बॉलीवुड में बदलाव का दौर है - उमंग कुमार
फिल्म ‘मैरी कॉम’ को पॉपुलर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड देने की घोषणा हो चुकी है। पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपियन बॉक्सर मैरी कॉम ने काफी संघर्षों के बाद सफल मुकाम पाया। उनके सफर को निर्देशक उमंग कुमार ने बखूबी पर्दे पर उतारा। उन्होंने महिला खिलाड़ी के साथ होने
फिल्म ‘मैरी कॉम’ को पॉपुलर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड देने की घोषणा हो चुकी है। पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपियन बॉक्सर मैरी कॉम ने काफी संघर्षों के बाद सफल मुकाम पाया। उनके सफर को निर्देशक उमंग कुमार ने बखूबी पर्दे पर उतारा। उन्होंने महिला खिलाड़ी के साथ होने वाले भेदभाव को फिल्म में संजीदगी से पेश किया। फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों का भरपूर प्यार मिला। महिला खिलाड़ियों को गंभीरता से लेने की कुछ उम्मीद जगी है।
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इसकी खुशी अलग है
फिल्म को मिली सफलता और तारीफ के बाद उमंग को भी अवार्ड मिलने की उम्मीद थी। वो कहते हैं, ‘पहली ही फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिलना बड़ी उपलब्धि है। ये देश में सर्वोत्तम अवॉर्ड है, तो इसकी खुशी जाहिराना तौर पर अलग है। अवॉर्ड की घोषणा के दौरान मैं मलेशिया में था। अचानक मोबाइल पर मैसेज की बरसात होने लगी। घंटियां घनघनाने लगी। मेरी तबियत ठीक नहीं थी। काम करते हुए बीच में आधा घंटे सो गया। फोन साइलेंट मोड में था। उठा तो 53 मिस्ड कॉल देखकर चौंका, तभी एक पत्रकार का फोन आया। उसने बधाई दी। मैंने पूछा पुरस्कार किसको मिला? बोला आपकी फिल्म को। फिर मैंने ट्विटर देखा। सब बधाई दे रहे थे। दरअसल, नेशनल अवॉर्ड मिलते ही लोगों का आपके प्रति नज़रिया बदल जाता है। झूठ नहीं बोलूंगा। फिल्म अलहदा थी और मन में कहीं न कहीं अवॉर्ड मिलने की एक्सपेक्टेशन थी। प्रियंका चोपड़ा को नेशनल अवार्ड न मिलने पर हैरत हुई। खैर फिल्म को अवॉर्ड मिलने से सभी खुश हैं।’
प्रियंका से दोस्ती पुरानी
प्रियंका के साथ अपनी ट्यूनिंग पर उमंग कहते हैं, ‘दरअसल, प्रियंका को मैं तब से जानता हूं जब आर्ट डायरेक्टर था। वो मेरी दोस्त हैं। फिल्म के दौरान निर्देशक बनने से रिस्पेक्ट आ जाती है, पर हम दोस्तों की तरह सबकुछ डिस्कस करते थे। मैं निर्देशक हूं वो एक्टर, इस नजरिए से हमने काम नहीं किया। मुझे नहीं लगता कि प्रियंका जितनी कड़ी मेहनत कोई और अभिनेत्री कर पाती। उन्होंने समर्पित भाव से काम किया। बीमार होने पर भी वो बॉक्सिंग के लिए आती थीं। घंटों जिम में बिताती थीं। सिर पर चोट लगने के बावजूद दोबारा टेक देने को राजी हो जाती थीं। ये सब यादें अवॉर्ड मिलने के साथ फिर ताजा हो गई। अगर मैं ‘मैरी कॉम’ का सीक्वेल बनाने की सोचूं तो प्रियंका का ही ख्याल आएगा। मुझे लगता है टेनिस स्टार सानिया मिर्जा की बायोपिक में भी प्रियंका फबेंगी।’
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टफ टॉस्कमेकर हैं भंसाली
वो बताते हैं, ‘फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली काम के प्रति बेहद समर्पित हैं। परफेक्शन लाने के लिए वो जमीन-आसमान एक कर देते हैं। वो टफ टॉस्क मास्टर इसलिए हैं क्योंकि काम में परफेक्शन चाहते हैं। एक भी गलती सेल्यूलाइड पर साफ झलकती है। इसलिए चाहते हैं कि उनके साथ काम करने वाला हर कोई परफेक्ट हो।’
अगली फिल्म तय नहीं
आगामी प्रोजेक्ट के बारे में उमंग बताते हैं, ‘मेरे पास दो फिल्मों की स्क्रिप्ट तैयार है। इनमें एक द्वितीय विश्वयुद्ध पर आधारित है। 1944 में कोहिमा का युद्ध भारत में हुआ था। लोगों को उस युद्ध की ज्यादा जानकारी नहीं है। उसमें सुभाष चंद्र बोस का भी छोटा सा एंगल होगा। उस बैटल पर मैंने फिक्शन स्टोरी बनाई है। वॉर फिल्म को बनाना खर्चीला होता है लेकिन स्मार्टली काम करें तो कम पैसे में भी संभव है। मैं सेट डिजाइनर भी हूं। मुझे पता है कि चीजें कैसे एक्सपेंसिव दिखनी चाहिए। मुझे पता है कि कहां शूट करना है, कहां सेट लगाना है। मैं फैंटेसी और पीरियड फिल्मों के सेट डिजाइनिंग से जुड़ा रहा हूं। मुझे पिछली सदी के पांचवें, छठे दशक के दौर पर फिल्म बनाना चैलेंजिंग लगता है। वर्तमान दौर रियलिज्म का है। ‘मैरी कॉम’ रियलिज्म है। वो कर लिया। अब ऐसी फिल्म बनाना चाहता हूं जो पहले न बनी हो। ऐसी फिल्म जो लोगों को लाइफलॉन्ग याद रहे। दूसरी फिल्म कामर्शियल है। ये हीरो ओरिएंटेड होगी। फिलहाल तय कर रहा हूं कि पहले किसे बनाऊं, लेकिन हां दोनों फिल्में निश्चित रूप से बनेंगी। हां, एक पीरियड फिल्म भी बनानी है।’
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चलेगा बायोपिक का दौर
उमंग का मानना है कि बायोपिक का दौर अभी जारी रहेगा। वो कहते हैं, ‘भारतीय सिनेमा प्रयोगात्मक दौर से गुजर रहा है। ये सराहनीय है। फिलहाल बायोपिक का दौर चल रहा है। विदेश में बायोपिक का दौर खत्म नहीं होता। वहां चलता रहता है। शायद यहां भी चलता रहेगा। लोग रोचक कहानी ला रहे हैं। ‘मैरी कॉम’ के बाद फीमेल ओरिएंटेड मूवी के लिए निर्माता तैयार हैं। ये दौर बदलाव का है। बड़ी-बड़ी फिल्मों को बनाने में रिस्क होता है। फिलहाल छोटे बजट की कंटेंट ओरिएंटेड फिल्में चल रही हैं!’
स्मिता श्रीवास्तव