उपलब्धियों की मिसाल है अनुपम खेर की जीवन-यात्रा, जानिये उनके पहले प्यार समेत कुछ रोचक राज़
सिनेमा से लेकर थियेटर और टीवी से लेकर एक्टिंग संस्थान हर जगह अनुपम खेर की तूती बोलती रही है। कला के इस महान प्रेमी कलाकार को उनके जन्मदिन पर अनेकानेक शुभकामनाएं!
मुंबई। 7 मार्च को दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर का बर्थडे होता है। इस साल अनुपम अपना 63 वां जन्मदिन मना रहे हैं! सिनेमा के इस बेहतरीन कलाकार की ज़िंदगी भी कम सिनेमाई नहीं है। हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक क्लर्क पिता के घर जन्में अनुपम ने अपनी जीवटता और प्रतिभा के दम पर आज एक बड़ा मुकाम पाया है।
संघर्ष के दिनों में मुंबई के फुटपाथों और रेलवे स्टेशनों पर सोने वाले अनुपम आज अलग-अलग भाषाओं में 500 से ज्यादा फ़िल्में कर चुके हैं। 'नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा' के होनहार छात्र रहने के अलावा वो वहां के चेयरपर्सन भी रहे। साथ ही एफटीआईआई में भी उन्होंने एक छात्र से लेकर चेयरपर्सन तक का सफ़र तय किया। वाकई अनुपम है अनुपम खेर की जीवन यात्रा।
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अनुपम हर विषय पर बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं। अनुपम के बारे में एक दिलचस्प राज़ यह भी है कि वो हवाई जहाज की यात्रा करते समय पिछले 26 साल से लगातार सफ़ेद शर्ट और ब्लू जींस ही पहनते आ रहे हैं! जागरण डॉट कॉम से एक ख़ास बातचीत में अनुपम खेर ने यह खुलासा किया है। अनुपम खेर ने बताया कि- “हवाई जहाज की यात्रा करते समय उन्हें शुरू में बहुत डर लगता था। काम की वजह से कई बार यात्राएं करनी होतीं तो मैंने अनुभव किया कि सफ़ेद शर्ट और ब्लू जींस में मैं अपने आप को शांत रख पाता हूं और अपने डर पे नियंत्रित रख पाता हूं। इसलिए मैं पिछले 26 साल से हवाई यात्रा के दौरान सफ़ेद शर्ट और ब्लू जींस ही पहन रहा हूं।”
अनुपम खेर की ज़िंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों की बात करें तो एक किस्सा वो बड़े ही उत्साहित होकर सुनाते हैं! अपने पुराने दिनों का एक किस्सा सुनाते हुए अनुपम बताते हैं "मेरा पहला इश्क, पहला किस और पहली मोहब्बत डिजॉस्टर थी। हमारे ज़माने में प्यार का मामला आज की तरह फ़ास्ट नहीं था। एक लड़की से बात करने में ही एक साल लग जाते थे। हम हिंदी मीडियम वालों को इंग्लिश मीडियम की लडकियां बिलकुल भाव नहीं देतीं थी।" अनुपम आगे बताते हैं " हमारे ग्रुप में एक लड़की थी जिसे एक दिन मैं भूत की कहानी सुना रहा था। साथ में पांच छह दोस्त भी थे। तो भूत की कहानी सुनते-सुनते उसने डर के मारे मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ लिया और डरावनी कहानी का अंत सुन कर उसने मुझे गले भी लगा लिया था। मुझे उसी दिन लगा इस लड़की के दिल में जगह बनाने के लिए इसे डराना बहुत ज़रूरी है। मैंने अपने इश्क की एक-तरफा कहानी को आगे बढ़ाने के लिए प्लानिंग शुरू भी कर दी।"
अनुपम खेर कहते हैं "उन दिनों हमारे शहर शिमला के सिनेमा हॉल में एक हॉरर फ़िल्म 'एग्जॉस्टेड' लगी थी, तो पहले मैं अपने दोस्त के साथ देखने गया कि फ़िल्म के कौन से सीन में वो सबसे ज्यादा डरेगी और उसी समय मैं उसका हाथ पकड़ लूंगा। एक सीन भी मिल गया जिसमे फ़िल्म की हीरोइन की गर्दन 360 डिग्री तक घूमती है। बस फिर मैं उस लड़की के साथ गया। फ़िल्म शुरू हुई मैंने उस सीन का इंतज़ार करना शुरू किया, सीन आया तो मैंने अपना हाथ सीट पर रखा ताकि वो डरते ही मेरा हाथ पकड़ ले। वो डरावना दृश्य जैसे ही आया, उसने मेरा हाथ कस के पकड़ लिया लेकिन, वो इतना डर गई कि मेरी उंगलियों को ज़ोर से अपने ही दांत से काट दिया। पूरे हाल में मेरी चीखें गूंज रही थीं और उस दिन के बाद से मेरा इश्क का सारा भूत उतर गया।"
बहरहाल, उनके जीवन में उपलब्धियों की लंबी लिस्ट है! साल 2004 में भारतीय सिनेमा में अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा था और साल 2016 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। आपको याद होगा 1984 में ‘सारांश’ के लिए अनुपम खेर ने फ़िल्मफेयर से बेस्ट एक्टर का पुरस्कार जीता था। 28 साल की उम्र में उन्होंने एक साठ साल के बूढ़े का किरदार निभाया था जो आज भी याद किया जाता है। अनुपम खेर पहले ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने कॉमेडी रोल के लिए 5 बार फ़िल्मफेयर अवार्ड जीता है और उन्होंने बैक टू बैक 8 बार फ़िल्मफेयर अवॉर्ड जीते हैं।
1988 में फ़िल्म ‘विजय’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। साल 1989 में उन्हें फ़िल्म ‘डैडी’ के लिए नेशनल स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उसी साल ‘राम लखन’ के लिए बेस्ट कॉमेडियन का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड उनकी झोली में गिरा। 1990 में ‘डैडी’ के लिए फ़िल्मफेयर बेस्ट क्रिटिक्स अवॉर्ड से नवाज़ा गया। 1991 में ‘लम्हे’ के लिए बेस्ट कॉमेडियन के फ़िल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया तो 1992 में ‘खेल’ के लिए बेस्ट कॉमेडियन का फ़िल्मफेयर पुरस्कार उनके नाम हुआ। 1993 में ‘डर’ के लिए बेस्ट कॉमेडियन फ़िल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किया। जबकि 1995 में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के लिए बेस्ट कॉमेडियन के फ़िल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उससे पहले साल 1994 में उन्हें ‘1942 ए लव स्टोरी’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का स्क्रीन अवॉर्ड मिल चुका था। बाद में उन्हें ‘हसीना मान जाएगी’ के लिए साल 1999 में बेस्ट कॉमेडियन के स्क्रीन अवॉर्ड से नवाज़ा गया। ‘सलाखें’ के लिए साल 1999 में उन्होंने बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का पुरस्कार अपने नाम किया। 2005 में ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ फ़िल्म के लिए नेशनल ज्यूरी अवॉर्ड से नवाजा गया। साल 2007 में ‘खोसला का घोसला’ के लिए भी बेस्ट कॉमेडियन का पुरस्कार अनुपम खेर को मिला। बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे पर 2014 में अनुपम खेर ‘द अनुपम खेर शो- कुछ भी हो सकता है’ की मेजबानी करते नज़र आए। इन सबके अलावा उन्होंने ‘ओम जय जगदीश’ (2002) में एक फ़िल्म भी डायरेक्ट की है। क्या आप जानते हैं अनुपम खेर को अपनी मां से बेहद लगाव है और वो अक्सर उनके वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं। उनकी मां अब सोशल मीडिया की स्टार हैं! अनुपम खेर ने अपनी मां के लिए शिमला में एक घर भी ख़रीदा है।
अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर एक अभिनेत्री और सांसद हैं, उनकी शादी साल 1985 में हुई थी। अनुपम की पहली पत्नी से उनकी एक संतान (सिकंदर खेर) भी हैं।
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सिनेमा से लेकर थियेटर और टीवी से लेकर एक्टिंग संस्थान हर जगह अनुपम खेर की तूती बोलती रही है। कला के इस महान प्रेमी कलाकार को उनके जन्मदिन पर अनेकानेक शुभकामनाएं!