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फिल्म रिव्यू : कोचडयान (3.5 स्टार)

मुंबई (अजय ब्रह्मात्मज)। प्रमुख कलाकार: रजनीकांत, दीपिका पादुकोण, आर सरत कुमार और जैकी श्रॉफ। निर्देशक: सौंदर्या आर अश्रि्वन। संगीतकार: एआर रहमान। स्टार: साढ़े तीन मुंबई। फिल्म निर्माण के हर केंद्र में मसाला एंटरटेनमेंट पर जोर है।

By Edited By: Published: Sat, 24 May 2014 12:01 PM (IST)Updated: Sat, 24 May 2014 12:01 PM (IST)
फिल्म रिव्यू : कोचडयान (3.5 स्टार)

मुंबई (अजय ब्रह्मात्मज)।

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प्रमुख कलाकार: रजनीकांत, दीपिका पादुकोण, आर सरत कुमार और जैकी श्रॉफ।

निर्देशक: सौंदर्या आर अश्रि्वन।

संगीतकार: एआर रहमान।

स्टार: साढ़े तीन

मुंबई। फिल्म निर्माण के हर केंद्र में मसाला एंटरटेनमेंट पर जोर है। अगर आप के पास पापुलर स्टार हैं तो किसी प्रकार के प्रयोग की जरूरत ही नहीं महसूस होती। रजनीकांत की बेटी सौंदर्या आर अश्विन ने 'कोचडयान' में इस सुरक्षा कवच को तोड़ दिया है।

उन्होंने परफारमेंस कैप्चरिंग तकनीक में सुपरस्टार रजनीकांत को लेकर 'कोचडयान' का निर्देशन किया है। यहां रजनीकांत अपने अंदाज और स्टाइल में हैं,लेकिन एनिमेटेड रूप में। धैर्य, मेहनत और सोच से बनाई गई यह फिल्म भारतीय फिल्मों के इतिहास में एक नई पहल है। पहली कोशिश की हिम्मत की तारीफ होनी ही चाहिए। सौंदर्या ने 'कोचडयान' में तकनीक और टैलेंट का सही उपयोग किया है।

सौंदर्या आर अश्रि्वन ने स्पष्ट किया था कि यह एक काल्पनिक कहानी है। कोचडयान और उनके बेटों राणा और धर्मा को लेकर गुंथी हुई कहानी में राष्ट्रप्रेम और प्रजाहित पर जोर दिया गया है। परिवेश के मुताबिक दो राष्ट्रों कलिंगपुर और कोट्टायपट्टनम के द्वेष और कलह के बीच राणा के योद्धा व्यक्तित्व,राजनीति और राष्ट्रप्रेम को भव्य तरीके से चित्रित किया गया है। राजकुमारी वदना से प्रेम की कहानी साथ चलती है।

फिल्म मुख्य रूप से तकनीक पर आधारित है। कलाकारों की मेहनत पर्दे पर नहीं दिखती, क्योंकि तकनीक के माध्यम से उन्हें एनिमेटेड किरदारों में बदल दिया गया है। संभव है कुछ दर्शक जेम्स कैमरून की फिल्म 'अवतार' की तुलना में 'कोचडयान' को निम्न और कमजोर पाएं, लेकिन कमियों के बावजूद इस फिल्म का महत्व कम नहीं होता। भारतीय फिल्मों में यह पहली कोशिश है।

रजनीकांत, दीपिका पादुकोण, जैकी श्रॉफ और अन्य कलाकारों के सहयोग से सौंदर्या का सपना साकार हुआ है। फिल्म के आरंभ में अमिताभ बच्चन की उक्ति 'कोचडयान के पहले और बाद का सिनेमा' अतिशयोक्ति लग सकती है, लेकिन इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि रजनीकांत जैसे लोकप्रिय स्टार के साथ सौंदर्या ने उल्लेखनीय प्रयोग किया है। ऐसे प्रयोग के लिए लोकप्रिय स्टार का होना जरूरी था।

फिल्म के रंग को लेकर एक सवाल हैं? क्या इसे रंगीन और चमकदार रखने में कोई तकनीकी दिक्कत थी। फिल्म का सलेटी और गाढ़ा रंग कुछ दृश्यों के बाद आंखों को भारी लगने लगता है। इस फिल्म का पूर्ण आनंद '3 डी' में ही लिया जा सकता है। रजनीकांत के प्रशंसकों के लिए उनके मैनरिज्म, चाल-ढाल और डांस का 'कोचडयान' में उपयोग किया गया है। फिल्म के विषय और परिवेश के मुताबिक तलवार उछल कर हाथ में आ जाती है।

हां,नृत्यों के एनीमेशन में पूरी लचक नहीं आ सकी है, लेकिन युद्ध के व्यापक दृ़श्यों में रोमांच बढ़ता है। 'कोचडयान' में गानों की संख्या यादा लगती है। हर भाव के गीत एक के बाद एक आने से ड्रामा कम होता है।

'कोचडयान' सौदर्या आर अश्रि्वन के क्रिएटिव साहस का सफल परिणाम है। इस फिल्म को देखना अलग किस्म के नए सिनेमाई अनुभव से गुजरना है।

अवधि - 120 मिनट

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