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Coronavirus Lockdown में ही इस डायरेक्टर ने बना दी डेढ़ घंटे की फ़िल्म, इसी महीने होगी रिलीज़

The Painter वेंकट भारद्वाज अवॉर्ड विनिंग फ़िल्ममेकर हैं जिनकी 2017 की फ़िल्म केम्पिरवे (Kempirve) कर्नाटक स्टेट फ़िल्म अवॉर्ड में बेस्ट स्क्रीनप्ले केटेगरी में विजयी रही थी।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 06:03 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 08:03 AM (IST)
Coronavirus Lockdown में ही इस डायरेक्टर ने बना दी डेढ़ घंटे की फ़िल्म, इसी महीने होगी रिलीज़

नई दिल्ली, जेएनएन। देशभर में 24 मार्च से कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन चल रहा है। ज़रूरी सेवाओं को छोड़कर ज़्यादातर उद्योग-धंधे और फ़िल्मों की शूटिंग बंद हैं, मगर कन्नड़ फ़िल्म निर्देशक वेंकट भारद्वाज ने लॉकडाउन के दौरान पूरी फीचर फ़िल्म बना डाली। उन्होंने यह कारनामा जिस तरह अंजाम दिया, वो भी एक दिलचस्प कहानी है।

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पहले बता दें कि वेंकट भारद्वाज अवॉर्ड विनिंग फ़िल्ममेकर हैं, जिनकी 2017 की फ़िल्म केम्पिरवे (Kempirve) कर्नाटक स्टेट फ़िल्म अवॉर्ड में बेस्ट स्क्रीनप्ले केटेगरी में विजयी रही थी। समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक़, इस फ़िल्म का नाम द पेंटर है, जिसे 10 दिनों में शूट किया गया है। फ़िल्म की शूटिंग पांच अलग-अलग इनडोर लोकेशंस चेन्नई, तुमकूर, बेंगलुरु, कनकपुरा और हेबल में की गयी है। इन पांच जगहों पर शूट की गयी फुटेज को एडिटिंग से जोड़कर पूरी फ़िल्म बनायी गयी है। 

रिपोर्ट के अनुसार, स्क्रिप्टिंग पर काम अप्रैल की शुरुआत में शुरू हुआ था। लॉकडाउन की वजह से शूटिंग करना आसान नहीं था, क्योंकि कोई ट्रेवल नहीं कर सकता था। उपकरण जुटाना भी एक समस्या था। निर्देशक ने अपने क्रू के साथ मिलकर उपलब्ध लाइट्स, रोप्स, बैम्बू स्टिक्स और तारों का इस्तेमाल किया। फ़िल्म की स्क्रिप्ट और डायलॉग सारे कलाकारों और फ़िल्म के टेक्नीशियंस के साथ शेयर किये गये, जिन्होंने अपनी-अपनी लोकेशन पर रहकर इसे शूट किया। 

वेंकट के मुताबिक, फ़िल्म की कहानी लॉकडाउन की मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से बदलती है। लोग इस दौरान स्वार्थ, उत्पीड़न और वसूली जैसे मसलों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। फ़िल्म में मर्डर, क्राइम और थ्रिल से जुड़े मसाले मौजूद रहेंगे। मैं अभी कहानी बताकर मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहता। रिलीज़ होने के बाद लोग इस थ्रिल का लुत्फ़ उठाएंगे। 

वेंकट ने बताया कि एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन पर फुटेज ट्रांसफर करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करना बड़ा चैलेंज था। औसतन, रोज़ लगभग 70 जीबी डाटा इधर से उधर ट्रांसफर किया जाता था। हाई क्वालिटी फुटेज होने की वजह से इसका ट्रांसफर करना मुश्किल था। 

वेंकट के अनुसार, लगभग 17 टेक्नीशियन और कलाकारों ने इस प्रोजेक्ट पर काम किया, जिनमें मेकअप मैन, लाइट बॉय, कॉस्टूयम और आर्ट के लोग थे। वेंकट ने बताया कि शूटिंग करना इसलिए भी मज़ेदार अनुभव रहा, क्योंकि सभी लोग सारे कामों में शामिल थे। अगर एक सीन में पांच लोगों की ज़रूरत है तो उनमें से चार अपनी पोजिशन ले लिया करते थे, जबकि पांचवां शख्स कैमरा और साउड शुरू करके फ्रेम में चला जाता था। इसके बाद सीन की शूटिंग की जाती थी। 

फ़िल्म की अवधि लगभग डेढ़ घंटा है और मई के अंत में रिलीज़ की जाएगी। द पेंटर का निर्माण ए लैब इनोवेशन, अमृता फ़िल्म सेंटर और शेखर जयराम ने मिलकर किया है। (फोटो- ट्विटर, इंस्टाग्राम)


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