मीर की भूमिका में प्रिया चौहान, पत्रकार की भूमिका में निखार खुल्‍लर सीमित स्‍क्रीन टाइम के बावजूद प्रभाव छोड़ती हैं।

    वास्‍तव में रियल कश्मीर फुटबाल क्‍लब आम लोगों के प्रतिकूल माहौल में उम्मीद, पहचान और मकसद खोजने की संवेदनशील कहानी है, जो कश्मीर के नए पहलू को सामने लाती है।

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