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नरगिस दत्त (Nargis Dutt)

Bollywood Veteran Actress Nargis Dutt Biography हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज अदाकारा नरगिस सबसे पहले 1935 में आई फिल्म तलाश-ए-हक में नजर आई थीं जब वो महज 6 साल की थीं लेकिन उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत 1942 की फिल्म तमन्ना के साथ हुई।

By Vaishali ChandraEdited By: Vaishali ChandraPublished: Mon, 01 May 2023 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 03 May 2023 09:26 AM (IST)
Bollywood Veteran Actress Nargis Dutt Biography, Jagran

नई दिल्ली, जेएनएन। Bollywood Veteran Actress Nargis Dutt Biography: नरगिस हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज अदाकाराओं में गिनी जाती हैं। एक अभिनेत्री होने के साथ-साथ वो एक राजनेत्री भी रही थीं। उन्होंने 6 साल की छोटी उम्र में ही फिल्मी दुनिया में कदम रख दिया था। तीन दशकों के लंबे करियर में उन्होंने गुजरे दौर के कई सुपरस्टार संग काम किया।

शुरुआती जीवन

नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था, जो उन्होंने फिल्मों के लिए बाद में बदलकर नरगिस कर लिया। अभिनेत्री का जन्म एक पंजाबी मुस्लिम परिवार में 1 जून 1929 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल राशिद था, जबकि हिंदू से मुस्लिम बनने से पहले उनका नाम मोहनचंद उत्तमचंद त्यागी था, जो एक अमीर पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते थे।

परिवार

नरगिस की मां का नाम जद्दनबाई हुसैन था, वो बनारस की रहने वाली थीं। उनका जन्म भी एक ऐसे मुस्लिम परिवार में हुआ था, जो पहले हिंदू था। जद्दनबाई हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत की गायिका थीं। नरगिस का परिवार पंजाब से इलाहाबाद चला गया। इसके बाद वे कोलकाता शहर में बस गए। नरगिस का एक सौतेला भाई अनवर हुसैन भी उनकी तरह एक अभिनेता थे।  

करियर

नरगिस सबसे पहले 1935 में आई फिल्म तलाश-ए-हक में नजर आई थीं, जब वो महज 6 साल की थीं, लेकिन उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत 1942 की फिल्म तमन्ना के साथ हुई। बतौर लीड एक्ट्रेस नरगिस की पहली फिल्म महबूब खान की तकदीर (1943) थी। इस फिल्म में उनके अपोजिट मोतीलाल थे। तकदीर बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी और नरगिस को उनके काम के लिए सराहना भी मिली। इसके बाद उन्होंने दिलीप कुमार और राज कपूर के साथ भी काम किया।

फिल्मोग्राफी

नरगिस के करियर की कुछ शानदार फिल्मों की बात करें तो इस लिस्ट में आग(1948), अंदाज (1949), बरसात (1949), बाबुल(1950), आवारा (1951), आह(1953), श्री 420(1955), चोरी चोरी(1956), मदर इंडिया (1957), रात और दिन(1967) जैसी कई फिल्में है।

लुढ़कता करियर

सफलता की बुलंदियों पर चढ़ती नरगिस के करियर ने ढलान भी देखा। 1952 से 1954 के बीच रिलीज हुई एक्ट्रेस की लगभग सभी फिल्मों ने अच्छा बिजनेस नहीं किया, ना ही क्रिटिक्स को खुश कर पाई। 1952 में नरगिस ने 6 फिल्में की, लेकिन सिर्फ अनहोनी ही हिट हुई। वहीं, 1953 और 1954 में उन्होंने 5 फिल्में की, लेकिन कोई भी हिट साबित नहीं हुई। हालांकि, 1953 की रिलीज आह को कुछ सालों बाद कल्ट फिल्म का स्टेटस मिला। नरगिस ने अपने नीचे जाते करियर ग्राफ को 1955 में आई राज कपूर की फिल्म श्री 420 के साथ फिर संभाला।

राजनीतिक करियर

आखिरी बार नरगिस 1967 की फिल्म रात और दिन में नजर आईं। इस फिल्म में उन्होंने 15 साल के लंबे ब्रेक के बाद फिर से एक्टिंग की थी, जिसके लिए उन्हें क्रिटिक्स से खूब सराहना भी मिली। शानदार एक्टिंग करियर की वजह से नरगिस को 1980 से 1981 तक के लिए राज्य सभा की सदस्यता भी मिली, लेकिन इस दौरान बीमारी के कारण उनका निधन हो गया।

पर्सनल लाइफ

नरगिस और राज कपूर ने 10 सालों में एक साथ लगभग 16 फिल्मों में काम किया। पर्दे पर दोनों की केमिस्ट्री को जितना पसंद किया गया उतनी ही चर्चा उनकी रियल लाइफ केमिस्ट्री की भी रही। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले से शादीशुदा और बच्चे वाले राज कपूर संग नरगिस का कई सालों तक रिश्ता रहा। नरगिस ने राज कपूर के साथ अपना 9 साल का रिश्ता तब खत्म कर लिया, जब एक्टर ने अपनी पत्नी को तलाक देने से इनकार कर दिया।

शादी

11 मार्च 1958 को नरगिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली, जो एक हिंदू थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनील दत्त ने मदर इंडिया के दौरान सेट पर हुए एक हादसे से नरगिस की जान बचाई थी। सुनील दत्त से शादी करने के लिए नरगिस ने अपना धर्म परिवर्तन किया और एक हिंदू बन गईं।

बच्चे

शादी के बाद दोनों के तीन बच्चे संजय दत्त, नम्रता दत्त और प्रिया दत्त हुए। संजय ने माता-पिता की तरह एक्टिंग की दुनिया चुनी। वहीं, प्रिया दत्त राजनीति के क्षेत्र में उतर गईं। जबकि, नम्रता ने अभिनेता कुमार गौरव संग शादी घर बसाया।

बीमारी

2 अगस्त 1980 को राज्यसभा सेशन के दौरान अचानक नरगिस की तबीयत बिगड़ गई। शुरुआत में डॉक्टरों को लगा कि उन्हें पीलिया है और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां 15 दिनों तक उनके कई सारे टेस्ट किए और अंत में पता चला कि उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर है। इसके बाद न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में उनका लंबा इलाज चला।

निधन

भारत लौटने के बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी और उन्हें तुरंत ब्रीच कैंडी में भर्ती कराया गया। 2 मई 1981 में नरगिस कोमा में चली गईं, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर हो गई और अगले ही दिन 3 मई 1981 को 51 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। नरगिस को मुंबई के बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया गया। नरगिस के गुजरने के चंद दिन बाद 7 मई 1981 को उनके बेटे संजय दत्त की पहली फिल्म रॉकी रिलीज हुई थी, जिसके प्रीमियर के दौरान नरगिस के लिए एक सीट खाली रखी गई थी।

नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन

नरगिस के निधन के एक साल बाद उनकी याद में सुनील दत्त मे नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की। अभिनेत्री के निधन का कारण पैंक्रियाटिक कैंसर को माना जाता है, लेकिन उनकी बेटी नम्रता ने दावा किया कि उनकी मां ने कैंसर से जंग जीत ली थी, लेकिन यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन के कारण उनकी मृत्यु हो गई। वहीं, सजय दत्त ने कहा कि इम्यूनिटी कम होने के कारण उनकी मां इन्फेक्शन की चपेट में आ गई थीं और यही उनके निधन की वजह बनी।  


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