Samrat Prithviraj: अक्षय कुमार ने उठाया सवाल- पृथ्वीराज चौहान पर 2-3 पंक्तियां, आक्रमणकारियों पर पूरी किताब क्यों ?
Samrat Prithviraj इतिहास की किताबों पर सवाल उठाते हए फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay KUmar) ने कहा दुर्भाग्य से हमारी इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बारे में केवल 2-3 पंक्तियां हैं लेकिन आक्रमणकारियों के बारे में बहुत कुछ बताया गया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। बालीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'पृथ्वीराज' इस शुक्रवार को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म को लेकर समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत करते हुए अक्षय कुमार ने कहा- दुर्भाग्य से हमारी इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बारे में केवल 2-3 पंक्तियां हैं, लेकिन आक्रमणकारियों के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। हमारी संस्कृति और हमारे महाराजाओं के बारे में शायद ही कुछ उल्लेख किया गया है। अक्षय का कहना है कि हमें इसे धर्म के हिसाब से नहीं बल्कि कल्चर के तौर पर देखना चाहिए। सम्राट पृथ्वीराज चौहान का इतिहास गंगा से होते हुए सोमनाथ मंदिर तक जाता है, इसके बाद वह दिल्ली तक आता है।' बता दें कि इस इस फिल्म में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सफलता की कहानी दिखाने की कोशिश की गई है।
#WATCH | Unfortunately, our history textbooks only have 2-3 lines about Samrat Prithviraj Chauhan, but a lot has been mentioned about the invaders. There is hardly anything mentioned about our culture and our Maharajas: Actor Akshay Kumar to ANI pic.twitter.com/qnKacpylLv
यशराज की पहली ऐतिहासिक फिल्म
कंपनी के तौर पर यशराज फिल्म्स ने पहली बार किसी ऐतिहासिक फिल्म का निर्माण किया है। अक्षय कुमार इस फिल्म में भारतीय मुगलकालीन इतिहास का किरदार निभा रहे हैं और अपने रोल को लेकर काफी उत्साहित भी हैं। फिल्म के निर्देशक डा.. चंद्रप्रकाश द्विवेदी बार-बार कहते रहे हैं कि पृथ्वीराज चौहान की भूमिका के लिए अक्षय कुमार उनकी पहली और आखिरी पसंद थे। यशराज फिल्म्स के मालिक आदित्य चोपड़ा ने भी उनके नाम पर हामी भरी। अक्षय कुमार को फिल्मों में 30 साल से ज्यादा हो चुके हैं और फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' यशराज फिल्म्स के साथ उनकी सिर्फ चौथी फिल्म है।
क्या कहना है फिल्म के निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी का
सम्राट पृथ्वीराज के निदेशक डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी का कहना है कि, 'मैं समझता हूं कि 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस देश को तय करना था कि वह कौन सी चेतना है जिसके आधार पर देश का भविष्य तय होगा। मुझे एक फ्रांसीसी विद्वान याद है जिसने कहा था, 'क्या हम आदि गुरु शंकराचार्य के अद्वैत या वेदांत मार्ग का अनुसरण करेंगे? जो उस समय देश चला रहे थे उनके मन में यह बात थी। इसके बाद सेक्युलरिज्म के नाम पर, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हम लोगों के मन में अपराध बोध पैदा किया गया।'
डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने आगे कहा, 'हमारा इतिहास वैदिक काल से शुरू होता है। लेकिन, ऐसा क्यों है कि वैदिक काल के इतिहास में भले ही चंद्रगुप्त मौर्य की बात ही क्यों न की जाए, लेकिन उसका एक ही पैराग्राफ है। ऐसा नहीं है, उसके बाद भी हमने चहुंमुखी विकास नहीं किया है। जिसने भी यह इतिहास लिखा है, उसने इन बातों को छुपाया है। अब इतिहास का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है, क्योंकि देश में ऐसी सरकार आ गई है, जो उसके अतीत पर सवाल उठा रही है।