पद्मावत को लेकर इंडस्ट्री ने साधी रही चुप्पी, मगर अब खुल कर बोले हैं शाहरुख खान
शाहरुख का मानना है कि कोई भी फिल्मकारर फिल्में किसी भी धर्म को ठेस पहुंचाने के लिए या ट्रबल करने के लिए नहीं बनाता।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के विवाद को लेकर लगातार यह खबरें आती रहीं कि इस विवाद पर फिल्म इंडस्ट्री को जहां एक हो जाना चाहिए था, वही बड़ी फिल्मी हस्तियां इस पर कुछ नहीं बोले। उन्होंने चुप्पी साधी रखी। पद्मावत हालांकि रिलीज हो गयी है और अब जाकर शाहरुख खान ने इसे लेकर अपनी चुप्पी तोड़ दी है।
शाहरुख खान ने एक कार्यक्रम के दौरान खुल कर अपनी बात रखी है। शाहरुख ने साफतौर पर कहा है कि उन्होंने यह फैसला किसी डर की वजह से नहीं लिया था, बल्कि बेवजह के विवाद को और अधिक तूल न देने की वजह से लिया था। शााहरुख का कहना है कि लोगों ने जो यह सोच बना ली है कि बुरे दौर में इंडस्ट्री में एकता नहीं होती। स्टार्स एक नहीं होते, यह गलत है। जबकि हकीकत यह है कि जब इस तरह के मुद्दे आते हैं तो आपको कई बार अलग तरह से अपना साथ दिखाना पड़ता है। कोई भी डरा हुआ नहीं है और न ही कोई भी खुद को कहीं छुपाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन लोग जो हमेशा स्टार्स को कहते रहते हैं कि फिल्म स्टार्स को तो केवल अपने पैसे बनाने से मतलब है। सोसाइटी के लिए वह कुछ नहीं सोचते। कुछ नहीं करते। सही नहीं है।
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शाहरुख ने कहा कि हम अपनी सोसाइटी को उतना ही प्यार करते हैं जितना कि कोई और करता है। हम इसलिए एंटरटेनिंग फिल्में बनाते हैं, ताकि हम सोसाइटी को हैप्पी रख सकें। उन्होंने यह भी कहा कि जब भी उनकी फिल्मों को लेकर कोई कंट्रोवर्सी होती है, वह अपनी टीम को कहते हैं कि शांत रहें, ताकि जो प्रोटेस्ट है तो उनको बढ़ावा न मिले। चूंकि हमारी फिल्मों का बिजनेस फिल्म की रिलीज के दिन और उसके कुछ दिन बात का ही मायने रखता है। अगर पहले कुछ दिन को ही नुकसान होगा, तो वह एक बड़ा नुकसान है। शाहरुख का मानना है कि अगर हम लगातार अस पर बात करते और शोर मचाते तो इससे आग को और बढ़ावा देने का काम करते और इसकी वजह से सारे चैनल्स पर उन्हें तवज्जो मिलती है, जो लोग उत्पात मचा रहे होते हैं। ऐसे में मेरा मानना है कि न्यूज चैनल को भी तवज्जो नहीं देना चाहिए।
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असम टूरिज्म के प्रियंका चोपड़ा वाले कैलेंडर में एेसा क्या है जो कांग्रेस ने किया बवालइसी कार्यक्रम में जब शाहरुख से पूछा गया कि उन्हें नहीं लगता कि क्रियेटिव लोग इन दिनों डेंजर में हैं। शाहरुख कहते हैं कि यह प्रोसेस का ही पार्ट है लेकिन क्रियेटिव लोग इमोशनल होते हैं। मैं इतना जरूर कह सकता हूं।शाहरुख का मानना है कि कोई भी फिल्मकारर फिल्में किसी भी धर्म को ठेस पहुंचाने के लिए या ट्रबल करने के लिए नहीं बनाता। न ही किसी कम्यूनिटी को परेशान करने के लिए बनाता है। लेकिन कभी कभी लोग फिल्मों को लेकर आहत हो जाते हैं। शाहरुख का मानना है कि आपको हक है कि फिल्म की रिलीज के बाद आप उसकी आलोचना करें। लेकिन किसी व्यक्ति ने कितनी मेहनत से फिल्म बनायी होती है। आप उसको नुकसान नहीं पहुंचा सकते। उन्हें दिखाने से रोक नहीं सकते। शाहरुख कहते हैं कि क्रियेटिव पर्सन से अधिक उन्हें आॅडियंस की चिंता होती है, जो फिल्म देखने जाने वाले होते हैं। एेसी सिच्वेशन में उनकी सुरक्षा को लेकर परेशानी बढ़ जाती है। शाहरुख ने यह भी कहा कि आने वाले समय में जिस तरह से टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है और जिस तरह के कम्युनिकेशन के माध्यम आ चुके हैं और आ रहे हैं, आप किसी को भी क्रियेटिव काम करने से रोक नहीं पायेंगे।यही मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की सबसे बड़ी क्रियेटिविटी है।