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मनोज कुमार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित

फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता मनोज कुमार को साल 2015 के लिए प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Fri, 04 Mar 2016 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 05 Mar 2016 01:42 AM (IST)

नई दिल्ली। फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता मनोज कुमार को साल 2015 के लिए प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। सिनेमा के प्रति अहम योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा इस पुरस्कार से नवाजा जाता है। देश में सिनेमा के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह सर्वोच्च पुरस्कार है।

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'पूरब और पश्चिम', 'उपकार' और 'क्रांति' जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय के लिए उन्हें जाना जाता है। अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए उनके प्रशंसकों ने उन्हें 'भारत कुमार' कहना शुरू कर दिया था। फिल्मोद्योग में योगदान के लिए अभिनेता को इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

उन्होंने कहा है कि अधिक उम्र होने के बावजूद वह खुद पुरस्कार लेने दिल्ली पहुंचेंगे। 78 वर्षीय बुजुर्ग अभिनेता इस सम्मान को पाने वाले 47वें व्यक्ति होने जा रहे हैं। भारतीय सिनेमा के सबसे सर्वोच्च सम्मान में एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये का नगद पुरस्कार और एक शॉल दिया जाता है।

अभिनेता ने कहा कि इस सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा से वह चकित हैं। यह अब तक मिले पुरस्कारों में सबसे अहम और सम्मानित पुरस्कार है। उन्होंने बताया, 'मैं शुक्रवार की दोपहर आराम कर रहा था, जब अशोक पंडित व मधुर भंडारकर का फोन आया। मुझे सबसे पहले उन्होंने यह खुशखबरी दी। मैं सरकार का आभार प्रकट करना चाहता हूं, जो उन्होंने मुझे इस काबिल समझा। मुझे अपार खुशी हो रही है।

'मनोज कुमार को 'हरियाली और रास्ता', 'वह कौन थी', 'हिमालय की गोद में', 'दो बदन', 'पत्थर के सनम', 'शहीद', और 'रोटी कपड़ा और मकान' जाना जाता है। 1960 में 'कांच की गुडि़या' के साथ उन्होंने रोमांटिक हीरो के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। बाद में वह देशभक्ति फिल्मों में अभिनय और निर्देशन की तरफ मुड़े। 'उपकार' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया और 1992 में सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था।

पढ़ाई के लिए हैं कॉलेज, विविशिक्षण संस्थानों में चल रहे बवाल पर मनोज कुमार ने कहा, 'आज के युवा जागरूक हैं। उन्हें देश से प्रेम है। रहा सवाल छात्र राजनीति का तो कॉलेज, विश्वविद्यालय व अन्य संस्थान पढ़ाई के लिए हैं। वहां छात्र पढ़ाई ही करें तो अच्छा है। मैं एक सिपाही हूं। मेरे काम को सम्मान देने के लिए सरकार कार्यक्रम आयोजित कर रही है। मैं स्वयं दिल्ली पहुंच यह पुरस्कार ग्रहण करूंगा।'

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गौरतलब है कि मनोज कुमार को 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। 24 जुलाई, 1937 को पाकिस्तान के मौजूदा खैबर पख्तून्ख्वा प्रांत में जन्मे मनोज कुमार का मूल नाम हरिकृष्णा गिरी गुस्वामी है। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने का फैसला किया।


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