Delhi Crime 3 Review: छह एपिसोड्स में आपको हिलने तक नहीं देगी ये सीरीज, लड़कियों की दुर्दशा देख कांप जाएगी रूह
Delhi Crime Season 3: शेफाली शाह एक बार फिर से डीआईजी वर्तिका चतुर्वेदी बनकर लौट चुकी हैं और एक नए केस को सुलझाने के लिए तैयार हैं। इस बार उनकी भिड़ंत 'बड़ी दीदी' के साथ है, जो मानव तस्करी करती हैं। छह एपिसोड की ये सीरीज आपको एक मिनट भी इधर-उधर नहीं होने देगी। इस बार कहानी क्या मोड़ लेगी, नीचे पढ़ें डिटेल्स:

दिल्ली क्राइम सीजन 3 रिव्यू/ फोटो- Jagran Photos
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प्रियंका सिंह, मुंबई। वास्तविक अपराधों और उनसे जुड़ी पुलिस जांच से प्रेरित वेब सीरीज 'दिल्ली' क्राइम अपने तीसरे सीजन के साथ लौटा है। साल 2019 में रिलीज हुआ इसका पहला सीजन साल 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप और दूसरा सीजन लूटपाट करने वाले चड्डी बनियान गैंग पर आधारित था। तीसरे सीजन में मानव तस्करी का मुद्दा है, जिसमें नौकरी का झांसा देकर लड़कियों को देह व्यापार से लेकर अलग-अलग कामों के लिए बेचा जाता है।
इस बार असम जाएंगी डीआईजी वर्तिका चतुर्वेदी
डीआईजी वर्तिका चतुर्वेदी (शेफाली शाह) का ट्रांसफर दिल्ली से असम हो गया है। वहां उसे लड़कियों से भरी एक ट्रक मिलती है, जिसे दिल्ली भेजा रहा होता है। एसीपी नीति सिंह (रसिका दुग्गल) के पास दिल्ली में एक बच्ची का केस आता है, जो बुरी तरह जख्मी है। यह दोनों केस आपस में जुड़े हैं। वर्तिका को केस की जांच के लिए दिल्ली आना पड़ता है। वहां से कई परतें खुलती हैं, जिसमें बड़ी दीदी उर्फ मीना (हुमा कुरैशी) का नाम सामने आता है।
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लड़कियों की हालत देख आ जाएगा रोना
वेब सीरीज में एक संवाद है कि अपना काम ठीक से करना टाइम खराब करना थोड़े होता है, ड्यूटी तो ड्यूटी होती है। फिल्म में दिल्ली पुलिस अपनी ड्यूटी एक बार फिर बखूबी निभाती है। इस बार इसमे दूसरे राज्यों की पुलिस भी जुड़ती है। तनुज निर्देशित और लिखित वास्तविक घटनाओं से प्रेरित इस कहानी की खास बात यह है कि अपराध करने से लेकर इसे रोकने की लड़ाई में दोनों तरफ महिलाएं ही हैं, जो कहानी को ड्रमैटिक बनाता है। तनुज ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि अपराध को मनोरंजन के साथ मिलाकर दिखाना ट्रिकी होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आंखें बंद कर ली जाए और ऐसे अपराधों को सामने न लाया जाए। वह इस प्रयास में सफल होते हैं।
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छह एपिसोड में एक भी नहीं कर पाएंगे मिस
छह एपिसोड में उन्होंने कहानी को बेहद अच्छे से बांधा है, जिसमें उन्हें एडिटर अंतरा लहिरी का साथ मिला है। हर एपिसोड को ऐसे खत्म किया है कि अगले एपिसोड को देखने की जिज्ञासा होती है। नौकरी का झांसा देकर देह व्यापार और लड़का पैदा करने के लिए शादी के लिए बेची जा रही लड़कियों का हाल देखकर गुस्सा और दुख दोनों महसूस होता है। जब उन्हें भेड़-बकरियों की तरह एक कंटेनर में भरकर एक पार्सल की तरह भेजा जाता है, तो बंद कटेंनर की घुटन भी महसूस होती है। हरियाणा, राजस्थान के उन हालातों को भी दिखाया गया है, जहां लड़कियों को पैदा होते मार दिया जाता है, फिर लड़कियों की संख्या कम होने पर उन्हे खरीदकर शादी कर फिर लाया जाता है, ताकि वह परिवार का वारिस लड़का पैदा कर सकें। कहानी में कुछ कमियां भी हैं, जैसे पढ़ी-लिखी लड़कियां जब समझ जाती हैं कि उन्हें किसी गलत काम के लिए लाया गया है, तो वह विरोध क्यों नहीं करती हैं, कोई भागने का प्रयास नहीं करता, उनके परिवार में कहानी नहीं जाती।
अनु सिंह चौधरी के लिखे संवाद, जैसे नोवन मिसिस मिसिंग गर्ल्स (खोई हुई लड़कियों को कोई याद नहीं करता), आस्क फॉर फॉरगिवनेस, नॉट परमिशन (माफी मांगे, इजाजत नहीं) दमदार हैं। शो का बैकग्राउंड स्कोर रोमांच बढ़ाता है। सिनेमैटोग्राफर जोहान आएट और एरिक वुंडर लिन का कैमरा केवल शो की कहानी, लोकेशन को ही नहीं बल्कि कलाकारों के इमोशन को भी बारीकी से दिखाता है।
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एक्टर्स ने अपने किरदारों के साथ किया न्याय?
अभिनय की बात करें, तो शेफाली शाह अपने तेज-तर्रार अंदाज में हैं। वह शो की हीरो हैं, जो पुलिस अफसर के इस रोल को ग्लैमरस नहीं मानवीय बनाती हैं। वर्तिका बड़े अधिकारियों के साथ चाय पीने की बजाय, अपराधियों को पकड़ने में और पीड़ित का दर्द महसूस करना, सीनियर को कम शब्दों में धमका देना, इस स्वभाव का असर निजी रिश्तों पर होने जैसी हर बारीकियों को शेफाली आसानी से निभा जाती हैं। रसिका दुग्गल उन महिला पुलिस अफसरों की जिंदगी की झलक दिखाने में सफल होती हैं, जिनके घर पर काम हावी रहता है।
महारानी 4 वेब सीरीज में पाजिटिव रोल की छवि हमा कुरैशी इस शो में आसानी से तोड़ देती हैं। लड़कियों को बेचने वाली क्रूर महिला के रोल में वह विश्वसनीय लगती हैं। हरियाणवी भाषा पर उनकी पकड़ मजबूत है। इसके साथ ही वह बड़ी दीदी की इन हरकतों के पीछे के कारणों को भी महसूस कराती हैं। शायोनी गुप्ता का पात्र अधूरा सा है, लेकिन जितना भी है, उसमें वह अच्छा काम करती हैं। राजेश तैलंग, मीता वशिष्ठ, सेलेस्टी बैरागी संक्षिप्त भूमिकाओं में असरदार हैं।

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