Sonu Sood Interview: सोनू सूद ने बताया, मदद के लिए उन्हें कैसे मिली थी आर्थिक मदद?
Sonu Sood Interview प्रवासियों को अपने घर पर पहुंचाने को लेकर सुर्खियों में रहे सोनू सूद ने अपनी अपकमिंग किताब और फिल्म को लेकर बात की है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सिल्वर स्क्रीन पर बतौर खलनायक नफरत बटोरने वाले सोनू सूद प्रवासियों और जरूरतमंदों की मदद करके रियल हीरो के तौर पर उभरे हैं। जल्द ही वह फिल्म ‘पृथ्वीराज’ की शूटिंग आरंभ करेंगे। लॉकडाउन के अनुभवों पर वह किताब भी लिख रहे हैं। जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर अलग है सोनू सूद का नजरिया...
वास्तविक जिंदगी में हीरो बनकर कैसा लग रहा है?
मुझे लगता है यह मेरी ड्यूटी थी। जब नंबर आता है तो आपको काम करना पड़ता है। अब लग रहा है मैं अपना काम ठीक ढंग से कर रहा हूं। ये सब काम तो भगवान कर रहे हैं, उन्होंने तो मुझे इसके लिए सिर्फ जरिया मात्र चुना है। इस दौर ने हमें सिखाया कि जिंदगी सिर्फ अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए भी जीनी चाहिए।
समाजसेवा से जुड़ी चीजें पहले से ही आपके दिमाग में रहती थीं या महामारी के दौर में आई?
मैं पहले भी समाजसेवा करता रहता था, लेकिन महामारी की वजह से ढेर सारे लोग तकलीफ में आ गए। समाजसेवा करने वाले लोग भी इसकी चपेट में आ गए हैं। ऐसे समय में जरूरतमंदों का हाथ थामने के लिए बढ़-चढ़कर सामने आना चाहिए। मैं दुनिया के लोगों की मदद करने लायक हूं या नहीं यह जानने के लिए यही सही समय था। जब तक चीजें सामान्य नहीं हो जातीं, तब तक जी जान से इस काम में जुटा रहूंगा।
इस काम में आपकी पत्नी का किस तरह का सहयोग है?
मेरी पत्नी का बहुत ज्यादा सहयोग है। वह कहती हैं कि यह आपका सबसे बेहतरीन किरदार है। कुछ लोगों को आपकी जरूरत है। आपको आगे बढ़कर उनकी मदद करनी है। ऐसी चीजों में परिवार का सहयोग बहुत जरूरी होता है।
क्या कुछ अन्य लोगों ने भी आर्थिक मदद की?
इसमें कोई दो राय नहीं कि मदद के लिए लोगों के हाथ बढ़े हैं। मैं ऐसा नहीं सोचता कि मुझे मदद मिलेगी, तभी मैं दूसरों की मदद करूंगा। एक बार जब आप लोगों की मदद करने के लिए सोच लेते हैं तो मदद करते ही रहते हैं। आपके लिए रास्ते भगवान बनाते हैं।
आपके रियल हीरो कौन हैं, जिनसे आप प्रेरणा लेते हैं?
मेरे माता-पिता ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की मदद की है। मेरी मां अपनी पूरी जिंदगी लोगों को अंग्रेजी पढ़ाती रही हैं और मेरे पिता अपनी दुकान के सामने पूरी जिंदगी लंगर लगाते रहे हैं। उन्होंने मुझे लोगों की मदद करने के लिए बहुत ज्यादा प्रेरित किया है। कहीं न कहीं उन्हीं की प्रेरणा से मैं लोगों की मदद करने में सफल रहा हूं।
ट्विटर पर आप बहुत दिलचस्प जवाब देते हैं, क्या लेखन में भी दिलचस्पी रही है?
मुझे शुरू से ही लेखन में दिलचस्पी रही है। मेरी फिल्मों के निर्देशकों को पता है कि मैंने अपनी कई फिल्मों के डायलॉग लिखे हैं। मेरी मां साहित्यिक पृष्ठभूमि से जुड़ी रही हैं। उन्हेंं मेरे लेखन के बारे में पता था। उन्होंने मुझसे कहा था कि हमेशा लिखते रहना। उस समय मुझे नहीं पता था कि ट्विटर पर लोगों के जवाब देने पड़ेंगे और फिल्मों के डायलॉग लिखने पड़ेंगे।
क्या नियमित तौर पर डायरी लिखने का भी शौक है?
नहीं। मेरी मां मुझसे प्रतिदिन के अच्छे अनुभव लिखने के लिए कहती थीं। जब वह हमसे दूर चली गईं तो कभी-कभी उनकी याद में लिखता हूं। जब कभी मूड होता है तो जरूर लिखता हूं।
आपके पेशेवर काम कितने प्रभावित हुए हैं?
आजकल बहुत सारी स्क्रिप्ट आती हैं, लेकिन समय के अभाव के कारण मैं पढ़ ही नहीं पाता। मैं अपने निर्देशकों से यही कहता हूं कि आप मुझे थोड़ा समय दीजिए। मैं अपने प्रोजेक्ट में ज्यादा ध्यान नहीं लगा पाता, क्योंकि कोई न कोई हमेशा मदद की गुहार लगा रहा होता है। अभी मेरे काम को पटरी पर आने में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि मेरे लिए अभी लोगों की जरूरतें ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
क्या सेवाभाव की वजह से आपके किरदारों में भी कुछ बदलाव दिखेगा?
बहुत ज्यादा बदलाव दिखेगा। अभी भी ज्यादातर स्क्रिप्ट में लार्जर दैन लाइफ किरदारों के प्रस्ताव मिल रहे हैं। लोगों का देखने का नजरिया बदल गया है। इसके आगे जो भी कहानियां या किरदार आएंगे उनमें बहुत ज्यादा तब्दीली नजर आएगी।
‘जोधा अकबर’ के बाद फिल्म ‘पृथ्वीराज’ कर रहे हैं। ऐतिहासिक किरदारों के प्रति किस तरह की दिलचस्पी है?
फिल्म ‘पृथ्वीराज’ की शूटिंग अक्टूबर से शुरू होने की संभावना है। मां ने मुझे इतिहास से काफी परिचित कराया है। ऐतिहासिक फिल्म की भाषा, वेशभूषा और पहनावा अलग होता है। बतौर अभिनेता इस तरह की फिल्में मुझे काफी उत्साहित करती हैं।
आपकी बायोपिक बनने की भी बात हुई?
इस बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता, पर लोग बातें करते रहते हैं। मुझे लगता है अभी इसमें बहुत जल्दी है। अगर भविष्य में कभी बनेगी तो मेरी सोच है कि मैं अपना किरदार खुद निभाऊंगा तो ज्यादा बेहतर रहेगा, क्योंकि मेरी दुनिया और मेरी जिंदगी मुझसे ज्यादा किसी और ने नहीं देखी है।
प्रवासियों पर लिखी जा रही आपकी किताब लोगों की मानसिकता बदलने में कितनी सहायक होगी?
किताब से लोगों की सोच बदलेगी। इस किताब में लोगों से मिलने से लेकर विभिन्न घटनाओं तक सारी चीजें लिखी जा रही हैं। आने वाले समय में इस किताब को पढ़कर लोग वापस इस दौर में जा सकेंगे।
इस दौर में आपने जो एक विस्तृत परिवार बनाया है, आपके लिए इस परिवार में खास क्या रहा है?
इस परिवार की कई कहानियां मेरे लिए काफी खास हैं। दरभंगा में एक महिला ने अपने बेटे का नाम सोनू रखा है। उत्तराखंड में लोगों ने एक मोहल्ले का नाम मेरे नाम पर रखने के लिए आवेदन किया है। ये सारी चीजें हमें लोगों के प्यार का अहसास कराती हैं। ऐसा लगता है कि लोग ये समझते हैं कि मैंने अपनी जान जोखिम में डालकर उन्हेंं घर पहुंचाने की कोशिश की है। बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि जगह मेरा एक परिवार है।