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'आरण्यक' देख शर्मिला टैगोर ने रवीना टंडन को किया था फोन, सीरीज को लेकर कही थी बड़ी बात

साउथ की सुपरहिट फिल्म केजीएफ चैप्टर 2 के बाद अभिनेत्री रवीना टंडन एक बार फिर बड़े पर्दे का रुख करने वाली हैं। उनकी आगामी फिल्मों में वेलकम टू द जंगल शामिल है। इसमें रवीना लंबे समय बाद कॉमेडी करती हुई नजर आएंगी। इससे पहले उन्होंने अंदाज अपना अपना दुल्हे राजा आंटी नंबर 1 समेत कई कॉमेडी फिल्मों में काम किया है।

By Vaishali Chandra Edited By: Vaishali Chandra Published: Fri, 03 May 2024 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2024 03:53 PM (IST)
'आरण्यक' देख शर्मिला टैगोर ने रवीना टंडन को किया था फोन, (X Images)

प्रियंका सिंह, मुंबई। केजीएफ : चैप्टर 2 के बाद अभिनेत्री रवीना टंडन फिर बड़े पर्दे का रुख करने वाली हैं। उनकी आगामी फिल्मों में वेलकम टू द जंगल शामिल है। इसमें रवीना लंबे समय बाद कॉमेडी करती हुई नजर आएंगी। इससे पहले उन्होंने अंदाज अपना अपना, दुल्हे राजा, आंटी नंबर 1 फिल्मों में कॉमेडी की थी। उनसे बातचीत के अंश.....

लंबे समय बाद आप वेलकम टू द जंगल में कॉमेडी कर रही हैं?

मैंने अपनी फिल्मों में नाच-गाना और कॉमेडी के मजे लिए हैं। मैंने कभी कॉमेडी फिल्मों से दूरी नहीं बनाई। यह विधा मेरे दिल के करीब है लेकिन वैसी फिल्में मेरे पास आ ही नहीं रही थी। मेरा मानना है किरदार चाहे कोई भी हो, एक कलाकार की सफलता तभी होती है जब दर्शक उस किरदार पर यकीन करते हैं। हम दर्शकों के बिना कुछ भी नहीं हैं, उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना होता है।

आपने दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतरने की बात की। आप बेहतर काम तो कर रही हैं। अब किससे मान्यता चाहिए?

सवाल यह नहीं है कि मैं अच्छा काम कर रही हूं या नहीं। किसी भी कलाकार के लिए पहला सवाल यही होता है कि उसे उन किरदारों में अपनाया गया है या नहीं। जब मैंने आरण्यक की थी, तो मुझे शर्मिला टैगोर जी का मैसेज आया था कि जब मैं यह शो देख रही थी, तो मुझे रवीना कहीं दिखी ही नहीं। मैं सिर्फ कस्तूरी ढोगरा (शो का किरदार) को देख रही थी । इसे किरदार को स्वीकारना कहते हैं, जो किसी भी कलाकार के लिए सबसे कठिन काम होता है।

आपने तो साल 2000 से ही फिल्मों को लेकर अपनी पसंद बाकी अभिनेत्रियों से अलग कर ली थी। अब जब सशक्त रोल दोबारा मिल रहे हैं, तो कह सकते हैं कि आपके लिए कोई नई बात नहीं होगी ?

हां, यह डिजिटल प्लेटफार्म के कारण संभव हो पाया है। उसने द्वार खोल दिया है, जहां ऐसी कहानियां हैं, जो पहले मेकर्स कमर्शियल एंगल के कारण दो घंटे की फिल्म में डालकर नहीं दिखा पा रहे थे। फिलहाल दर्शकों के पास वर्ल्ड सिनेमा को लेकर एक्सपोजर है, इसलिए जब हम कुछ नया लेकर आ रहे हैं, तो वह उसे अपना रहे हैं। अब स्टीरियोटाइप नहीं है, जो पहले होती थी कि हमको मसाला फिल्म ही बनानी चाहिए, वही सुपरहिट होगी।

आप कैसे स्टीरियोटाइप नहीं हुई?

यह मेरा सोचा-समझा निर्णय था कि वह नहीं करना है, जो सब कर रहे हैं। मैं ऐसे सिनेमा की ओर बढ़ी, जिसमें मेरे करने के लिए कुछ हो । सत्ता, दमन, जागो, शूल ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें करके मुझे अहसास हुआ कि अभिनय का यह रंग भी मुझमें है । कितनी बड़ी बात है कि मेकर्स मेरे पास सशक्त किरदार लेकर आ रहे हैं। आरण्यक, कर्मा कालिंग वेब सीरीज, केजीएफ चैप्टर 2, पटना शुक्ला फिल्मों में मुझे अपनाया गया है। इससे बड़ा रिवार्ड कलाकार के लिए कुछ नहीं हो सकता है।

मुख्यधारा वाले सिनेमा से हटकर रोल करने पर आपसे सवाल किए जाते थे?

हां, खूब सवाल पूछे जाते थे। मेरी जो समकालीन थीं, वह अपनी ही तरह का किरदार निभाने में सहज और खुश थीं। चाहे लव स्टोरी हो या एक्शन फिल्म, अभिनेत्रियों का काम बहुत ज्यादा नहीं होता था। मैं भी वही कर रही थी और खुद से बोर हो गई थी। जब मैंने रास्ता बदला, तब मुझे लोग कहने लगे कि तुम्हें तो कमर्शियल सफलता मिली है, बेकार में क्यों गंभीर सिनेमा कर रही हो। फिर जब यही फिल्में सफल होने लगी तो सारे दायरे, श्रेणियां मिट गईं।

दक्षिण भारतीय फिल्मों में आपका अंदाज अलग दिखता है.....

इसका श्रेय केवल निर्देशक को ही जाना चाहिए | निर्देशक का काम होता है कि आपके किरदार को उस फ्रेम में फिट करें, जिसमें बाकी भी एक्टर हैं । कलाकार को केवल निर्देशक पर भरोसा करते हुए खुद को पूरी तरह उनके हाथों में सौंप देना चाहिए।

आज अनुभवी कलाकारों को सफल बने रहने के लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?

समय के साथ अपना सॉफ्टवेयर अपडेट करते रहना चाहिए। नए किरदार, निर्देशक, बदलती तकनीक के साथ तालमेल बिठाने के लिए लगातार कुछ नया सीखते रहना जरूरी है।


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