इमरजेंसी जैसे हालात में फिर से लौट रहे हैं हम - श्याम बेनेगल
श्याम बेनेगल ने कई फिल्मों का निर्माण किया है और उनकी फिल्में माइलस्टोन फिल्में रही हैं।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। फिल्मों की सेंसरशीप को लेकर लगातार वाद-विवाद और चर्चाएं होती रही हैं। ऐसे में मुंबई में आयोजित फिक्की फ्रेम्स के कार्यक्रम में एक पूरा सेशन ही सिनेमा की कंट्रोलिंग क्रिएटिविटी को लेकर रखा गया।इस दौरान अपनी बात रखते हुए पैनेल में शामिल वेटरन फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने कहा कि हमलोग अब पीछे के दौर में लौट रहे हैं।
जी हां, जब उनसे पूछा गया कि जिस तरह फिल्म पद्मावत और उड़ता पंजाब के साथ छेड़छाड़ और विवाद हुए इसे लेकर वह क्या सोच रखते हैं, तो श्याम ने बेबाकी से अपनी बात रखी है कि यह सच है कि हमलोग पिछड़ रहे हैं।उन्होंने बताया कि 1975-77 के दौर में भी उन्होंने अपनी फिल्मों को लेकर परेशानी झेली थी। एक फिल्म थी उनकी जो उस वक्त बैन हुई थी। हमलोग फिर से उसी दौर में लौट रहे हैं और श्याम मानते हैं कि इस विषय को लेकर बड़े स्तर पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत बड़ा फर्क नहीं आया है।
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बता दें कि 1975 का दौर इमरजेंसी का दौर था। उस लिहाज से फिर से उसी इमरजेंसी के दौर वाली सिचुएशन पैदा हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पब्लिक और प्राइवेट व्यूइंग अलग होती है। पब्लिक व्यूइंग अलग चीज है। इसलिए सरकार तो इस बात को लेकर चिंतित रहती है। इसलिए सीबीएफसी (सेंट्रल बोर्ड अॉफ फिल्म सर्टिफिकेशन) का निर्माण किया गया।
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बता दें कि श्याम बेनेगल ने कई फिल्मों का निर्माण किया है और उनकी फिल्में माइलस्टोन फिल्में रही हैं। फिल्मों की सेंसरशिप को लेकर भी उन्होंने हमेशा बेबाकी से अपनी बात रखी है।