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Exclusice: बेटे- बेटी में भेदभाव पर निमरत कौर की है ऐसी राय

निमरत को लगता है कि बहुत हद तक हमारी सोसाइटी में घर की औरतें पुरुषों के माइंड सिस्टम को कंट्रोल करती हैं। ऐसे में उन्हें लाड़-प्यार कर कई बार बिगाड़ देती हैं।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Sat, 06 May 2017 07:29 PM (IST)Updated: Sat, 06 May 2017 07:29 PM (IST)
Exclusice: बेटे- बेटी में भेदभाव पर निमरत कौर की है ऐसी राय
Exclusice: बेटे- बेटी में भेदभाव पर निमरत कौर की है ऐसी राय

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। लंचबॉक्स और एयरलिफ्ट फेम निमरत कौर जल्द ही एकता कपूर की नयी वेब सीरिज 'द टेस्ट केस' में नजर आने वाली हैं। इस वेब सीरिज में वह एक आर्मी गर्ल की भूमिका में हैं और वह अपने इस किरदार को निभा कर इसलिए खुश हैं, क्योंकि वह खुद आर्मी बैकग्राउंड से हैं और वह इस किरदार से पूरी तरह रिलेट कर पाती हैं।

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निमरत ने जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत के दौरान बताया कि इस शो के लिए उन्होंने वाकई एक आर्मी की जिंदगी जी है। उन्होंने अपने डायट को ठीक वैसा ही रखा जैसा कि आर्मी के जवान खाते हैं। उन्होंने कई चीजों को न कहा। शूटिंग से तीन चार महीने पहले से उन्हें अनहेल्दी फूड को ना कहना पड़ा। उन्होंने एथेलिट की भी ट्रेनिंग ली है। इस किरदार से वह इसलिए भी रिलेट करती हैं, क्योंकि बचपन से वह उस माहौल में पली बढ़ी हैं। खासतौर से उन्हें लगता है कि आर्मी बैकग्राउंड वाले लोगों की यह खूबी होती है, चूंकि उन्हें हर साल ट्रांसफर के कारण अलग जगहों पर जानाा होता है, वह या उनके परिवार के लोग कभी कंफर्ट जोन में नहीं जीते हैं। आर्मी परिवार के लोग कहीं भी किसी के साथ भी एडजस्ट कर लेते हैं और नये दोस्त आसानी से बना लेते हैं। निमरत ने बताया कि यह सच है कि वह इस किरदार से रिलेट करती हैं लेकिन इसे प्ले करना उनके लिए अब तक का सबसे चैलेंज रहा। उन्हें शो में एक्टिंग नहीं करनी थी। उन्हें एक एटीटयूड के साथ संवाद बोलने होते थे। चेहरे के हाव-भाव अलग होते थे।

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निमरत ने यह भी बताया कि जब उन्होंने पटियाला शहर छोड़ा था, तो उन्हें बहुत तकलीफ हुई थी। पटियाला में उनका पसंदीदा स्कूल था और वहां उन्होंने काफी दोस्त बना लिए थे। शो के ट्रेलर में दिखाया गया है कि निमरत के किरदार को लड़की होने की वजह से आर्मी में भेदभाव महसूस करना पड़ रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या रियल लाइफ में भी आर्मी में महिलाओं के साथ ऐसा होता है, निमरत कहती हैं कि सिर्फ आर्मी में ही नहीं, सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि हम मेल डोमिनेटेड वर्ल्ड में ही रहते हैं। लड़कियों की संख्या कम है, तो हम बाइलॉजिकली ओवरटेक करने का नहीं सोच सकते। देखें कि हम क्या बेस्ट कर सकते हैं और उसे बेस्ट करके दिखायें।

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निमरत को लगता है कि बहुत हद तक हमारी सोसाइटी में घर की औरतें पुरुषों के माइंड सिस्टम को कंट्रोल करती हैं। ऐसे में उन्हें लाड़-प्यार कर कई बार बिगाड़ देती हैं। लड़की को स्कूल नहीं भेजना है, लड़के को भेजना है। लड़के को दूध मिलेगा, लड़की को नहीं। तो लड़का जब आदमी बनता है, तो वह वैसे ही सोचने लगता है। आपका वैल्यू सिस्टम मां से आता है, पिताजी से नहीं।


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