पड़ोसियों को पता ही नहीं था बगल में रहता है इतना दिग्गज गीतकार
75 वर्षीय फिल्म गीतकार संतोष आनंद बुधवार सुबह घर से लड़खड़ाते कदमों से निकले। गार्ड ने द्वार पर नमस्कार किया तो कहा कि बेटे एवं
संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली। 75 वर्षीय फिल्म गीतकार संतोष आनंद बुधवार सुबह घर से लड़खड़ाते कदमों से निकले। गार्ड ने द्वार पर नमस्कार किया तो कहा कि बेटे एवं बहू हादसे का शिकार हो गए है। उन्हें देखने जा रहा हूं। यह कहते हुए उनके चेहरे पर चिंता एवं भय की लकीरें साफ देखी जा सकती थी। संकल्प आनंद पिता के साथ न रहकर पत्नी और बेटी के साथ कहीं और किराये पर रहते थे।
संतोष आनंद अपनी पत्नी व बेटी शैलजा के साथ सुखदेव विहार डीडीए फ्लैटस पॉकेट ए फ्लैट नंबर 48 में रहते हैं। पड़ोसियों ने बताया कि शादीशुदा शैलजा पिछले काफी समय से यहीं रहती हैं। जिस किसी पड़ोसी ने संकल्प के अपनी पत्नी के साथ आत्महत्या की बात सुनी वह भौचक्का रह गया। पड़ोसियों की मानें तो संकल्प खुशमिजाज था। बुधवार सुबह संतोष आनंद को फोन आया कि उनके बेटे एवं बहू के साथ हादसा हो गया है। पड़ोसियों से संतोष आनंद व उनके बेटे के बारे में पूछा गया तो किसी के पास जानकारी नहीं मिली। पड़ोसियों ने कहा कि वह अकेले ही रहते थे, उनका बेटा यहां नहीं रहता था। पड़ोसियों को यह भी नहीं मालूम की संतोष आनंद कितने बड़े गीतकार हैं। उन्हें बस इतना पता था कि वह पहले फिल्मों के लिए काम करते थे।
क्रांति, रोटी-कपड़ा और मकान फिल्म के भी गीत लिखे
चर्चित गीतकार रहे संतोष आनंद ने 'क्रांति', 'रोटी, कपड़ा और मकान', 'प्यासा सावन', 'जुनून', 'शोर', 'प्रेमरोग' और 'सूर्या' समेत तमाम फिल्मों में गाने लिखे हैं। इन गीतों में अबकी बरस तुझे धरती की रानी..., चना जोर गरम..., जिंदगी की न टूटे लड़ी..., हाय हाय ये मजबूरी..., जो प्यार कर गए..., मैं ना भूलंूगा-मैं ना भूलूंगी..., मारा ठुमका बदल गई चाल मितवा..., मेघा रहे मेघा रे..., मुहब्बत है क्या चीज..., तेरा साथ है तो हमें क्या कमी है..., एक प्यार का नगमा है... आज भी लोकप्रिय हैं। लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, मोहम्मद अजीज, कुमार शानू और कविता कृष्णमूर्ति जैसे प्लेबैक सिंगर्स ने उनके गीतों को आवाज दी। शोमैन राजकपूर और अभिनेता मनोज कुमार की अनेक फिल्मों में उन्होंने गाने लिखे।
बड़ी मन्नतों के बाद पैदा हुआ था बेटा, पिता को बगैर बताए कर ली थी शादी
प्यार के गीत गुनगुनाने वाले गीतकार संतोष आनंद के साथ कुदरत ने हमेशा मजाक किया। जवान होती काया से एक टांग छीन ली, लेकिन यह अलबेला गीतकार एक टांग के सहारे चलकर दूसरों को जिंदगी की राह पर चलने का हौसला देता रहा। गम की भीड़ में गीत लिखा कि 'उन आंखों का हंसना भी क्या, जिन आंखों में पानी न हो।' बुधवार को पोस्टमार्टम हाउस के बाहर बैठे संतोष आनंद की आंसुओं में डूबी आंखें इस कशमकश में थी कि टांग के बाद अब बुढ़ापे की लाठी टूटने से क्या वो जिंदगी में रवानी भर पाएंगी?
संतोष आनंद के लख्ते जिगर संकल्प आनंद अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन बाप अपने इस बेटे की बहुत सारी दास्तान अपने दिल में समेटे हुए है। पिछले दिनों एक कवि सम्मेलन के सिलसिले में दिल्ली से सहारनपुर जाते वक्त रास्ते में बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बेटा संकल्प तो शादी के दस साल बाद पैदा हुआ। इसके पैदा होने से पहले बड़ी मुश्किलें झेली। संतान के लिए कोई मंदिर, कोई दरगाह नहीं छोड़ी। यहां तक कि कई मंदिरों और दरगाहों तक हम दोनों मियां-बीवी पैदल ही मन्नत मांगने गए।
लाख मन्नतों के बाद बेटा पैदा हुआ। नाम उसका संकल्प रखा। बड़े लाड-प्यार से परवरिश की। उसे आजाद ख्याल बनाया। पढऩे में होशियार था सो उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गृह मंत्रालय में बड़ा ओहदा हासिल किया। इसी दौरान संतोष आनंद थोड़ा जज्बाती हो गए। बोले कि संकल्प जब अपने पैरों पे खड़ा हो गया तो एक बाप होने के नाते अपनी पलकों पर उसे लेकर ख्वाब सजाए। उसकी घुड़चढ़ी देखने के सपने बुनने लगा तो एक दिन पता चला कि उसने तो शादी कर ली है वह भी तीन महीने पहले। यह खबर सुनकर बड़ा झटका सा लगा। मन में बड़ी नाराजगी सी हुई, लेकिन तभी सोचा कि अरे, संकल्प तो प्यार के गीत गुनगुनाने वाले संतोष आनंद का बेटा है। प्यार किया फिर शादी कर ली तो क्या हुआ। आपकी खैर-खबर लेने नहीं आते संकल्प? सवाल पर बोले, आता है। बीच महीने में जब तनख्वाह खत्म हो जाती है तो मेरे कवि सम्मेलनों में कमाए पैसों में से कुछ ले जाता है। वो भी हठ करके। (राजन शर्मा)