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Exclusive:ऐसा क्या है फिल्म फुल्लू में जो मिला सेंसर का ए सर्टिफिकेट

शारिब कहते हैं कि अक्षय और उनकी फिल्म का विषय समान हो सकता है लेकिन अक्षय की फिल्म सेनेटरी फिल्ड में काम करने वाले एक व्यक्ति की असली कहानी है जबकि उनकी फिल्म पूरी तरह फिक्शन है।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Wed, 07 Jun 2017 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2017 07:16 PM (IST)
Exclusive:ऐसा क्या है फिल्म फुल्लू में जो मिला सेंसर का ए सर्टिफिकेट
Exclusive:ऐसा क्या है फिल्म फुल्लू में जो मिला सेंसर का ए सर्टिफिकेट

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। अभिषेक सक्सेना की फिल्म फुल्लू जल्द ही रिलीज़ होने वाली है। यह फिल्म एक अहम् मुद्दे को लेकर आ रही है। फिल्म की कहानी एक ऐसे गांव पर आधारित है, जहां महिलाएं आज भी menstruation के दौरान कपड़ों का ही इस्तेमाल करती हैं। और इसी कारण सेंसर ने फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट दे दिया है।

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दरअसल फिल्म की कहानी एक गांव की उन महिलाओं की है जो आज भी इन बातों से वाकिफ नहीं हैं कि इस दौरान इन्फेक्शन न होने के लिए अगर वह सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करेंगी तो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा। फिल्म का मकसद सिर्फ मनोरंजन करना नहीं है , बल्कि महिलाओं को जागरूक करना भी है लेकिन हैरानी की बात यह है कि एक बेहतरीन मकसद के साथ बन रही इस फिल्म को सभी उम्र के दर्शक तो देख ही नहीं पाएंगे। सेंसर बोर्ड ने फुल्लू को ए सर्टिफिकेट दे दिया है और आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि महिलाओं की माहवारी की समस्या और सेनेटरी नैपकिन जैसे शब्दों और विषय का चुनाव इसका कारण बना है।

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इस बारे में फिल्म में लीड किरदार निभा रहे शारिब हासमी बताते हैं कि उन्हें इस बात की तकलीफ है कि आज भी भारत में इस विषय को लेकर खुलापन नहीं है। लोग आज भी इस मुद्दे को लेकर संकुचित हैं। घर की महिलाएं मर्दों से इस बारे में बात नहीं करतीं। आज भी सेक्स के विषय और इस माहवारी की सिचुयेचन को एक जैसा ही माना जाता है। ऐसे में अगर यह फिल्म सभी तक पहुंचती तो अच्छा होता।उन्होंने कहा "मुझे ये बात समझ नहीं आ रही है कि हमारी फिल्म को क्यों ए सर्टिफिकेट मिला है। मैं उस बारे में यही कहना चाहूँगा कि ये ऐसा विषय है, जिसके बारे में टीनेजर्स को जानना सबसे ज़्यादा जरूरी है। ए सर्टिफिकेट मिला है तो इसका नुकसान हमें होगा ही , क्योंकि हम चाहते थे कि पूरा परिवार इसे देखे।" शारिब ने बताया कि हमारी प्लानिंग यह भी थी कि हम कई गांव में प्राइवेट स्क्रीनिंग करेंगे ताकि महिलाएं अपनी बेटियों के साथ वहां आयें। अब तो इस वजह हम वहां भी बंध जायेंगे. यह पूछने पर कि अक्षय कुमार की फिल्म पैड्मन भी तो इसी मुद्दे पर है, शारिब कहते हैं कि अक्षय और उनकी फिल्म का विषय समान हो सकता है लेकिन अक्षय की फिल्म सेनेटरी फिल्ड में काम करने वाले एक व्यक्ति की असली कहानी है जबकि उनकी फिल्म पूरी तरह फिक्शन है। दोनों का ट्रीटमेंट भी अलग होगा। फिर भी ऐसे विषयों पर और फिल्में बननी चाहिए।

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शारिब कहते हैं कि जब उनकी शादी हुई, तब जाकर उन्होंने भी इस बारे में विस्तार से जाना था, क्योंकि उनकी मम्मी भी उनसे पर्दा रखती थीं। शारिब अपने बच्चों को इस बारे में विस्तार से जानकारी देने में यकीन करते हैं। फुल्लू 16 जून को रिलीज़ होगी।


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