Exclusive: दीपिका-रणवीर की हिट जोड़ी क्या सफलता की गारंटी है, जवाब भंसाली के पास है
भंसाली कहते हैं कि उनकी जोड़ी को अगर दर्शक पसंद करते हैं तो इसका श्रेय उन्हें जाना चाहिए।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। संजय लीला भंसाली की पिछली तीन फिल्में लगातार कामयाब रही हैं। बाजीराव मस्तानी, राम लीला और अब पद्मावत। खास बात यह है कि हिंदी फिल्मों में लंबे समय से लोकप्रिय जोड़ियां नहीं बन पा रही थीं। राज कपूर-नर्गिस से लेकर शाहरुख़ काजोल के बाद वैसी रोमांटिक जोड़ियां नहीं बनी थी लेकिन रणवीर और दीपिका की जोड़ी वाली फिल्में अब तक की लोकप्रिय जोड़ियों वाली फिल्मों में से एक रही है। इस जोड़ी को मुक्कमल बनाने का पूरा श्रेय संजय लीला भंसाली को जाता है।
भंसाली ने इस बारे में जागरण डॉट कॉम से बातचीत करते हुए कहा कि यह सच है कि दर्शक दोनों को साथ में देखना पसंद करते हैं। दोनों की केमिस्ट्री में एक स्पार्क है। इसमें कोई संदेह नहीं है। भंसाली ने यह भी कहा कि अभी उन्होंने रणवीर या दीपिका के साथ अभी काम पूरा नहीं कर लिया है। आगे भी वह दोनों के साथ फिल्म कर सकते हैं। भंसाली कहते हैं कि उनकी जोड़ी को अगर दर्शक पसंद करते हैं तो इसका श्रेय उन्हें जाना चाहिए। जैसे रमेश सिप्पी और हेमा मालिनी के बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग थी, इसलिए वह धर्मेंद्र और उनको साथ में कास्ट करते थे। फिर चाहे आप वह शोले हो या त्रिशूल हो। तो मुझे लगता है कि यह डायरेक्टर पर निर्भर करता है कि वह कितना विश्वास कर पाता है जोड़ियों के बीच। यश चोपड़ा की फिल्म में शाहरुख़ और काजोल की अगर जोड़ी बनती है तो वक्त देना पड़ता है। समझना पड़ता है। मुझे लगता है कि मैं उनको ऐसे किरदारों में कास्ट करता हूं, जहां रणवीर और दीपिका की आपस में अंडरस्टेंडिंग एक को-एक्टर के रूप में, एक यूनिट के रूप में अच्छी होती है। दोनों एक दूसरे पर वह ट्रस्ट दिखाते हैं तो मेरे किरदारों में उतना दम होता है। ऐसे में एक्टर अपनी जिम्मेदारी से काम करे तो सोने पर सुहागा हो जाता है और वह जब स्क्रीन पर दिखें तो लोग उनको पसंद करने लगते हैं।
भंसाली के मुताबिक जोड़ी उभरती है लेकिन किरदार एक्टर्स को उभराते हैं। एक्टर किरदार से बड़ा नहीं होता है। यह भी तय है कि ऐसा नहीं है कि दोनों की हर फिल्म कामयाब हो, जोड़ी हिट होती है किरदार और फिल्म के तकनीशियन से। कोई भी एक्टर्स इसकी गारंटी नहीं ले सकता कि उसकी अगली फिल्म कामयाब होगी या नहीं होगी। मुझे दुःख ये होता है कि दुनिया कभी एक्टर्स से ऊपर उठ कर तकनीशियन के बारे में सोचते ही नहीं हैं। उनको सम्मान का दर्जा देते ही नहीं है जबकि स्टार को स्टार्स बनाने में इनका ही योगदान होता है।
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