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हिंदी फिल्मों के लिए ये 'संस्कारी' रेटिंग चाहते हैं सेंसर बोर्ड चीफ पहलाज निहलानी

इस रेटिंग से संबंधित प्रस्ताव पर अभी काम चल रहा है। पहलाज को उम्मीद है कि सरकार उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी। ये नई केटेगरी खास तौर पर हिंदी सिनेमा के लिए ईजाद की गई है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 02 Aug 2016 10:09 AM (IST)Updated: Tue, 02 Aug 2016 10:43 AM (IST)

मुंबई। सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने जबसे ये पद संभाला है, वो अपने फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। फिल्ममेकर्स उन पर फिल्मों की गैरजरूरी सेंसरशिप का आरोप लगाते रहे हैं।

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मगर, अब निहलानी एक ऐसी पहल करने वाले हैं, जिससे साफ-सुथरी फैमिली फिल्में बनाने वाले फिल्ममेकर्स प्रोत्साहित होंगे। सेंसर बोर्ड अध्यक्ष फिल्मों के लिए एक नई रेटिंग केटेगरी 'Q' शुरू करना चाहते हैं। ये रेटिंग उन फिल्मों को दी जाएगी, जो बिना किसी कट के 'U' सर्टिफिकेट हासिल करती हैं। पहलाज निहलानी के मुताबिक इस रेटिंग के तहत आने वाली फिल्मों को गवर्न्मेंट रिकॉग्निशन के साथ टैक्स बेनिफिट भी दिए जाएंगे, ताकि प्रोड्यूसर्स साफ-सुथरी फिल्में बनाने का रिस्क उठा सकें।

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इस रेटिंग से संबंधित प्रस्ताव पर अभी काम चल रहा है, और पहलाज को उम्मीद है कि सरकार उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी। ये नई केटेगरी खास तौर पर हिंदी सिनेमा के लिए ईजाद की जा रही है, क्योंकि क्षेत्रीय फिल्मों को उनके राज्यों में पहले से ही सरकारी मदद और टैक्स बेनिफिट मिलते रहते हैं।

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मसलन, तमिलनाडु में अगर तमिल फिल्म का टाइटल तमिल में है और उसे 'U' सर्टिफिकेट दिया गया है, तो वो टैक्स फ्री होती है। इतना ही नहीं पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित किया था, जिसके तहत थिएटर मालिकों को टैक्स बेनिफिट से होने वाला फायदा दर्शकों को भी देने को कहा गया था। इस आदेश के बाद एक टिकट पर 36 से 120 रुपए तक की बचत होने लगी।

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महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड और गुजरात में स्थानीय भाषा में बनने वाली फिल्मों को टैक्स में छूट मिलती है। निहलानी का मानना है, कि हिंदी भाषा की फिल्मों का योगदान विश्व स्तर पर है। ऐसे में इस भाषा में अच्छी फिल्में बनाने वाले प्रोड्यूसर्स को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।


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