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फिल्म रिव्यू: कृष 3 (3स्टार)

प्रमुख कलाकार: राकेश रोशन, रोहित मेहरा, रितिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा, विवेक ओबेरॉय, कंगना रनोट अवधि: 152 मिनट निर्देशक: राकेश रोशन स्टार :3 सेलवेस्टर स्टैलोन की 'रैंबो' परंपरा की तर्ज पर जन्मी है 'कृष 3'।

By Edited By: Published: Tue, 05 Nov 2013 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2013 11:18 AM (IST)
फिल्म रिव्यू: कृष 3 (3स्टार)

मुंबई, दुर्गेश सिंह।

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प्रमुख कलाकार: राकेश रोशन, रोहित मेहरा, रितिक रोशन, प्रियंका चोपड़ा, विवेक ओबेरॉय, कंगना रनोट

निर्देशक: राकेश रोशन

स्टार : 3

सेलवेस्टर स्टैलोन की 'रैंबो' परंपरा की तर्ज पर जन्मी है 'कृष 3'। 'रैंबो' के प्रशंसक जानते होंगे कि इस सीरीज की पहली फिल्म का नाम था 'फ‌र्स्ट ब्लड', दूसरी का था 'रैंबो-फ ‌र्स्ट ब्लड 2', फिर 'रैंबो 3' और आखिरकार 2008 की 'रैंबो'। ठीक उसी तर्ज पर राकेश रोशन ने कृष परंपरा की पहली फिल्म को 'कोई मिल गया', फि र 'कृष' और उसके बाद 'कृष 3' नाम से क्रिएट किया।

सोलो दीवाली रिलीज और 4000 प्रिंट, किसी भी फिल्म के लिए इससे बड़ा बॉक्स ऑफिस बोनांजा नहीं हो सकता था। 'कृष 3' को सफल बनाने के लिए फिल्मक्राफ्ट की टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन कृष की इमोशनल कड़ी यहां मिसिंग है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि इस कहानी में मां नहीं है, पर यह फिल्म इसलिए जरूरी है, क्योंकि दुनिया की तमाम बुराइयों के बावजूद इसमें अच्छाई की जीत दिखाने की कोशिश की गई है। साथ ही तकनीकी पक्ष को प्यार व सम्मान देना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसके स्पेशल इफ्ेक्ट्स को देसी विशेषज्ञों ने तैयार किया है।

पढ़ें:ऑनलाइन सबसे ज्यादा देखा गया 'कृष थ्री' का ट्रेलर

रोहित मेहरा पिता (रितिक रोशन) अपने बेटे कृष्णा बेटा (रितिक रोशन) और बहू प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) के साथ मुंबई में रहते हैं। रोहित रिसर्च इंस्टीट्यूट में काम करते हैं। उनके साइंस का लोहा दुनिया भर के वैज्ञानिक मानते हैं, लेकिन दूर कहीं दूसरी जगह कृष के समानांतर ताकत के तौर पर काल (विवेक ओबेरॉय) पनप रहा है। उसका उद्देश्य दुनिया को नए सिरे से अपने हिसाब से निर्मित करना है। इसके लिए जानवर और मानव की शक्ति से उसने मानवरों का निर्माण किया है। ये मानवर उड़ सकते हैं, चिपक सकते हैं, तोड-फ ोड़ कर सकते हैं, प्यार कर सकते हैं और आइसक्रीम भी खा सकते हैं लेकिन मर नहीं सकते हैं।

इन्हीं मानवरों में एक है काया (कंगना रनोट)। यह किरदार कहानी में सिर्फ ग्लैमर लाने के लिए शामिल किया गया है। काल की परफॉरमेंस इस सुपरहीरो फिल्म की सबसे खास बात है। विवेक ओबेरॉय ने बखूबी काल के गुस्से को पर्दे पर उतारा है। काल के हाव-भाव हिंदी सिनेमा के मानकों के हिसाब से हैं। बात अभिनय की हो रही है तो रितिक रोशन के दोनों रूपों का जिक्र करना जरूरी है। रोहित मेहरा के किरदार में वह पिछली फि ल्म में प्रभावी थे और इस बार भी कृष से अधिक प्रभावी हैं। सुपरहीरो फि ल्म में विलेन की एक अहम् भूमिका होती है। उसके हिस्से संवाद भी आते हैं। कंगना के हिस्से भी आए, लेकिन वह उसे प्रभावी नहीं बना पाई। यही संवाद लेखक संजय मासूम का अच्छा लिखा उस प्रभाव के साथ पर्दे पर आने से रह जाता है।

राकेश रोशन पहले भी रिश्तों को आधार बनाकर ऐसी ही फैंटेसी की दुनिया रचते रहे हैं और सच्चाई की जीत दिखाते रहे हैं। बी क्लास और सी क्लास टाउन में दर्शक इस फि ल्म की भावना से कनेक्ट कर पाएंगे, लेकिन मल्टीप्लेक्स में बच्चे ही इस फिल्म की सबसे बड़ी ऑडियंस हैं।

अवधि- 152 मिनट

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